नई दिल्ली: कर्जमाफी, गन्ने की फसल के बकाया राशि का भुगतान और पेंशन की मांग कर रहे हजारों किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है. भारतीय किसान संगठन के प्रमुख पूरन सिंह ने किसानों की मांगों पर कहा, ‘सरकार ने हमारी 15 में से 5 मांगों को मान लिया है. यह आंदोलन अभी वापस नहीं लिया गया है. अभी सरकार से हमारा तात्कालिक समझौता हुआ है. 10 दिनों के बाद हम अपनी बाकी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री से मिलेंगे.’
‘अगर सरकार हमारी सारी मांगों को मान लेती है तो हम अपने आंदोलन को वापस ले लेंगे. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हम फिर से सहारनपुर से आंदोलन को शुरू करेंगे.’
Puran Singh, President, Bhartiya Kisan Sangathan on UP farmers march to Kisan Ghat in Delhi: If they (govt) agree to all of our demands we will call off the agitation and if not, we will start an agitation from Saharanpur again. https://t.co/cilijx5dF8 pic.twitter.com/7J60Sqq0SW
— ANI (@ANI) September 21, 2019
सहारनपुर से शुरू हुआ आंदोलन
सहारनपुर से आए हजारों किसानों को दिल्ली जाने के क्रम में शनिवार को गाजीपुर सीमा के पास रोक दिया गया. उन्हें रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. किसानों ने अपना यह मार्च 11 सितंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से शुरू किया था और शनिवार को दिल्ली स्थित किसान घाट पर उनके पहुंचने की उम्मीद थी. हालांकि उन्हें दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर ही रोक दिया गया.
15 मांगों को लेकर किया आंदोलन
मार्च का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान संगठन के उत्तर प्रदेश के प्रभारी राजेंद्र यादव ने कहा, ‘चारों ओर बैरिकेडिंग करने के साथ ही भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. हमें यहां रुकने के लिए कहा गया है, क्योंकि कुछ अधिकारी हमसे बात करना चाहते हैं. हम इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि हमें नहीं बताया गया है कि हमसे बात करने कौन आ रहा है और कब आ रहा है.’
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी और राज्य सरकार को कृषि क्षेत्रों और किसानों के खस्ताहाल का जिम्मेदार ठहराते हुए संगठन ने सरकार के सामने 15 सूत्रीय मांगे रखी हैं.
यादव ने कहा, ‘हमारी मांग है कि 14 दिनों के अंदर किसानों के सभी कर्ज की माफी, गन्ने की फसल की बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाए और स्वामीनाथन कमिटी के रिपोर्ट के सुझावों का पालन किया जाए.’
इसके अलावा किसानों की मांगों में किसानों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य और शिक्षा की मांग कर रहे हैं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक उच्च न्यायालय की बेंच, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा बिजली कंपनियों का एक ऑडिट, सांसदों और विधायकों की पेंशन का अंत, और नदियों के प्रदूषण पर प्रतिबंध और इसे करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी शामिल है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ)