गुरुग्राम: हरियाणा सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले नौकरशाही तबादलों के मामले में अपने सिविल सेवकों के पर कतरने की कोशिश कर रही है. नवीनतम आदेश में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा है कि उसके प्रशासनिक सचिव और विभाग प्रमुख मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से सिफारिश प्राप्त करने के बाद सरकारी कर्मचारियों के तबादलों में देरी नहीं कर सकते हैं.
26 जनवरी को हरियाणा के मानव संसाधन (एचआर) डिपार्टमेंट की ओर से जारी आदेश के अनुसार, प्रशासनिक सचिवों या विभागों के प्रमुखों को या तो तबादले की सलाह का पालन करना होगा — किसी विशेष कर्मचारी के स्थानांतरण के लिए सीएमओ द्वारा शुरू किया गया एक नोट — ऐसा ईमेल प्राप्त होने के तीन दिनों के भीतर या दो कार्य दिवसों के भीतर आपत्तियों का हवाला देना होगा.
दिप्रिंट ने आदेश देखा है, जिसे सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.
हरियाणा के सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागों के प्रमुखों, संभागीय आयुक्तों और उपायुक्तों को संबोधित सर्कुलर में कहा गया है कि विभाग अपनी आपत्तियों के कारण के तौर पर केवल “प्रशासनिक आधार” का हवाला नहीं दे सकते हैं और उन्हें इस बारे में और विस्तार से बताना होगा.
नई नीति प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों से संबंधित है. प्रथम श्रेणी के सरकारी कर्मचारी सर्वोच्च रैंक वाले अधिकारी होते हैं और इनमें उच्च रैंकिंग वाले सिविल सेवक भी शामिल होते हैं. क्लास II, क्लास I की तरह, राजपत्रित अधिकारी हैं; तृतीय श्रेणी के अधिकारी आम तौर पर लिपिक कर्मचारी होते हैं और चतुर्थ श्रेणी के सरकारी पदानुक्रम में सबसे निचले पद होते हैं.
यह आदेश राज्य में दो प्रमुख चुनावों से कुछ महीने पहले आया है, जहां आम चुनाव अप्रैल-मई में होने की उम्मीद है, वहीं विधानसभा चुनाव साल के अंत में होंगे.
हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें सीएमओ की तबादलों की सिफारिश को लागू करने में देरी के बारे में भाजपा नेताओं की कई शिकायतें मिली हैं.
भाजपा के एक विधायक ने दावा किया कि पार्टी के कई नेता इस बात से नाराज़ हैं कि तबादले के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
विधायक ने उदाहरण के तौर पर अपने कुछ अनुरोधों का हवाला देते हुए कहा, “कुछ मामलों में सिविल सेवकों ने मामूली आधार का हवाला देते हुए आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया. ऐसे मामलों में हम अपने कार्यकर्ताओं के सामने पूरी तरह से असहाय रह जाते हैं. चुनाव इतने करीब होने के कारण, हम अपने कार्यकर्ताओं को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते.”
हालांकि, एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि ऐसी देरी अक्सर इसलिए होती है क्योंकि विभागों को ईमेल के बजाय इन स्थानांतरण नोटों की हार्ड प्रतियां प्राप्त होती हैं और ऐसी फाइलों को प्रोसेस करने में पांच-सात दिन लग जाते हैं.
अधिकारी ने कहा, “नोट की प्राप्ति के बाद एक POC (विचाराधीन प्रस्ताव) उसके भौतिक रूप में तैयार किया जाता है. आपत्तियों के मामले में फाइल सीएमओ के पास जाएगी और इसमें 7 -10 दिन लगेंगे.”
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‘आपत्तियां स्पष्ट रूप से बताईं जाएं’
अपने आदेश में हरियाणा सरकार के एचआर डिपार्टमेंट ने कहा कि कोई भी तबादले की सलाह केवल ईमेल के जरिए से भेजी जाएगी और “तबादले के आदेश विभाग द्वारा तीन कार्य दिवसों के भीतर जारी किए जाएंगे और एक प्रति ईमेल के माध्यम से सीएमओ को प्रदान की जाएगी”.
सर्कुलर में कहा गया है, “पहले उदाहरण में सीएमओ विभाग से प्राप्त सुझावों और प्रशासनिक या अन्य वैध आधारों पर सीधे सीएमओ में प्राप्त सुझावों के आधार पर तबादलों के लिए विभाग को प्रारंभिक स्थानांतरण सलाह जारी करेंगे.”
स्थानांतरण सलाहकार पर किसी भी आपत्ति को ईमेल प्राप्त होने के दो कार्य दिवसों के भीतर सीएमओ को सूचित किया जाना चाहिए, इसमें कहा गया है कि ऐसा न करने पर, सलाह को “अंतिम स्थानांतरण सलाहकार” माना जाएगा.
26 जनवरी के आदेश में कहा गया है कि नीति या कानूनी आधार पर स्थानांतरण सलाह पर कोई भी आपत्ति स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए. “विभाग केवल प्रशासनिक आधार पर आपत्तियां नहीं भेजेंगे.”
हरियाणा सरकार के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि क्लास I और II अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश प्रशासनिक सचिवों द्वारा लागू किए जाते हैं, जबकि क्लास II और IV कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश उनके विभागों के प्रमुखों द्वारा किए जाते हैं.
यह पूछे जाने पर कि आमतौर पर कर्मचारियों के तबादलों पर किस तरह की आपत्तियां की जाती हैं, उक्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि यह तकनीकी आधार पर हो सकता है, जैसे कि कोई रिक्ति न होने पर स्थानांतरण का आदेश देना.
उन्होंने कहा, “इसी तरह, कुछ मामलों में अनुशंसित पोस्टिंग का स्थान उसका गृह जिला है, जो (सरकारी) नीति के विरुद्ध है. ऐसे मामले में हमें आपत्ति के साथ सीएमओ को वापस जाना होगा.” उन्होंने कहा, आपत्ति को नज़रअंदाज करना सीएमओ पर निर्भर है.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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