नई दिल्ली: प्रयागराज में गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या करने के बाद गिरफ्तार किए गए तीन हमलावरों ने रविवार को अपना अपराध कबूल कर लिया, उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘लोकप्रिय बनने’ के लिए ऐसा किया था.
एफआईआर में गिरफ्तार हमलावरों के हवाले से लिखा है, ‘हम अतीक-अशरफ गिरोह का पूरी तरह से सफाया करने और अपना नाम बनाने के उद्देश्य से अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को मारना चाहते थे.’
प्राथमिकी में आगे कहा गया है, ‘जैसे ही हमें अतीक और अशरफ को पुलिस हिरासत में लिए जाने की खबर मिली, हमने स्थानीय पत्रकार बनकर और भीड़ में शामिल होकर उन्हें मारने की योजना बनाई.’
तीनों हमलावरों को घटनास्थल पर ही पकड़ लिया गया था, जब उन्होंने स्वेच्छा से खुद को बदल लिया था. वे वर्तमान में पुलिस हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है.
एफआईआर में शूटर्स के हवाले से लिखा है, ‘हम पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भागने में सफल नहीं हो पाए.’
एफआईआर के अनुसार शूटरों ने कहा, ‘यह जानकारी मिलने के बाद कि अतीक और अशरफ को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है, हम पत्रकारों के रूप में सामने आए और स्थानीय पत्रकारों के बीच रहे और दोनों को मारने की योजना बना रहे थे.’
पुलिस ने तीनों शूटर्स के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या की कोशिश) समेत आयुध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस घटना के मद्देनजर पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी है और प्रमुख सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
पत्रकारों के लिए एसओपी
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का फैसला किया है. शीर्ष सूत्रों ने रविवार को कहा.
प्रयागराज में पत्रकार बनकर अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीन हमलावरों के बाद यह कदम उठाया जा रहा है, सूत्र ने बताया, यह निर्णय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिया गया है. प्रयागराज में शनिवार रात मीडिया की भारी मौजूदगी में अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार को कहा कि हमलावर अपराध स्थल पर पत्रकार बन कर आए थे.
‘शूटर पत्रकार के रूप में आए थे. जैसे ही अतीक और उसका भाई चेक-अप के लिए पहुंचे, वे अन्य पत्रकारों से घिरे हुए थे. शूटर्स में एक के पास कैमरा था और कैमरामैन के रूप में खुद को दिखा रहा था. दूसरा एक माइक के साथ घूम रहा था जिस पर एनसीआर न्यूज लिखा हुआ था। तीसरा दोनों की मदद कर रहा था.’
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सवालों के घेरे में योगी सरकार
उधर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला करते हुए घटना की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच और एक कमेटी का गठन करने की मांग की.
ओवैसी ने कहा, ‘मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी कानून के राज से नहीं बल्कि बंदूक के राज से सरकार चला रही है. उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार की इसमें भूमिका है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए और एक समिति बनाई जानी चाहिए. उत्तर प्रदेश के किसी भी अधिकारी को समिति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. यह एक ‘कोल्ड-ब्लडेड’ हत्या थी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं मरने के लिए तैयार हूं… कट्टरवाद को रोकने की जरूरत है. मैं निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश का दौरा करूंगा, मैं डरा हुआ नहीं हूं. जब प्यार किया तो डरना क्या.’
ओवैसी ने इस घटना को ‘कोल्ड-ब्लडेड मर्डर’ बताते हुए कहा कि जो लोग इस हत्या का जश्न मना रहे हैं वे ‘गिद्ध’ हैं.
उन्होंने राज्य में कानून व्यवय्था पर सवाल खड़े करते कहा, ‘उन्हें (हत्यारों को) वे हथियार कैसे मिले? … उन्हें मारने के बाद वे धार्मिक नारे क्यों लगा रहे थे? आप उन्हें आतंकवादी नहीं तो क्या कहेंगे? क्या आप उन्हें देशभक्त कहेंगे? इस घटना का जश्न मनाने वाले लोग गिद्ध हैं.’
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर प्रशासन कानून का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
बीएसपी नेता राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के आरोपी अतीक के बेटे असद की हत्या का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘वह 19 वर्ष का छोटा लड़का था (असद), वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा कैसे हो सकता है? अगर आप उसे पकड़ना चाहते हैं, तो उसके पैर पर मारें, उस पर मुकदमा चलाएं. आप उसे क्यों मारना चाहते हैं?’
यह पूछे जाने पर कि क्या सुप्रीम कोर्ट को अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि किसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उसे कितने समय तक जेल में रखा जाना चाहिए और किस आधार पर रखा जाना चाहिए, इस संदर्भ में कानून की पूरी प्रक्रिया जेल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्ती से निर्धारित की जानी चाहिए.
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