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Friday, 15 November, 2024
होमदेशमोबाइल का विरोध करने वाली खाप पंचायतें हुईं डिजिटल, लॉकडाउन में 'भागे हुए प्रेमी जोड़ों' और 'घरेलू हिंसा' पर कर रहीं हैं चर्चा

मोबाइल का विरोध करने वाली खाप पंचायतें हुईं डिजिटल, लॉकडाउन में ‘भागे हुए प्रेमी जोड़ों’ और ‘घरेलू हिंसा’ पर कर रहीं हैं चर्चा

लॉकडाउन ने सिर्फ देश को डिजिटल ही नहीं बनाया है बल्कि उन खाप पंचायतों को डिजिटल कर दिया है जो कभी फोन का विरोध करती थीं.

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नई दिल्ली: एक वक्त था जब खाप पंचायतें आधुनिकता और टेक्नोलॉजी को लेकर आशंकित रहती थीं. लेकिन कोविड 19 के दौरान हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने खापों का टेक्नोलॉजी के प्रति अविश्वास कम कर दिया है और अब वो इसका फायदा उठा रहे हैं.

इसी क्रम में 24 मई को देश में पहली बार खाप पंचायतों का जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लाइव सेशन हुआ जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और राजस्थान की 57 खापों ने हिस्सा लिया.

इस तरह ये ऑनलाइन कांफ्रेंस अब वीकली अफेयर में तब्दील हो गए हैं. आने वाले रविवार को तीसरे लाइव सेशन का आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान घृणित सामाजिक बुराइयों जैसे अंतर्जातीय विवाहों में होने वाली ‘ऑनर किलिंग’ और ‘घरेलू हिंसा’ जैसे मामलों पर बातचीत की जाती है. जूम के बाद ये वीडियो व्हॉटसएप के जरिए फैमिली ग्रुप्स तक पहुंचते हैं. इस दौरान एक अनोखी बात ये भी हो रही है कि ‘मूंछों वाले खाप के ताऊ’ और भागकर शादी करने वाले जोड़े आमने-सामने हो रहे हैं और इस पब्लिक डिस्कोर्स का हिस्सा बन रहे हैं.

इसे शुरू करने वाले हैं सुनील जागलान. सुनील राष्ट्रीय महाखाप पंचायत के संजोयक भी हैं जो उत्तर प्रेदश और हरियाणा की दूसरी खापों से कॉर्डिनेट भी करते हैं.

जागलान बताते हैं कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान बढ़ती घरेलू हिंसा और ऑनर किलिंग के मद्देनजर खाप के प्रधानों को ऑनलाइन सेशन्स के जरिए चर्चा करने के लिए राजी किया. साथ ही भागे हुए जोड़ों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी इसमें शामिल किया.

जागलान ने दिप्रिंट को बताया, ‘लॉकडाउन के बाद मेरे पास घरेलू हिंसा की शिकार हो रही कई महिलाओं के फोन आए. मैंने उनकी शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग में भी भेजी. जिलों के एसपी के नंबर भी महिलाओं तक पहुंचाए. लेकिन कुछ खास मदद नहीं पहुंच नहीं पाई. इसलिए हमने राज्य की खापों को इसमें शामिल करने की सोची. लेकिन लॉकडाउन के चलते ये ऑनलाइन ही संभव हो सकता था.’

वो आगे जोड़ते हैं, ‘ऐसे में ये एक मुश्किल काम था कि उन लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ना जो कभी इसके विरोधी रहे हों. हां, जो खापें कभी मोबाइल फोन का विरोध करती थीं उन्हें फोन के माध्यम से ही जेंडर डिस्कोर्स का हिस्सा बनाना बड़ी चुनौती थी.’

इन सेशन्स में भागीदारी ले चुके पालम 360 खाप के रामकरण सोलंकी कहते हैं, ‘आधुनिकता तो स्वीकारनी पड़ेगी. एक टाइम था पुराने लोगों को इंटरनेट की जरूरत महसूस नहीं हुई लेकिन अब इसके बिना विकास संभव नहीं है. आगे बढ़ने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा तो लेना ही पड़ेगा.’


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‘औरतों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी’

पहले ऑनलाइन सेशन में बेमेल शादियां, लड़कियों की पढ़ाई पर ठीक खर्च ना करन और शराबखोरी के चलते महिलाओं के साथ होते अत्याचार और बेरोजगारी पर बातचीत की गई थी. जागलान बताते हैं कि इसमें 22-25 महिला स्पीकर्स को शामिल किया गया था.

