नई दिल्लीः फाइनल एग्जाम के दिनों की बात है. प्रो. सरकार ने क्लास को अपना पेपर प्रजेंट करने के लिए कहा था. उत्तर बंगाल के पहाड़ी इलाके से आई मेरी क्लासमेट इंग्लिश बोलने से घबराती थी. पेपर प्रजेंट करने के दौरान वह कई बार अटकी. सरकार ने उसे वहीं चुप रहने का इशारा किया. सभी को लगा कि वह उसकी ‘नर्वसनेस’ को लेकर कुछ कहेगा, लेकिन उसने जो बोला उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
वह बोला, ‘तुम कॉलेज में पढ़ ही क्यों रही हो? तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम कुछ लोगों के सामने मुजरा कर अधिक पैसा कमा सकती हो.’ पूरी क्लास चुप रही किसी ने भी विरोध नहीं किया.’ जादवपुर यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा प्रेरणा अपने कॉलेज के दिनों में एक प्रोफेसर की हरकतों को याद करती है.
लेकिन प्रेरणा अकेली छात्रा नहीं जो उस प्रोफेसर से पीड़ित रही हैं. उस प्रोफेसर की बदमिजाजी के कई किस्से सामने आए हैं, जिन्हें छात्राओं ने बयां किये हैं…
जादवपुर विश्विद्यालय के प्रोफेसर कनक सरकार के लिए महिलाओं की ‘कौमार्यता’ सिर्फ ‘सील बंद बोतल’ तक सीमित नहीं है. अब बात निकली है तो दूर तलक जाने को तैयार है. प्रोफेसर साहब महिलाओं और लड़कियों को लेकर शुरू से ही जज्बाती रहे हैं. उन्होंने कॉलेज में पढ़ने वाली बच्चियों को ‘मुजरा’ करने से लेकर ‘मॉडल’ बनने तक की सलाह दी है. प्रोफेसर ने हाल ही में फेसबुक पर ‘कुंवारी दुल्हन-क्यों नहीं?’ शीर्षक से एक पोस्ट लिखी थी. जिसके बाद उनकी चर्चा विश्वविद्यालय परिसर से निकली और आज देशभर में हो रही है.
प्रोफेसर कनक सरकार इंटरनेशनल रिलेशंस तो पढ़ाते ही हैं, साथ ही फेमिनिज्म पर भी पाठ पढ़ाने में माहिर रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों कुंवारी लड़कियों की तुलना ‘सीलबंद बोतल’ और ‘पैकेट’ से की, इसके बाद देशभर में बवाल मच गया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनआरसी) ने जहां राज्य पुलिस से इस मामले की जांच करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की, बढ़े बवाल के बीच प्रशासन ने प्रोफेसर की छुट्टी भी कर दी.
अब जब प्रोफेसर की छुट्टी हो गई है तब विश्वविद्यालय की कई छात्राएं सामने आई हैं. अदरिजा चटर्जी अपने फेसबुक पोस्ट पर जादवपुर यूनिवर्सिटी का हवाला देते हुए लिखा है प्रोफेसर साहब महिलाओं को लेकर अश्लील टिप्पणी करना कोई नई बात नहीं है. उन्होंने पिछली बातों को याद करते हुए लिखा कि एक प्रेजेंटेशन के दौरान प्रोफेसर ने छात्रा को बीच में रोककर उनके फिगर पर टिप्पणी की थी.
पोस्ट में अदरिजा लिखती हैं, ‘मैं एक दिन क्लास में प्रेजेंटेशन दे रही थी और तभी इस आदमी (कनक सरकार) ने मुझे बीच में रोका. मुझे लगा कि शायद वो मुझसे कोई सवाल करना चाहते हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारा ‘फिगर’ एक मॉडल की तरह है तो क्या मैं बड़ी होकर मॉडल बनना चाहती हूं? उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि क्या मेरे बहुत सारे पुरुष दोस्त हैं? क्योंकि उनके मुताबिक मैं वह हूं, जिसका ‘आनंद’ पुरुष उठाते हैं. मेरे हेड ऑफ डिपार्टमेंट ने उस पल 52 छात्रों की क्लास के सामने मुझे कुछ भी नहीं समझा. मुझे समझ नहीं आता है कि आखिर हम ऐसे प्रोफेसरों को काम करने की इजाजत ही कैसे देते हैं?
वहीं एक दूसरी छात्रा प्रेरणा चैटर्जी जो अब दिप्रिंट में पत्रकार हैं वह भी अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए लिखती हैं. यह 2016 की बात है जब मैं पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी. हम उनकी फिजूल बातों से बचने के लिए अकसर कनक सरकार की क्लासेज छोड़ दिया करते थे. अपनी फेमिनिस्ट थ्यौरी की कक्षा को याद करते हुए वह लिखती हैं कि उस दिन क्लास में कुछ लड़के और तीन लड़कियां ही थीं. प्रोफेसर की क्लास में लोग जाने से बचा करते थे. लेकिन सरकार छात्र-छात्राओं को इंटरनल परीक्षा में न बैठने देने की धमकी दिया करता था.
यह पहली घटना नहीं है जब सरकार ने लड़कियों को लेकर फब्तियां कसी हों.
प्रेरणा आगे लिखती हैं कि प्रो. सरकार ने एक बार क्लास में कहा, ‘तुम कभी क्लास में नहीं दिखती हो, तुम लड़कों के साथ बाहर ही घूमती-फिरती रहती हो. एक दोस्त जो एक शादी समारोह में शामिल होकर आई थी, उसके हाथों में मेहंदी लगी थी, सरकार ने उसके हाथ को पकड़ा और पूरी क्लास के सामने चिल्लाया- तुम्हारें हाथों में मेहंदी क्यों लगी है, जबकि यह बंगाली परंपरा में नहीं लगाई जाती है.’
‘तुम्हें ‘आल्ता’ लगाना चाहिए. ‘सरकार ने उसका हाथ पकड़कर बहुत ध्यान से देखते हुए कहा,’ तुम्हारा हाथ खूबसूरत है. मेहंदी तुम्हारे हाथों की खूबसूरती को खराब कर रही हैं.’ वह अपनी क्लासमेट की बात को याद करते हुए आगे लिखती हैं कि श्वेताश्री एक बार अपना पेपर प्रजेंट करने उसके ऑफिस पहुंची, श्वेता से उन्होंने पेपर तब तक नहीं लिया जब तक उसने उन्हें यह नहीं बताया कि उसने जो कुर्ता पहना है उसमें दूसरी तरफ स्लिट क्यों है?
फेमिनिज्म पर चर्चा करते हुए वह आगे कहते हैं, ‘पता है दुनिया में फेमिनिज्म क्यों फेल हो गया? क्योंकि महिलाओं में इतनी ताकत नहीं कि वह रिक्शा खींच सकें.’
फेसबुक पोस्ट पर विवाद होने के बाद प्रोफेसर ने पोस्ट तो डिलीट कर दी है, लेकिन वो इस बात पर अड़े हुए हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी उनका अधिकारी है और उन्होंने सिर्फ अपने विचार ही रखे थे. ‘मैंने पोस्ट में अपने निजी विचार लिखे. सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट के सेक्शन 66ए को वापस ले लिया है और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दे दिया है.’ वह आगे लिखते हैं मैं सोशल रिसर्चर हूं और समाज की भलाई के लिए लिख रहा हूं. मैंने महिलाओं के समर्थन में भी कई पोस्ट लिखे हैं.’