कोलकाता, 30 अप्रैल (भाषा) कोलकाता के एक होटल के अंदर लगी मामूली आग यहां हाल के दिनों में सबसे भीषण अग्नि त्रासदियों में से एक बन गई, जिसमें एक महिला और दो बच्चों सहित कम से कम 14 लोगों की जान चली गई। इस होटल का संचालन मूलभूत अग्निशमन प्रावधानों के बिना ही किया जा रहा था।
हालांकि, कोई भी पीड़ित आग से नहीं झुलसा।
पुलिस ने बताया कि होटल कर्मचारी मनोज पासवान आग से अपनी जान बचाने के प्रयास में दूसरी मंजिल की छत से कूद गया, बाद में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से 13 शव बरामद किये गए और ऐसा संकेत मिला है कि इन लोगों की मौत दम घुटने से हुई।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि होटल की दूसरी और तीसरी मंजिल की संकरी सीढ़ियों पर कई शव मिले तथा बाकी शव अंदर से बंद अतिथि कक्षों में मिले।
इस घटना ने मार्च 2010 में पार्क स्ट्रीट स्थित स्टीफन कोर्ट अग्निकांड तथा दिसंबर 2011 में एएमआरआई अस्पताल में लगी आग की घटनाओं की दुखद यादें ताजा कर दी। इन हादसों में क्रमश: 43 लोगों और 90 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
कोलकाता के घनी आबादी वाले थोक व्यापार केंद्र बड़ा बाजार में हाल के दिनों में आग लगने की कई बड़ी घटनाएं हुई हैं, क्योंकि यहां पुराने, अनियोजित और अवैध निर्माणों में अग्नि सुरक्षा मानदंडों का घोर उल्लंघन किया गया है।
वर्तमान घटनास्थल से कुछ ही दूर पर स्थित सूर्य सेन स्ट्रीट मार्केट में लगी आग में 2013 में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज़्यादातर मज़दूर थे। जून 2020 में, पड़ोस के बागरी मार्केट में लगी भीषण आग से 150 साल पुरानी इमारत नष्ट हो गई थी।
अग्निशमन अधिकारियों ने बताया कि मध्य कोलकाता के बड़ाबाजार के मछुआपट्टी इलाके में स्थित छह मंजिला ऋतुराज होटल में 50 अतिथि कमरे हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस होटल का निर्माण 25 साल पहले हुआ था और इसके बनने के बाद से ही अग्नि सुरक्षा के सभी संभावित मानदंडों का उल्लंघन किया गया।
पुलिस के अनुसार, होटल के 42 कमरों में 88 अतिथि ठहरे हुए थे, तभी मंगलवार शाम करीब 7.30 बजे होटल की पहली मंजिल पर पूर्व दिशा वाले एक कमरे में आग लग गई।
हालांकि अग्निशमन कर्मियों ने आग को ऊपरी मंजिलों तक फैलने से रोक लिया, लेकिन काले घने धुएं ने तेजी से पूरे भवन को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे पूरा परिसर एक तरह से गैस चैंबर में तब्दील हो गया।
स्वैच्छिक अग्निशमन कर्मी एवं पद्मश्री पुरस्कार विजेता बिपिन गणात्रा आग बुझाने और बचाव अभियान में अधिकारियों की सहायता करने के लिए होटल पहुंचे थे। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह स्पष्ट है कि कुछ लोग इमारत से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उस एक सीढ़ी के अलावा कोई अन्य वैकल्पिक रास्ता न होने के कारण उनका दम घुट गया। अन्य लोग स्वयं को अपने-अपने कमरों में बंद करके जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन धुएं के कारण उनका दम घुट गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘होटल पर प्रदर्शित कोई भी अग्निशमन तंत्र काम करने की स्थिति में नहीं था।’’
अग्निशमन सेवाओं के महानिदेशक रणवीर कुमार ने बुधवार को होटल के निरीक्षण के बाद कहा, ‘‘होटल मालिकों ने तीन साल पहले यानी 2022 में अग्नि सुरक्षा एनओसी हासिल की थी। उस लाइसेंस का तब से नवीनीकरण नहीं हुआ है। हमने मालिकों के खिलाफ प्राथमकी दर्ज की है।’’
स्थानीय लोगों का कहना है कि होटल का सह-मालिक आकाश चावला मंगलवार देर रात घटनास्थल पर आया था, जबकि पुलिस ने कहा कि मालिकों की तलाश की जा रही है।
होटल का दौरा करने पर पता चला कि प्रवेशद्वार मात्र आठ फुट चौड़ा है जिससे होकर होटल के रिसेप्शन डेस्क तक पहुंचा जा सकता है तथा एक संकरी सीढ़ी है जो प्रथम तल तक जाती है, यही इसका एकमात्र प्रवेश और निकास बिंदु है।
पुलिस ने पुष्टि की कि एक डांस बार को प्राधिकारियों से अपेक्षित मंजूरी नहीं मिली थी तथा यह भवन की पहली मंजिल पर निर्माणाधीन था। यह वही मंजिल है जहां से आग की शुरुआत हुई थी।
अधिकारियों ने बताया कि निर्माण के कारण न केवल क्षेत्र की खिड़कियां ईंट और कंक्रीट से सील हो गई थीं, बल्कि दूसरी सीढ़ी का शटर भी अवरूद्ध हो गया था, जिससे आग लगने पर वहां से लोगों को निकलने के वैकल्पिक रास्ते तक पहुंचने में भी दिक्कत हुई।
मंगलवार शाम को बचाव प्रयासों के दौरान, अग्निशमन सेवा कर्मियों को हाइड्रोलिक सीढ़ियों का उपयोग करके लोगों को निकालते देखा गया, जो होटल की छत पर शरण लिए हुए थे और वहां फंसे हुए थे। उन्हें बगल की इमारत की छत पर ले जाया गया, जहां से उन्हें सुरक्षित नीचे लाया गया।
हताश लोगों को इमारत की संकरी कगार और यहां तक कि होटल के साइनबोर्ड से भी लटके हुए देखा गया, बाद में इन लोगों को बचाया गया।
अग्निशमन सेवा मंत्री सुजीत बसु ने होटल में अवैध गतिविधियों की पुष्टि करते हुए कहा कि खराब ‘फायर अलार्म सिस्टम’ और निष्क्रिय ‘वाटर स्प्रिंकलर’ (पानी का छिड़काव करने वाला यंत्र) ने अग्निशमन कर्मियों की चुनौतियों और पीड़ितों की परेशानियों को और बढ़ा दिया।
बसु ने कहा, ‘होटल मालिकों ने बार-बार दिए गए निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया। उन्हें इसके लिए जिम्मेदारी लेनी होगी। हम आवश्यक जांच कर रहे हैं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे।’’
स्थानीय भाजपा नेता सजल घोष ने तृणमूल कांग्रेस के मंत्री पर ‘ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने’ का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘स्टीफन कोर्ट अग्निकांड में बहुत से लोगों की मौत के बाद ही जाग जाना चाहिए था। मैं यह मानने से इनकार करता हूं कि पुलिस को होटल में इन उल्लंघनों के बारे में पता नहीं था। लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पिछले 15 वर्षों में शहर में कुछ भी नहीं बदला है और क्या इस शासन में कभी कुछ बदलेगा, इस पर गंभीर संदेह है।’’
भाषा अमित मनीषा
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