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Tuesday, 19 November, 2024
होमदेशअपराधदिल्ली में छेड़खानी-पिता की हत्याः पीड़ित परिवार और पुलिस की सूझ-बूझ से टला हुआ है दंगा

दिल्ली में छेड़खानी-पिता की हत्याः पीड़ित परिवार और पुलिस की सूझ-बूझ से टला हुआ है दंगा

मृतक ध्रुव के 82 साल के पिता देव त्यागी ने दिप्रिंट से कहा, 'ये सांप्रदायिकता का मामला नहीं है लेकिन इसे इसी रंग में रंगने की कोशिश की जा रही है.'

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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में हुई एक हत्या को लगातार सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है. मोती बाग के बसाई दारापुर में एक पिता ने जब अपनी बेटी को छेड़ने वालों का विरोध किया तो वे चाकू मारकर पिता की हत्या कर दी. मंगलवार को हुई इस घटना के बाद से जान गंवाने वाले ध्रुव त्यागी का परिवार लगातार ये कहता आया है कि यह सांप्रदायिकता का मामला नहीं है. हालांकि, गुरुवार को इस घटना के बहाने कुछ लोगों ने महापंचायत का आयोजन किया और इसे ऐसा बनाने की पुरज़ोर कोशिश की. घटना के दौरान परिवार की मदद करने वाले रेयाज़ ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसी अनहोनी को टालने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी.

दिल्ली पुलिस ने किया काबिले तारीफ काम

रेयाज़ ने दिप्रिंट को बताया कि महापंचायत के दौरान 2000 से अधिक लोग आए थे. ज़्यादातर लोग बाहर से बुलाए गए थे और हथियारों से लैस थे. डर के मारे एक समुदाय विशेष के 100-150 परिवारों को यहां से भागना पड़ा. वो आगे कहते हैं, ‘दिल्ली पुलिस ने काबिले तारीफ काम किया है. पुलिस की ही मेहनत है कि कोई ऊंच-नीच नहीं हुई.’ रेयाज़ कहते हैं कि महापंचायत के दौरान एसएचओ को चोटें भी आईं लेकिन पुलिस ने जैसा काम किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है.

इतनी बड़ी घटना के बाद भी इलाक़े से ग़ायब हैं सांसद और विधायक

रेयाज़ ने ये भी कहा कि इलाके़ के एसएचओ लगातार फोन से संपर्क में बने हुए हैं. हालांकि, यहां के सांसद, भाजपा के प्रवेश वर्मा और विधायक, आप के गिरीश सोनी लोगों से मिलने तक नहीं आए. एक समुदाय के लोगों का कहना है कि विधायक सोनी उनके साथ फोन पर लगातार बने हुए हैं और इलाक़े में सीआईडी की तैनाती में उनकी अहम भूमिका रही है लेकिन वो निजी तौर पर एक बार भी इलाक़े में नहीं आए.


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बवाल के दौरान सड़क पर जमा हुए लोग.

किसी को गिरफ्तार नहीं किया लेकिन हालात काबू में: दिल्ली पुलिस

मामले में दिल्ली के एक अधिकारी ने कहा, ‘जिसका आयोजन किया गया था वो पंचायत नहीं बल्कि शोक सभा थी.’ पुलिस के मुताबिक इस दौरान 1000 लोग मौजूद थे. पुलिस ये बात स्वीकार करती है कि बाहरी लोगों ने इस दौरान उत्पात मचाया और पुलिस इसे काबू करने में सफल रही. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है.

पुलिस अधिकारी का कहना था कि शोक सभा जैसे माहौल की वजह से पुलिस ने न तो ज़्यादा बल प्रयोग किया और न ही किसी को गिरफ्तार किया. पुलिस ने मामले को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की बात से इंकार नहीं किया और इससे भी इंकार नहीं किया कि इसमें स्थानीय नेताओं का हाथ हो सकता है. पुलिस ने जानकारी दी कि घटना के बाद से इलाके के किरायेदारों के वेरिफिकेशन को लेकर वह और सख़्त हो गई है.

महापंचायत के दौरान इस बात की भी मांग की गई कि एक समुदाय विशेष के लोगों को सिर्फ इसी इलाके़ में नहीं बल्कि दिल्ली के किसी इलाक़े में किराए पर घर मत दिया जाए. पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है. हालांकि, पुलिस इस बात का अश्वासन देती है कि किसी समुदाय के लोगों को डरने की ज़रूरत नहीं है. पुलिस अधिकारी ने ये भी कहा कि रमजान के महीने की वजह से दिल्ली भर की मस्जिदों को लेकर पुलिस ने पुख़्ता व्यवस्था की है और दंगे की स्थिति नहीं आएगी.

‘प्रार्थन सभा को महापंचायत में बदल दिया’

मृतक ध्रुव (52 साल) के 82 साल के पिता देव त्यागी ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये सांप्रदायिक का मामला नहीं है लेकिन इस इसी रंग में रंगने की कोशिश की जा रही है.’ उन्होंने कहा कि त्यागी समाज ने एक प्रार्थना सभा आयोजित की थी जिसे कुछ संगठनों ने महापंचायत बना दिया. पिता का कहना है कि महापंचायत और किसी रंग में रंगने से उनके बेटे के साथ जो हुआ उस मामले में न्याय नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘मैं कानून सम्मत न्याय चाहता हूं.’

