लाल बाजार के आला साइबर अधिकारी के पास इन दिनों करने को एक कठिन काम है. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोलकाता अगला जामताड़ा न बने. लेकिन अपने खाली समय में कोडिंग करने वाले पूर्व इंजीनियर प्रवीण प्रकाश को यूट्यूब घोटालेबाजों का पर्दफ़ाश करने वाले एक चैनल ने पीछे छोड़ दिया. उन्होंने करोड़ों व्यूज बटोरते हुए उन पर हो रहे क्रैकडाउन को लाइव दिखाया.
इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कोलकाता में कॉल सेंटर की समस्या एक बड़े घोटाले का आकार ले चुकी है.
पहले झारखंड से बड़े पैमाने पर होने वाला घोटाला जामताड़ा की वजह से अब सभी लोगों की स्मृति में दर्ज हो चुका है. इस पर तो एक नेटफ्लिक्स ने शो भी बनाया है. लेकिन कोलकाता वाला मामला जामताड़ा जैसा नहीं है. यह मियामी से मेलबर्न तक कहीं बड़ा, कहीं ज्यादा साहसिक और कई देशों की सीमाओं को पार करता है. यह वह ‘कुटीर उद्योग’ है जो एक दिन में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करता है, जिसमें स्पेन जैसे देश के लोगों के अंतर्राष्ट्रीय बैंक खाते शामिल हैं, और जो शहर के शिक्षित, ग्रैजुएट्स और आईटी विशेषज्ञों द्वारा चलाया जाता है.
लगभग चार मिलियन फॉलोअर्स वाले यूट्यूबर जिम ब्राउनिंग ने कहा, ‘यदि आप एक अंग्रेजी बोलने वाले देश में रहते हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपने भारत के किसी ‘स्कैम कॉलर’ (धोखाधड़ी के लिए फोन करने वाले) के साथ बातचीत की हो’. उनका बायो (ऑनलाइन परिचय) है –आई हेट स्कैमर्स (मुझे स्कैमर्स से नफरत है).
यह इतना सोफिस्टिकेटेड है कि इस घोटाले के खेल में कई गतिशील भाग शामिल होते हैं: पहले वो लोग जो डेटा चुराते और बेचते हैं, दूसरे, जो अस्थायी एकाउंट वेंडर्स के रूप में काम करते हैं जो विदेशों में लोगों को धोखा देने के लिए जरुरी बुनियादी तकनीकी ढांचा प्रदान करती है, और एक टेलीग्राम समूह को सक्रिय रूप से स्कैमर को संभावित लक्ष्यों और उनसे जुड़े जोखिम के बारे में चेतावनी देता है.
हालांकि, उनके काम करने का ढंग अपेक्षाकृत काफी सरल है: सबसे पहले, वे दिखाते हैं कि वे माइक्रोसॉफ्ट या अमेज़न या नॉर्टन के मैलवेयर सॉफ़्टवेयर से जुड़ा कोई उत्पाद बेच रहे हैं. इसके बाद, या तो वे अपने मार्क (निशाने पर लिए गए शख्स) या पीड़ित को किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए मना लेते हैं या उन्हें एक अनचाही गलती, जिसे ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ़ डेथ’ का नाम दिया गया है के साथ भ्रमित कर देते हैं.
तीसरे चरण में वे उनके कंप्यूटर तक पहुंचते हैं और टीमव्यूअर या एनीडेस्क जैसे रिमोट सपोर्ट सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनकी स्क्रीन को अपने कब्जे में ले लेते हैं.
अब तक वे अंदर तक घुस चुके होते हैं.
कोलकाता तकनीकी रूप में जामताड़ा से कई साल आगे है. शहर के प्रतिष्ठित विक्टोरिया मेमोरियल के बाहर ट्रैफिक जंक्शन पर लगा एक निशान राहगीरों को सावधान करता है: ‘अपना ओटीपी/सीवीवी/पिन किसी के साथ साझा न करें.
और यही कारण है जिसकी वहज से प्रकाश जैसे जांच अधिकारी अपना सिर धुन रहे हैं. पैसे का कोई स्पष्ट अता-पता (मनी ट्रेल) नहीं होने, पीड़ितों के दुनिया भर में फैले होने और भारत में कमजोर डेटा गोपनीयता कानूनों के कारण, पुलिस अक्सर नुकसान में रहती है. लेकिन यूट्यूबर्स इस तरह की किसी बाधा से बंधें नहीं होते हैं.
जिम रॉबिन्सन, स्कैमबेटर, मार्क रॉबर्ट और ट्राइलॉजी मीडिया जैसे यूट्यूबर्स , ‘स्कैमबेटिंग’, जो इन स्कैमर्स को उजागर करने के उद्देश्य से इंटरनेट विजिलैंटिस्म का एक रूप है के माध्यम से फ़िशिंग के खिलाफ बोले जा रहे धावे का नेतृत्व कर रहे हैं.
‘स्कैमबैटिंग’ वाली विधा के प्रणेता ब्राउनिंग ने स्कैमर्स के साथ पंगा लेने और उनकी ओनरशिप स्ट्रक्चर को उजागर करने से लेकर उनके काम करने के सटीक स्थानों की तरफ इशारा करने में कई साल बिताए हैं. आईपी एड्रेस्सेस के उनके डेटाबेस के अनुसार, 95 प्रतिशत से अधिक वैश्विक स्कैम कॉल भारत से उत्पन्न होते हैं – विशेष रूप से कोलकाता और नई दिल्ली तथा उनके आसपास के इलाके से. वे कहते हैं, ‘यह सब एक साथ रख कर देखिये, तो पता चलता है दुर्भाग्य से भारत दुनिया की टेलीफोनिक घोटाले की राजधानी बन गया है.’
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कोलकाता के ‘नापाक’ कॉल सेंटर की समस्या
कोलकाता शहर में साइबर अपराध मामलों की पड़ताल के लिए नए पुलिस उपायुक्त के रूप में प्रवीण प्रकाश के पदभार ग्रहण करने के ठीक चार दिन बाद, यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया गया था जिसमें कोलकाता के साल्ट लेक सेक्टर 5 के तीन कॉल सेंटरों में स्कैमबेटर्स की एक टीम द्वारा ग्लिटर बम, चूहे और तिलचट्टे बिखेर दिए गए थे. यह इलाका इस शहर का आईटी हब कहा जाता है.
यह वीडियो एक संयुक्त प्रयास था जिसमें यूट्यूब वॉचडॉगस मार्क रॉबर्ट, जिम ब्राउनिंग और ट्राइलॉजी मीडिया का समूह शामिल था. लगभग 40 मिलियन व्यूज के साथ, इसने तुरंत पुलिस से लेकर इन कॉल सेंटरों के अंदर और इसके आसपास के कर्मचारियों तक, सभी का ध्यान आकर्षित किया.
कोलकाता के टेक्नोलोजी पार्कों में से एक इकोस्पेस बिजनेस पार्क के सुरक्षा गार्डों ने दिप्रिंट को बताया कि इस वीडियो में दिखाया गया सब कुछ- जगह, ईमारत, कार्यालय का ले-आउट- एकदम सटीक लग रहा था. हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि यह कितना बड़ा गोरखधंधा (रैकेट) है, फिर भी, उन्होंने उस कार्यालय के चारों ओर तिलचट्टे और चूहों के घूमने की शिकायतें जरूर सुनी थीं.
