नई दिल्ली: पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीजीपीसी) के महासचिव गोपाल सिंह चावला को भारतीय मीडिया ने भले ही ‘खालिस्तानी आतंकवादी’ घोषित कर दिया हो, पर उनका नाम किसी भी आतंकी मामले से जुड़े संदिग्धों की भारतीय खुफिया एजेंसियों की सूची में नहीं है.
पाकिस्तान में 28 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास समारोह में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के साथ तस्वीर में आने के बाद चावला एक राजनीतिक तूफान के केंद्र में आ गए. उन पर खालिस्तानी आतंकवादी होने का आरोप लगाया गया है और उन्हें 26/11 मुंबई हमले के साज़िशकर्ता हाफिज़ सईद का निकट सहयोगी बताया जा रहा है.
लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि न सिर्फ चावला का नाम किसी भी आतंकी मामले में नहीं है, बल्कि खुफिया संदेशों और सूचनाओं में भी कहीं उनका नाम नहीं आया है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘हम जिन मामलों की पड़ताल कर रहे हैं उनमें से किसी में भी उनका नाम नहीं आया है. वास्तव में, वह किसी लंबित मामले में भी संदिग्ध नहीं हैं.’
अधिकारी ने यह भी कहा कि रंजीत सिंह नीटा, लखबीर सिंह, वधवा सिंह और हरमीत सिंह हैप्पी जैसे बड़े नाम सिख आतंकवाद के संबंध में सामने आए हैं, लेकिन संबंधित जांचों में चावला का नाम कभी नहीं आया.
हालांकि पंजाब पुलिस के अधिकारियों के बीच चावला की छवि आईएसआई के एजेंट की है.
पंजाब पुलिस ने 1 नवंबर को एक पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह खालिस्तान गदर फोर्स की साज़िशों को नाकाम करने का दावा किया. इस सिलसिले में पुलिस ने पटियाला में शबनमदीप सिंह नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसने कि कथित रूप से पुलिस थानों, सुरक्षा चौकियों और भीड़ भरे स्थलों पर हमले की योजना बनाई थी.
पुलिस का दावा है कि उनकी पड़ताल में शबनमदीप से जुलाई 2018 में जावेद खान वज़ीर नामक संदिग्ध पाकिस्तानी खुफ़िया अधिकारी के संपर्क करने और चावला से उसका परिचय कराए जाने की बात सामने आई है.
पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘उसका परिचय पाकिस्तानी सिख गोपाल सिंह चावला तथा सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के दो अन्य लोगों से कराया गया जिन्होंने उससे और भी लोगों से जुड़ने और सिख जनमत संग्रह 2020 का ज़ोरशोर से प्रचार करने को कहा.’
आतंकवादी नहीं, पर अलग सिख राष्ट्र का समर्थक
दिप्रिंट से फोन पर बातचीत में चावला ने किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया, लेकिन स्वीकार किया कि वह अलग सिख राष्ट्र बनाए जाने के समर्थक हैं.
उन्होंने कहा, ‘हां, मैं एक अलग सिख राष्ट्र का समर्थक हूं, पर इस कारण मैं आतंकवादी नहीं हो गया. इस बारे में हिंदू नेतृत्व ने 1986 में हमसे वादा किया था पर उन्होंने इसे पूरा नहीं किया.’
‘यदि हिंदू एक हिंदू राष्ट्र की बात करें तो वे सही और देशभक्त हैं, लेकिन हम सिख ऐसी मांग करें तो आतंकवादी हो जाते हैं.’
चावला ने अमृतसर में हाल में हुए उस ग्रेनेड हमले से अपना कोई संबंध होने से इनकार किया जिसमें कि तीन लोगों की मौत हो गई थी. उन्होंने कहा, ‘मैं गुरुद्वारे का एक प्रबंधक हूं, गुरु का सेवक हूं. मेरा संबंध कड़ा, प्रसाद और अमृत से है, नाकि हथियारों और हिंसा से.’
चावला ने सिद्धू को ‘सिख समाज का गौरव’ बताते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि सिद्धू को उनके बारे में कुछ पता नहीं था.
चावला कहते हैं, ‘मैं तो वहां बस सिद्धू के स्वागत के लिए गया था. वह मुझे और वास्तव में तारा सिंह (पीजीपीसी प्रमुख) को भी नहीं जानते. पाकिस्तान सिद्धू को पसंद करता है, स्थानीय सिख समाज उनका सम्मान करता है.’
चावला ने कहा कि करतारपुर के समारोह में वह एक आमंत्रित मेहमान के रूप में मौजूद थे और खासकर सिद्धू का स्वागत करने के लिए वहां गए थे. उन्होंने सिद्धू के बारे में कहा, ‘वह एक महान राजनेता हैं, उन्होंने क्रिकेट में भी सिखों का प्रतिनिधित्व किया और उनके लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है. चूंकि हम सिद्धू की इज़्ज़त करते हैं, हमने यादगार के तौर पर उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाई.’
चावला ने कहा कि उस तस्वीर को लेकर उठे विवाद को वह समझ नहीं पा रहे हैं. ‘कई अन्य लोग उनके साथ तस्वीर खिंचवा रहे थे. यह एक बड़ा मुद्दा कैसे बन गया?’
‘हाफिज़ सईद से कोई संबंध नहीं’
चावला ने हाफिज़ सईद का निकट सहयोगी होने से इनकार किया. सोशल मीडिया पर पीजीपीसी महासचिव की सईद के साथ तस्वीर सामने आई थी, और दोनों के बीच ‘निकट संबंध’ होने का आरोप लगाया गया था.
चावला ने कहा, ‘सईद पाकिस्तान में कई खैराती संस्थाएं चलाते हैं और मानवाधिकारों से जुड़े एक आयोजन में मेरी उनसे मुलाक़ात हुई थी, जहां वह तस्वीर खींची गई थी. चूंकि सईद अस्पतालों समेत कई खैराती संस्थाएं चलाते हैं, उन्हें अक्सर ऐसे आयोजनों में बुलाया जाता है, जहां मैं भी एक अतिथि होता हूं. वह (सईद) एक पाकिस्तानी नागरिक हैं और मेरा उनसे मात्र इतना ही संबंध है.’
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा से हाथ मिलाते अपनी तस्वीर के बारे में चावला ने कहा, ‘मैं एक पाकिस्तानी नागरिक हूं और सेना प्रमुख से मिलना एवं उनसे हाथ मिलाना निहायत ही सम्मान की बात है.’
उन्होंने कहा, ‘इस पर विवाद क्यों? मैं किसी दुश्मन राष्ट्र के सेना प्रमुख से हाथ नहीं मिला रहा था, वह मेरे अपने राष्ट्र के सेना प्रमुख हैं.’
चावला ने नेताओं और अन्य लोगों से घृणा नहीं फैलाने की अपील करते हुए कहा, ‘यदि मैं अपने सेना प्रमुख से और फिर पड़ोस के देश के एक नेता से हाथ मिलाता हूं तो क्या ये गलत है? कृपया बिना मतलब घृणा फैलाना बंद करें.’
चावला ने कहा कि इस तरह की नकारात्मकता क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के प्रयासों को खत्म कर सकती है. उन्होंने कहा, ‘इतनी कोशिशों के बाद दोनों देश अपने मतभेदों को दरकिनार करने पर सहमत हुए हैं, इसलिए इसे इस कदर नकारात्मकता से बर्बाद क्यों करें? इतनी छोटी सी बात पर ऐसा क्यों होने दें?’
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