मृतक के पिता का आरोप है कि महापंचायत करने वालों को उन्होंने ख़ूब समझाने की कोशिश की लेकिन उन लोगों ने उनकी एक न सुनी. जब उन्होंने देखा कि उनकी भी नहीं सुनी जा रही तो वो आयोजन स्थल से चले गए. पेशे से जेल अधिकारी रहे ध्रुव त्यागी के पिता कहते हैं, ‘समुदाय विशेष के लोगों से मेरे बहुत से दोस्त रहे हैं. इसको धार्मिक रंग देना ठीक नहीं है. हत्यारे दिल्ली के बाहर से थे और आपराधिक प्रवृत्ति के लोग थे. उन्हें क़ानून के हिसाब से सज़ा मिलनी चाहिए.’

वो आगे कहते हैं कि मामला छेड़खानी का था और उनका बेटा आरोपियों को समझाने गया था लेकिन उन्होंने उसकी हत्या कर दी. उनके परिवार की महिलाएं भी इसमें शामिल थीं. ध्रुव के पिता कहते हैं, ‘वो मुझसे दिल्ली के एक बड़े नेता की बुराई कराना चाहते थे. जबकि वो नेता भी हिंदू ही है. ऐसे में जब वो हिंदू मुसलमान करते हैं तो मुझे ख़ूब समझा आता है कि क्या राजनीति हो रही है.’

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शोक में मृतक के परिजन.

भाजपा और कांग्रेस के नेताओं पर मामले को सांप्रदायिक बनाने का आरोप

मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप अभिमन्यु त्यागी पर है. अभिमन्यु बीजेपी नेता अनंत त्यागी के बेटे हैं. वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाद में ऐसा करने में कांग्रेस भी पीछे नहीं रही और पार्टी के नेता सत्यवीर त्यागी पर भी इसमें शामिल हो गए.

इलाके में एक मोबाइल की दुकान चलाने वाले का आरोप है कि महापंचायत के बहाने दंगा भड़काने की कोशिश हो रही है. महापंचायत के दौरान समुदाय विशेष का धार्मिक स्थल तक जलाने की बात की गई. ये दुकान एक त्यागी की है जिसे दूसरे समुदाय के लोग किराए पर लेकर चलाते हैं. बिहार से आए इन लोगों से जब पूछा गया कि क्या उन्हें दुकान या इलाका छोड़ने को कहा गया है तो उन्होंने कहा कि अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है लेकिन डर का माहौल है.

दुकानदार का आरोप है कि डर से लोग धार्मिक स्थल पर नहीं जा रहे. उन्होंने कहा कि यहां आधे से ज़्यादा लोग बाहर के हैं और उन आधे लोगों में आधे से ज़्यादा एक समुदाय विशेष के हैं. इलाक़ा त्यागियों का है और दुकानदार का कहना है कि 19 मई की वोटिंग से पहले हिंसा की आशंका है.


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भड़काऊ पोस्टर के साथ प्रदर्शन.

इससे पहले भी घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने की हुई है कोशिश

दिल्ली में इससे पहले भी 2018 में 23 साल के अंकित सक्सेना की हत्या को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई थी. पेशे से फोटोग्राफर अंकित को दूसरी समुदाय की एक लड़की से प्रेम था जिससे नाराज़ परिवार ने उनकी हत्या कर दी. जब इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया जाने लगा तो अंकित के परिवार ने भी सामने आकर वही किया था जो अभी ध्रुव का परिवार कर रही है. राजधानी में ऐसी अन्य घटनाओं का भी उदाहरण हैं जिनमें परिवार और पुलिस वालों की सूझ-बूझ से ऐसा होने से बचा है.

मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी तक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएम केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस से तुरंत कार्रवाई करने को कहा है. वहीं, तिवारी ने मामले को ‘हृदयविदारक’ बताते हुए जल्द न्याय की मांग की है. घटना के दौरान ध्रुव के 19 साल के बेटे को भी गंभीर चोटें आई थीं जिसके वजह से उनकी हालत गंभीर नहीं हुई है.

घटना के बाद पीड़ित परिवार के पिता, पत्नी और बेटी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ भाजपा नेता विजय गोयल, नीतीश की पार्टी जेडीयू के नेता केसी त्यागी और पूर्व आप नेता कपिल मिश्रा मौजूद थे. गृहमंत्री को सौंपे गए एक पत्र में त्यागी ने परिवार के लिए एक नौकरी और 50 लाख़ के मुआवजे की मांग की है.

दिल्ली पुलिस ने मामले के आरोपी जहांगीर खान की पत्नी और बेटी को भी गिरफ्तार कर लिया है. दोनों पर मारपीट करने और मारपीट के लिए भड़काने का आरोप है. इसके अलावा जहांगीर के 2 नाबालिग बेटे पकड़े गए थे. उनमें एक बालिग निकला है जिसका नाम गुड्डू है. गुड्डू 2 महीने पहले ही बालिग हुआ था. 1 नाबालिग बेटा भी पकड़ा गया है. मामले में अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया और नाबालिग को हिरासत में लिया गया है. घटना की वजह से इलाके में तनाव तो व्याप्त है लेकिन लोगों की मानें तो अब तक दिल्ली पुलिस ने अपना काम बखूबी निभाया है.

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