यूट्यूबर्स द्वारा दी गई गुप्त सूचना के बाद इस साल मई में कोलकाता के बिधाननगर पुलिस ने इकोस्पेस परिसर में स्थित ‘मेट टेक्नोलॉजीज’ नाम के इस कॉल सेंटर पर छापा मारा था और इसे बंद करवा दिया था. इस बारे में पुलिस की शिकायत इस कॉल सेंटर को एक ‘नापाक धंधे’ के रूप में वर्णित करती है जो ‘भारत और विदेशों के निर्दोष लोगों को धोखा देती है.’ यहां से पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
लेकिन इसी सेक्टर 5 से सैकड़ों अन्य कॉल सेंटर गुप्त रूप से संचालित होते हैं, जो इकोस्पेस और बहु-मंजिला कार्यालय वाली इमारतों, जैसे तकनीकी पार्कों के भीतर सबकी निगाहों के सामने होते हुए भी छिपे रहते हैं. कभी-कभी, वे वैध कॉल सेंटरों के भीतर से भी काम करते हैं और उन्हें अपने मुखौटे के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
साल 2022 के पहले छह महीनों में, कोलकाता पुलिस ने ऐसे 15 कॉल सेंटरों पर छापा मारा और 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया. हालांकि, इस वीडियो में उजागर किया गया कॉल सेंटर साल्ट लेक में स्थित हैं और इसलिए बिधान नगर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है, प्रकाश के अधिकार क्षेत्र में साल्ट लेक के दक्षिण में स्थित उन आवासीय हिस्सों को शामिल किया गया है जहां ‘संगठित’ कॉल सेंटर अधिक सहज रूप में दिखाई देते हैं. उनकी साइबर इकाई को बड़े पैमाने पर संदिग्ध गतिविधि के बारे में गुप्त सूचना मिलती है, जिसका वे फिर टोह लगाने के साथ फॉलो-अप करते हैं.
लेकिन जैसे-जैसे स्कैमर अधिक रचनात्मक होते जा रहे हैं, यह काम और कठिन होता जा रहा है. वे अब छोटे-छोटे समूहों में काम करते हैं, और अपने डेटा को स्टोर करने के लिए क्लाउड सर्वर का उपयोग करते हैं. यह उनके लिए अपने काम को समेटना, इसे दूसरी जगह स्थानांतरित करना, अपनी पहचान बदलना और धोखाधड़ी का काम जारी रखना काफी आसान बनाता है. प्रकाश ने बताया कि पकड़े जाने वाले ज्यादातर लोग बार-बार यही अपराध करने वाले लोग होते हैं.
हुक, लाइन, एंड सिंकर
झारखंड का जामताड़ा, जिसे भारत की फ़िशिंग राजधानी के रूप में जाना जाता है, घरेलू धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार है. कोलकाता के कॉल सेंटरों पर लाखों डॉलर के अंतरराष्ट्रीय घोटाले करने का आरोप है. इन दोनों के बीच का अंतर उनके अंग्रेजी में बात करने के एक्सेंट (उच्चारण) पर टिका है.
कोलकाता के किसी भी ऐसे स्कैम कॉल सेंटर में काम करने वाला कर्मचारी शिक्षित होता है, स्पष्ट रूप से अंग्रेजी बोलता है और हो सकता है कि उसने स्वेच्छा से इस क्षेत्र में प्रवेश न किया हो. मेस्सी (बदला हुआ नाम), जो पहले स्कैमर रह चुके युवाओं में से एक है और जिसने ट्राइलॉजी मीडिया की टीम के हिस्से के रूप में यूट्यूब प्रैंक को योजना बनाने में काफी मदद की थी, कहते हैं, ‘एक आम ग्रेजुएट के लिए आसान और तेजी से पैसे कमाने का तरीका है.’
बैचलर्स इन बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के रूप में ग्रेजुएट हुए 24 वर्षीय मेस्सी को साल 2020 में सेल्स की एक ऐसी नौकरी के लिए काम पर रखा गया था जहां उसे लगा था कि यह अमेज़ॉन का सब्सक्रिप्शन बेचने वाला एक कॉल सेंटर है. उसे यह महसूस करने में दो सप्ताह लग गए कि वह लोगों को धोखा दे रहा है और उसे इस काम को छोड़ने में और तीन महीने लग गए.
उसने दिप्रिंट को बताया. ‘मैं ओहियो की एक 65 वर्षीय महिला से बात कर रहा था जो शारीरिक रूप से अक्षम थी. मैं उसे धोखा देने के क्रम में आधा रास्ता पार कर चुका था, लेकिन फिर मैंने चुपके से उसे बताया कि मैं क्या कर रहा हूं, और मैंने फोन काट दिया.’ उसके बॉस को यह सब पता चल गया और उसने मेस्सी के साथ मारपीट की, जिसके बाद उसने नौकरी छोड़ दी.
कॉलेज से बाहर आए अधिकांश युवा कर्मचारी अपराध की इस जिंदगी को अपने भविष्य के रूप में नहीं देखते हैं. लेकिन आसान पैसे का लालच और अपराध की साफ-सुथरी प्रकृति – वे एक कंप्यूटर के साथ एक मेज के पीछे वातानुकूलित कार्यालयों में बैठते हैं – उनके लिए इस चोरी पर सफेदी फेर देती है.
रॉय ने कहा, ‘आम धारणा यह है कि वे सभी गोरे लोग, जिनके साथ वे घोटाला कर रहे हैं, काफी अमीर हैं, और उनकी सरकार उनकी अच्छे से देखभाल कर रही है. ‘
‘लेकिन बुरा कर्म जरूर वापस है.’ एक शख्स, जिसे वह जानता था, कोलकाता पुलिस द्वारा पकड़ा गया. उसकी धोखेबाजी से स्तब्ध महसूस कर रहे उसके परिवार ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और उसकी मां ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली.
रॉय ने 16 साल की उम्र में इस तरह के कॉल करना शुरू कर दिया था और एक महीने में लगभग 1 लाख रुपये कमाता था. उसने अपने माता-पिता को बताया था कि यह सारा पैसा डेटा एंट्री जॉब से आता था. हालांकि, वह अब ऐसी कॉल नहीं करता है, फिर भी वह इसमें किसी न किसी रूप से शामिल है – वह अब स्कैमर्स को जरुरत पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय एकाउंट वेंडर्स के संपर्क प्रदान करता है.
लेकिन कॉल करने वाले लोग सीधे कमीशन नहीं लेते हैं. आज के दिन में इन पेशेवर कॉल सेंटरों में उच्च स्तरीय प्रबंधन है जो चुराए गए धन को देश से बाहर निकाल देता है. एक बार जब घोटाले का काम ख़त्म हो जाता है, तो पीड़ित का पैसा भारत वापस लाये जाने से पहले उसे बैंक खातों की एक लम्बी श्रृंखला के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है. फिर, विदेशी मुद्रा में अपना कमीशन काटने के बाद, ये मालिक अपने कर्मचारियों को भारतीय रुपये में भुगतान करते हैं. जो स्कैमर्स अधिक स्वतंत्र रूप से काम करते हैं – और एक संगठित स्कैम वाले कॉल सेंटर में काम नहीं करते – वे या तो नकद में पैसे निकाल लेते हैं, या क्रिप्टोकरेंसी खरीदते हैं.
पीड़ितों – जिन्हें ये कॉल सेंटर वाले ‘ग्राहक’ कहते हैं – को घोटाले के लिए फुसलाने का काम कई अलग-अलग तरीकों से होता है: उन्हें एक लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करना सबसे आम तरीका है. अन्य विकल्पों में ‘ईमेल ब्लास्टिंग’ और ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ शामिल हैं, जो तकनीकी रूप से कम जानकारी रखने वाले लोगों में आसानी से घबराहट पैदा कर सकते हैं.
और इसलिए इनके अधिकांश पीड़ित तकनीकी रूप से कम जानकार ही होते हैं: उनमें से 90 प्रतिशत कम से कम 65 या उससे अधिक आयु के होते हैं. ये स्कैमर्स अमेरिकी कार्यदिवसों के दौरान ही कॉल करना सुनिश्चित करते हैं, इसलिए वे जानते हैं कि जो लोग घर पर उनका फोन उठाते हैं उनके रिटायर होने की सबसे अधिक संभावना होती है. बड़े कॉल सेंटर एक दिन में लगभग $60,000 ताक कमा लेते हैं – यानि कि $18 मिलियन प्रति वर्ष.
