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Friday, 22 November, 2024
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‘नारकोटिक्स जिहाद’ नहीं, लॉकडाउन में शराब के सूखे के बाद ड्रग्स के इस्तेमाल में उछाल आया: केरल पुलिस

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोविड लॉकडाउन के दौरान शराब की उपलब्ध नहीं होने की वजह से ही मारिजुआना और हेरोइन की आमद और खपत दोनों में वृद्धि हुई. केरल के डीजीपी भी मानते हैं कि नशीली दवाओं के उपयोग में वृद्धि हुई है, लेकिन उन्होंने इसे शराब से नहीं जोड़ा.

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नई दिल्ली: पिछले डेढ़ साल में केरल में नशीले पदार्थों की तस्करी और खपत दोनों में काफ़ी ज़्यादा वृद्धि हुई.

पर, जैसा कि शीर्षस्थ पुलिस और प्रवर्तन अधिकारियों का कहना है, इस बात के कोई सबूत नहीं मिले है जिनसे इस राज्य के एक कैथोलिक बिशप के द्वारा लगाए गये ‘नारकोटिक्स जिहाद’ – जिसका मतलब है कि मुसलमानों ने ड्रग्स की आपूर्ति की और ईसाई युवाओं को ‘आदी’ बना दिया- के आरोप की पुष्टि होती हो.

उन्होंने कहा कि इनके उपयोग में आई इस उछाल का मुख्य कारण यह है कि बहुत से लोग ड्रग्स – मुख्य रूप से मारिजुआना और हेरोइन – इसलिए भी लेने लगे हैं क्योंकि महामारी के दौरान राज्य में शराब की बिक्री प्रभावित हुई थी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिन्होंने अपना नाम न छापने की शर्त पर ही दिप्रिंट से बात की, ने कहा पूरे राज्य के महामारी की चपेट में आने के बाद लगे लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें बंद कर दी गईं. राज्य में शराब की खपत दर बहुत अधिक है, और यही वह वक्त था जब ड्रग्स ने नशीले पदार्थों के बाजार पर कब्जा कर लिया. दवाओं की आमद में वृद्धि हुई और खपत भी बढ़ी.

अधिकारी ने कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत बरामदगी 2020 के बाद से 600 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, केरल के पुलिस महानिदेशक अनिल कांत ने भी स्वीकार किया कि इस राज्य ने पिछले एक साल में नशीली दवाओं की खपत और तस्करी में तीव्र वृद्धि देखी है, लेकिन उन्होने इसे सीधे तौर पर कोविड लॉकडाउन के दौरान शराब की अनुपलब्धता से नहीं जोड़ा.

कांत ने कहा, ‘हम इस तरह की उछाल के कारणों की पहचान करने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों से लगातार पूछताछ कर रहे हैं, पिछले एक साल में बहुत सारी जब्तियां भी की गई हैं. कई मामलों की जांच की जा रही है.’

ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते ही सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के पलाई जिले के बिशप जोसेफ कल्लारंगट ने एक विवादास्पद बयान दिया था जिसमें दावा किया गया था कि राज्य में मुसलमानों ने ड्रग्स की आपूर्ति करके और ईसाई युवाओं को ‘ड्रग्स का आदी’ बनाकर एक तरह का ‘नारकोटिक्स जिहाद’ शुरू किया है.

कल्लारंगट का यह भी कहना था कि कट्टरपंथी जिहादियों द्वारा संचालित आइसक्रीम पार्लरों, होटलों और जूस कॉर्नर में विभिन्न प्रकार के ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. वे गैर-मुसलमानों को बिगाड़ने के लिए तरह-तरह के नशीले पदार्थों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

हालांकि केरल पुलिस के सूत्रों ने नशीले पदार्थों की कथित तौर पर खरीद-फ़रोख़्त के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों के किसी विशेष समुदाय (या मुख्य रूप से मुस्लिम होने) से जुड़े होने के आरोपों का खंडन किया है. उनके द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 के बाद से राज्य में जब्त किए गए नशीले पदार्थों की मात्रा में काफ़ी वृद्धि हुई है.


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डार्क वेब पर हो रहा है व्यापार

पिछले साल एनालिटिक्स (आर्थिक विश्लेषण करने वाली) कंपनी क्रिसिल. द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक अपने सकल राजस्व का 10 से 15 प्रतिशत तक शराब की बिक्री पर लगे उत्पाद शुल्क से प्राप्त करते हैं और सामूहिक रूप से ये राज्य देश में शराब की कुल खपत में 45 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री में आई कमी के कारण इन राज्यों द्वारा अर्जित राजस्व बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

केरल पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, इस सब के बीच ड्रग्स के कारोबार में काफ़ी तेजी आई, क्योंकि इसे बेचने वाले लोगों ने उनका उपयोग करने वालों के घर तक नशीले पदार्थों को पहुंचाने के तरीके खोज निकाले.