वो कहते हैं कि हमारा लक्ष्य है कि हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इससे जोड़ें. दूसरा सेशन 31 मई को आयोजित किया गया था. दूसरे सेशन का मुद्दा अंतर्जातीय विवाह था. अंतर्जातीय विवाह बहुत बार ऑनर किलिंग्स को अंजाम देते हैं. इसमें 49 खाप पंचायतों ने हिस्सा लिया था. इस सेशन में भी कई अंतर्जातीय प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों ने हिस्सा लिया था. इसमें दो पक्षों को आमने सामने अपनी बात रखने का मौका मिला.

बात करने वालों में एक कपल भी था जिसने पिछले साल भागकर शादी की थी.  नवेंद्र(बदला हुआ नाम) पिछड़ी जाति से आते हैं और उनकी पत्नी ऊंची जाति से ताल्लुक रखती हैं. वो दिप्रिंट को बताते हैं, ‘ऊंची जाति का निचली जाति में शादी कर लेना सबसे बड़ी समस्या है. मेरी पत्नी के घरवालों ने हमें कहा कि हम तुम लोगों को मारेंगे तो नहीं लेकिन कोई रिश्ता भी नहीं रखेेंगे.’

नवेंद्र और उनकी पत्नी ने खाप पंचायतों से कहा कि माता-पिता पर सामाजिक प्रेशर ही उन्हें अपने ही बच्चों की जान लेने के लिए उकसाता है. अगर खाप पंचायतें इसका कड़ा विरोध करें तो परिवार ऑनर किलिंग के प्रेशर में नहीं आएंगे.

इस दौरान मौजूद खाप प्रतिनिधियों ने सहमति जताई. सेशन का हिस्सा बने तुलसी ग्रेवाल ने भी अपनी बात रखते हुए कहा,’ये प्रेशर कई बार विभिन्न जातियों के बीच संपत्तियों का असमान वितरण के कारण भी है. इसलिए मुख्य विलेन अलग अलग जातियों में फैली कमजोर आर्थिक स्थिति है. गरीबी और बेरोजगारी के चलते माता-पिता अपने बच्चों की दूसरी जातियों में शादियां करने से घबराते हैं.

जागलान बताते हैं कि आने वाले सेशन्स में वो हिंदू मैरिज एक्ट और कानूनी प्रावधानों पर भी बातचीत करेंगे ताकि खापों को ‘कुख्यात छवि’ से बाहर निकालकर एक सहज समाज का निर्माण किया जा सके.


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जमीनी स्तर पर बदलाव के पुरोधा

हरियाणा की जींद जिले से ताल्लुक रखने वाले सुनील जागलान शुरुआत से जमीनी स्तर लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए आवाज उठाते रहे हैं. पीएम मोदी के सेल्फी विद डॉटर अभियान को प्रेरित करने वाले जागलान ही थे. ये अभियान जन्म के समय बेटियों को लेकर हो रहे दुर्व्यवहार को खत्म करने की मंशा से शुरू किया गया था.

साल 2012 में जब जींद जिले के बीबीपुर गांव में हो रही एक महाखाप में सुनील जागलान ने महिलाओं की भागीदारी को लेकर जब सवाल उठाया था तो इसका बड़े पैमाने पर विरोध भी किया गया था, लेकिन तमाम विरोधों के बाद उनकी बहन रीतू जागलान को खाप पंचायतों में बोलने वाली पहली महिला बनीं. रीतू के बाद कई महिलाओं ने स्पीकर के तौर पर अपनी बात रखी. अब ये महिलाएं भी ऑनलाइन खाप का हिस्सा भी बन रही हैं.

रीतू अपने अनुभव को हमसे साझा करते हुए कहती हैं, ‘जब मैंने पहली बार बोलना शुरू किया था तो थोड़ा अजीब तो लगा. लेकिन बोलने के बाद लगा कि ये तो पहले ही शुरू कर देना चाहिए था. 2012 में बेटियों को भ्रूण में ना मारने के ऊपर बोला था लेकिन 2020 में हम उनकी पसंद के लड़कों पर बात कर रहे हैं.

वह आगे कहती हैं, ‘ये बदलाव तो नजर आ रहा है. लेकिन खाप सिर्फ इन ऑनलाइन बहसों में अपनी छवि सुधारने के लिए तो अच्छी बातें करें लेकिन जमीन पर ऑनर किलिंग के खिलाफ ना बोलें तो डिजिटल होने का कोई फायदा नहीं है. खापों को खुलकर इसका विरोध करना होगा और गांव-गांव अवेरयनेस कैंपने चलाने होंगे.’

आजकल रीतू खाप कॉर्डिनेटर के तौर पर भी काम कर रही हैं. ऑनलाइन चल रहे इन सेशन्स को फेसबुक और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.

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