डीसीपी प्रकाश कहते हैं. ‘ये घोटालेबाज लोगों की भावनाओं से खेलते हैं. वे लोगों के लालच और डर का फायदा उठाते हैं. यह सब हमेशा लालच और भय की वजह से होता है.‘
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यूट्यूब के वॉचडॉग्स
हालांकि, पुलिस के जांचकर्ता अधिकार क्षेत्र की सीमाओं और लालफीताशाही से बाधित हैं, यूट्यूब के वॉचडॉग्स (पहरेदार) तत्काल कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होते हैं.
लगभग एक साल से हर रविवार की सुबह, रॉबर्ट, ब्राउनिंग और ट्राइलॉजी मीडिया की टीम अपने अगले स्टिंग ऑपरेशन की योजना बनाने के लिए मुलाकात करती है
अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के साथ ब्राउनिंग ने कॉल सेंटर के सीसीटीवी कैमरों तक पहुंच बनाने पर ध्यान केंद्रित किया, रॉबर्ट ने इस प्रैंक (शरारत) के पीछे लगने वाले साजो-सामान की योजना बनाई, और ट्राइलॉजी टीम – जिसमें मेस्सी और एक अन्य पूर्व स्कैमर शामिल थे – कोलकाता में जमीन पर काम करने वाले लोग बने थे.
इन स्कैमबेटर्स द्वारा सामने लाए गए चार कॉल सेंटरों में से एक पर छापा मारा गया और उसे बंद कर दिया गया, तथा दो ने अपने आप से काम करना बंद कर दिया है. चौथे कॉल सेंटर के बारे में जानकारी के विवरण को यूट्यूबर्स द्वारा जानबूझकर अपने पास रोक लिया गया था.
रॉबर्ट ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा इसलिए किसी गया था क्योंकि ये स्कैमबेटर्स घोटालेबाजों के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को चौकन्ना रखना चाहते थे – यह चौथा कॉल सेंटर कोलकाता के सैकड़ों कॉल सेंटर्स में से कोई भी हो सकता था. इस कदम के पीछे का विचार यह था कि प्रत्येक घोटाला केंद्र (स्कैम सेंटर) को दहशत में लाया जाए और वह सोचें कि यह चौथा कॉल सेंटर वे ही थे.
रॉबर्ट ने कहा, ‘अमेरिका में बहुत से लोगों के लिए, भारतीयों के साथ उनकी एकमात्र बातचीत एक स्कैम कॉल के माध्यम से होती है, जो वास्तव में दुखद है.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि हालांकि उनके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है, फिर भी वह अपने प्लेटफार्म (मंच) का उपयोग इन अपराधों को उजागर करने और लोगों को जागरूक करने के लिए कर सकते है.’
यूट्यूब पर विशेष रूप से लोकप्रिय, इस शैली के वीडियो लाखों बार देखे जाते हैं, जिसमें आमतौर पर स्कैमबेटर्स द्वारा की गई शरारत (प्रैंकिंग) या उनके द्वारा स्कैमर को उत्तेजित करना शामिल होता है. इन कई वर्षों में, स्कैमबेटर्स ने स्कैम कॉल करने वालों के बारे में जानकारी का बड़ा खजाना जमा कर लिया है – उनके आईपी एड्रेस्सेस से लेकर उनके काम करने के तौर-तरीकों तक.
