तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार द्वारा स्कूलों में ज़ुम्बा अभ्यास शुरू करने की पहल पर मुस्लिम संगठनों और उलेमा द्वारा “नैतिकता” के मुद्दे को उठाकर आपत्ति जताने के बीच, राज्य के सामान्य शिक्षा विभाग ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वह इस योजना को आगे बढ़ाएगा. विपक्षी कांग्रेस ने इस विवाद को “अनावश्यक” बताया.
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा कि इस तरह की आपत्तियां सांप्रदायिकता और विभाजन को बढ़ावा देंगी.
“कुछ वर्गों से ज़ुम्बा, एरोबिक्स और योग जैसी खेल गतिविधियों को राज्य के स्कूलों में लागू करने के खिलाफ आपत्तियां आई हैं. लेकिन यह समझना जरूरी है कि ये गतिविधियां नशा विरोधी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शुरू की जा रही हैं. इस तरह की आपत्तियां शिक्षा क्षेत्र को बेहतर बनाने के बजाय समाज में नशे से भी ज़्यादा खतरनाक ज़हर घोलेंगी, और सांप्रदायिकता व विभाजन को बढ़ावा देंगी,” उन्होंने कहा.
उन्होंने कहा कि स्कूलों में जो गतिविधियां करवाई जा रही हैं, वे हल्के व्यायाम हैं, और छात्र स्कूल यूनिफॉर्म में भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए इन गतिविधियों में भाग लेना अनिवार्य है और माता-पिता की इसमें कोई भूमिका नहीं है.
“नियमों के अनुसार, शिक्षकों को विभाग के निर्देशों का पालन करना होता है. किसी से भी यह नहीं कहा गया है कि वे छोटे कपड़े पहनें,” उन्होंने कहा, यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी को कोई चिंता है तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन फिलहाल यह पहल जारी रहेगी.
मंत्री ने सोशल मीडिया पर मलप्पुरम जिले के एक निचले प्राथमिक विद्यालय में ज़ुम्बा अभ्यास का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें छात्र स्कूल यूनिफॉर्म में डांस करते नजर आ रहे हैं.
केरल सरकार ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह इस शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में ज़ुम्बा शुरू करेगी ताकि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके और नशा विरोधी अभियान को समर्थन मिल सके.
2025-26 के लिए सामान्य शिक्षा विभाग का अभियान तिरुवनंतपुरम में ज़ुम्बा डांस के मेगा प्रदर्शन से शुरू हुआ था, जिसमें 30 अप्रैल को 1,500 छात्रों ने भाग लिया था.
राज्य जनसंपर्क विभाग द्वारा 3 मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य का लक्ष्य बच्चों को नशे से दूर रखना है, और इसके लिए उन्हें सकारात्मक व स्वस्थ गतिविधियां उपलब्ध कराई जा रही हैं, क्योंकि अध्ययन बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे बच्चे ड्रग नेटवर्क का आसान निशाना बनते हैं.
हालांकि, ज़ुम्बा पहल शुक्रवार को विवादों में घिर गई जब राज्य के एक मुस्लिम विद्वान संगठन, समस्थ केरल जेम-इय्यथुल उलेमा, के कुछ नेताओं ने इसके खिलाफ खुलकर बयान दिए और इसे “नैतिकता के खिलाफ” बताया.
हालांकि राजनीतिक रूप से संबद्ध न होने के बावजूद, यह संगठन आमतौर पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के समर्थक रुख के लिए जाना जाता है.
राज्य IUML नेतृत्व ने अब तक इस विवाद से दूरी बनाए रखी है. यह पार्टी केरल में कांग्रेस की सबसे बड़ी सहयोगी है.
जब इस मुद्दे पर IUML का रुख पूछा गया, तो वरिष्ठ नेता और पेरिन्थलमन्ना से विधायक नजीब कंथापुरम ने कहा कि पार्टी ने अभी तक इस पर आंतरिक रूप से कोई चर्चा नहीं की है. “हम इस पर अध्ययन करने के बाद प्रतिक्रिया देंगे,” उन्होंने दिप्रिंट को बताया. उन्होंने समस्थ नेताओं की ज़ुम्बा पर राय पर कोई टिप्पणी नहीं की.
कांग्रेस नेता और पलक्कड़ से विधायक राहुल ममकूटथिल ने शनिवार को कहा कि इस पहल पर विवाद शुरू करने की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, “आजकल कई युवा लाइफस्टाइल बीमारियों का शिकार हैं. ऐसे में कम उम्र में ही शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है. इसलिए, स्वास्थ्य की रक्षा के लिए शुरू की गई इस पहल पर विवाद खड़ा करने की कोई जरूरत नहीं है.”
‘आपत्तिजनक’
शुक्रवार को समस्थ नेता नसर फैज़ी कूड़ाथाय ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ज़ुम्बा पहल आपत्तिजनक है क्योंकि यह कई छात्रों की “नैतिक अंतरात्मा” के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को मौजूदा शारीरिक प्रशिक्षण को बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए.
“केरल सरकार ने स्कूलों में ज़ुम्बा डांस लागू किया है. ज़ुम्बा एक ऐसा डांस स्टाइल है जिसमें लोग कम कपड़े पहनकर संगीत पर एक साथ नाचते हैं. अगर सरकार बड़े बच्चों को भी यह करने के लिए बाध्य करती है, तो यह आपत्तिजनक है. मौजूदा फिजिकल ट्रेनिंग को बेहतर करने के बजाय इस तरह की अश्लीलता को थोपना ठीक नहीं है,” उन्होंने लिखा.
उन्होंने आगे कहा, “यह उन छात्रों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा जिनकी नैतिक अंतरात्मा उन्हें शरीर दिखाकर एक साथ नाचने की इजाज़त नहीं देती.”
इस पहल का विरोध समस्थ केरल सुन्नी युवजन संघम के राज्य सचिव अब्दुस्समद पूक्कोट्टूर ने भी किया, जिन्होंने कहा कि यह नृत्य शैली “नैतिक मूल्यों” के खिलाफ है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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