स्कैमबैटर, जिन्होंने ईमेल के माध्यम से दिप्रिंट को लिखा था, ने कहा कि वे ‘लोगों को शिक्षित करने के लिए इन घोटालों के आंतरिक कामकाज को दिखाते है.’ साथ ही, उनका कहना है कि ‘घोटालेबाजों से बदला लेना उन लोगों के लिए विशेष रूप से संतोषजनक होता है जो पहले किसी घोटाले का शिकार हो चुके होते हैं.’ उनके दर्शकों में से एक को नकली क्रिप्टो एक्सचेंज के रूप में $ 3 मिलियन से अधिक का नुकसान हुआ था. स्कैमबैटर ने एक और घटना का जिक्र किया जिसमें एक घोटालेबाज ने यह एहसास करने के बाद कि एक बुजुर्ग महिला के पास घोटाले के लिए ज्यादा पैसे नहीं हैं, उनका यौन शोषण करने की कोशिश की – उसने उन्हें ‘अमेज़ॅन पर दिए गए एक ऑर्डर को रोकने’ के लिए कैमरे के सामने कपडे उतरने के लिए मजबूर करने की कोशिश की.‘
लेकिन स्कैमबेटिंग कुछ सीमा तक ही काम कर सकती है. यह कानून का पालन करवाने वाली संस्थाओं पर निर्भर है कि वे उनके द्वारा छोड़े गए काम को आगे बढ़ाएं – और बेटर्स हमेशा उन पर भरोसा नहीं करते हैं.
मेस्सी, जिन्होंने अपने अनुभव के बारे में पुलिस को खबर करने की कोशिश की थी, कहते हैं, ‘पुलिस कोई खास मददगार नहीं है.’ उसने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे भ्रष्ट हैं. वे हमेशा कार्रवाई नहीं करते हैं. और कॉल सेंटर के मालिक उनसे डरते नहीं हैं क्योंकि उनके पास पैसा है… आप पैसे से कुछ भी कर सकते हैं.’
ब्राउनिंग, रॉबर्ट और ट्राइलॉजी मीडिया सभी ने अपनी इस आशंका को व्यक्त किया कि भारत में स्कैम कॉलिंग को बर्दाश्त किया जाता है और अक्सर इसे अनदेखा कर दिया जाता है.
ट्राइलॉजी मीडिया के एश्टन बिंघम ने कहा, ‘यह अपराध की दुनिया का एक ‘परफेक्ट स्टॉर्म’ है जिससे वे साफ़ बच सकते हैं, भले ही पुलिस के पास एक थाली में सभी सबूत पेश कर दिए गए हों.’
इन घोटालों को रोकना
गिरफ्तार किये गए घोटालेबाजों के मामले में समस्या इस बात को साबित करने की रही है कि उन्होंने विदेश में किसी को सफलतापूर्वक ठगा है. किसी के खिलाफ केस को मजबूती के साथ पेश करने का सबसे आसान तरीका तब है जब वे बार-बार अपराध करने वाले है.
अमेरिका में घोटाले की कॉल करने के आरोप में पिछले हफ्ते पंजाब में एक 22 वर्षीय अपराधी को गिरफ्तार किया गया था. स्कैमबैटर उसके कामकाज का पर्दाफाश करने में भी शामिल था. लेकिन यह जरुरी नहीं कि ऐसे सभी मामलों में गिरफ्तारी हो ही, अपराध सिद्ध करने की तो बात ही छोड़िये.
आपराधिक मामलों के वकील विवेक शर्मा ने कहा, ‘कानून प्रवर्तन की एजेन्सियों के लिए मुख्य कठिनाई यह है कि वे मनी ट्रेल (पैसे के लेनदेन का लेखाजोखा) स्थापित नहीं कर पाते हैं. लोग भारत और पाकिस्तान, जहां से अधिकांश ऐसे घोटाले वाले कॉल किये जाते हैं, से ध्यान हटाने के लिए स्पेन और पुर्तगाल जैसे देशों में एकाउंट वेंडर्स का उपयोग करते हैं.’ जांच एजेंसियों के लिए गवाहों के बयान लेना और यह साबित करना मुश्किल होता है कि वाकई कोई अपराध हुआ है.
इसके अलावा, जब तक पैसा भारत में वापस आता है – एकाउंट वेंडर्स द्वारा चोरी की गई रकम को जमा करने के लिए अपना कमीशन लेने के बाद – इसका कोई निशान बचता नहीं है.
शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि वह वर्तमान में कम से कम एक हजार ऐसे लोगों का अदालत में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिन पर स्कैम कॉल करने का आरोप है और उन्होंने उनमें से आधे को जमानत दिलवा दी है. वह डीसीपी प्रवीण प्रकाश या यूट्यूब के विजिलैटेज के विपरीत इन स्कैमर्स के साथ अधिक सहानुभूति रखते हैं. वे कहते हैं, ‘वे सिर्फ अपने हालात के मारे हैं.’ उनके अधिकांश मुवक्किल 20 वर्ष के हैं या फिर 30 साल के बस होने होने को हैं. उनका अनुमान है कि इस मामले में लिंग अनुपात प्रत्येक नौ पुरुषों पर एक महिला वाला है.
यह बताते हुए कि भारतीय अधिकारी हमेशा तकनीक-प्रेमी नहीं होते हैं, और सरकार के पास अंतरराष्ट्रीय अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकार नहीं है, शर्मा ने कहा, ‘वैधता से जुड़े मुद्दों से अधिक, हमारे संस्थान तकनीकी पहलुओं में फंसे हुए हैं,’ इसका अर्थ यह होता है कि बहुत सारे मामले नजर से हट जाते हैं.
एक दुर्लभ उदाहरण जिसमें कई इंटरनेशल ऑफिशर्स शामिल थे, 2017 में आया था: जर्मन पुलिस द्वारा फ़िशिंग घोटाले की सूचना दिए जाने के बाद कोलकाता पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. एक जर्मन अभियोजक इस मामले में बहस करने के लिए भारत आया और आरोपियों को नौ महीने जेल की सजा सुनाई गई. शर्मा के अनुसार, यह घोटाले के लिए कॉल करने हेतु किसी को दी गई अब तक की सबसे लंबी सजा है.
भय और लालच के साथ खिलवाड़
वापस लालबाजार की बात करें तो डीसीपी प्रकाश के जासूसी विभाग के कार्यालय में ये अधिकारी एक जांच फ़ाइल का अध्ययन कर रहे होते हैं और तभी एक नौकरशाह अपने यूपीएससी की तैयारी कर रहे बेटे के साथ उनके कमरे में प्रवेश करता है.
वह आईएएस अधिकारी प्रकाश को बताता है कि उसी सुबह उसके साथ 32,000 रुपये का एक घोटाला हुआ है और उसे मदद की जरूरत है.
प्रकाश पूछते हैं, ‘यह सब कैसे हुआ?’
आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘मैं काम पर जा रहा था तभी मुझे मोबाइल पर एक मैसेज मिला कि मेरी बिजली काट दी जाएगी…’
‘ओह, सीईएससी घोटाला!’. प्रकाश पहले से इस बारे में जानते थे क्योंकि कोलकाता बिजली बोर्ड अब घरेलू घोटालों के लिए एक एंट्री पॉइंट चुका है. वे कहते हैं, ‘हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं.’
फिर इस नौकरशाह ने बताया कि कैसे उन्हें सुबह 8:20 बजे एक मैसेज मिला कि उनकी बिजली सुबह 9 बजे कट जाएगी. घबराहट में आते हुए उन्होंने एक ‘क्विक सपोर्ट’ ऐप डाउनलोड करने के लिए दिए गए निर्देशों का पालन किया जो उन्हें उनका बिल चुकाने में मदद करता. उन्होंने इसमें अपने कार्ड का सारा विवरण दर्ज किया. कुछ ही पल बाद, उन्हें एक मैसेज मिला जिसमें लिखा था कि उनके खाते से 32,000 रुपये डेबिट हो गए हैं.
उन्होंने प्रकाश से कहा कि वह बीती रात ही अपने बेटे को फ़िशिंग लिंक से सावधान रहने की चेतावनी दे रहे थे. विडंबना की बात यह है कि अगली ही सुबह उन्हें ही फ़िशिंग का शिकार बना लिया गया था. उन्होंने कहा, ‘मैं बिजली कटने की बात से चिंतित हो गया और मुझे यह नहीं लगा कि यह एक घोटाला हो सकता था.’
और इसी तरह यह सब शुरू होता है. आपके फोन की घंटी बजती है, और आपकी दुनिया एक घुमावदार चक्कर में फंस जाती है.
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