ऊपर उद्धृत किए गये पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान कई ऐसे गिरोह भी सक्रिय थे जो या तो डार्क वेब पर ड्रग्स का कारोबार कर रहे थे या सीधे एजेंटों से खरीद कर रहे थे – उनमें से कुछ लोगों के घरों में भी इसकी डिलीवरी कर रहे थे.’

केरल पुलिस के अलावा अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने भी दावा किया कि केरल में नशीले पदार्थों की औसत खपत पिछले साल से लगातार बढ़ रही है. एक सुरक्षा एजेंसी के सूत्र ने बताया कि, ‘हमारे पास ऐसे अभिभावकों के मामले आए हैं जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चे ड्रग्स के शिकार हो गए हैं.’

ड्रग्स की जब्ती भी कई गुना बढ़ गयी है

ऊपर उद्धृत किए गये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि ‘नशीले पदार्थों की न केवल बिक्री और खरीद, बल्कि इनकी बरामदगी भी कई गुना तक बढ़ गई. है. हमने पलक्कड़, मालापुरम और कासरगोड जैसे क्षेत्रों में मारिजुआना से भरे कई ट्रक को जब्त किए हैं.’

उनका कहना है, ‘चूंकि इन पदार्थों की मांग बढ़ी है इसलिए आपूर्ति भी बढ़ी. मारिजुआना बड़ी मात्रा में आया. इसके अलावा एक्स्टेसी और हेरोइन सहित अन्य नशीले पदार्थ भी हैं, जिन्हें अपेक्षाकृत कम मात्रा में रोजाना तौर पर जब्त किया जा रहा है.‘

वे बताते हैं, ‘भांग (कॅनबिस) का एक मुख्य स्रोत विशाखापत्तनम का वन क्षेत्र भी है. हमने हाल ही में 3,500 किलोग्राम से अधिक अच्छी गुणवत्ता वाली प्रतिबंधित नशीले पदार्थ (कंट्राबेंड) वाली सामग्री जब्त की है जो विशाखापत्तनम से आ रही थी और मुंबई जा रही थी.’

दिप्रिंट द्वारा जुटाए गये आंकड़ों के अनुसार, 2019 में कोच्चि में मेथ, हशीश और गांजा सहित आठ किलोग्राम प्रतिबंधित नशीले पदार्थ जब्त किए गये थे और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया था. 2020 में, 10 किलो से अधिक कंट्राबेंड जब्त किया गया और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. परंतु, 2021 में, 645 किलोग्राम प्रतिबंधित नशीले पदार्थ , जिसमें हेरोइन और मेथ भी शामिल थे, जब्त किए गए और 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

केरल पुलिस के एक दूसरे अधिकारी ने दावा किया कि राज्य में 2020 के बाद से हेरोइन की जब्ती में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

इस अधिकारी ने आरोप लगाया, पिछले एक साल में हेरोइन की बरामदगी में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बहुत सारे युवा लोग भी ड्रग्स के इस कारोबार में शामिल हैं, कई इसे डार्क वेब पर भी बेच और खरीद रहे हैं.

ऊपर उद्धृत किए गये सुरक्षा एजेन्सी वाले स्रोत के अनुसार, नशीले पदार्थों की बरामदगी में यह वृद्धि न केवल ड्रग्स की बढ़ती हुई खरीद – बिक्री के कारण है, बल्कि इसकी यह वजह भी है कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां अब अधिक सतर्क हो गई हैं और उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है.


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समुद्र और हवाई दोनों मार्गों से से आ रहे ड्रग्स

यूनाइटेड नेशन्स ऑफीस ऑफ़ ड्रग्स एंड क्राइम द्वारा 2019 में जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, भांग की जड़िओं (कॅनबिस अर्ब) को कॅनबिस रेज़िन और कॅनबिस ओइल की तुलना में बहुत अधिक मात्रा में जब्त किया जाना जारी है. 2019 में जब्त की गई भांग की जड़ी की सबसे अधिक मात्रा (जो वैश्विक स्तर पर कुल 3,779 टन थी) संयुक्त राज्य अमेरिका से बरामद की गई थी. इसके बाद पराग्वे, कोलंबिया, भारत, नाइजीरिया, मोरक्को और ब्राजील का स्थान है.

2019 में एलएसडी की सबसे बड़ी बरामदगी भारत द्वारा दर्ज की गई, इसके बाद वेनेजुएला, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना का स्थान है.

केरल पुलिस के एक तीसरे अधिकारी ने दावा किया कि कई युवा नशीले पदार्थों की तस्करी का व्यवसाय इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि यह उन्हें अच्छी आमदनी करवाता है.

एक स्रोत के अनुसार, 1 ग्राम कोकीन या हेरोइन की कीमत 1,500 रुपये से अधिक है, वहीं शहरी इलाक़ों में 1 ग्राम मारिजुआना की कीमत 1,000 रुपये से अधिक है.

इस अधिकारी का दावा है कि ज्यादातर नशीले पदार्थ समुद्री मार्ग से गोल्डन क्रिसेंट (एशिया में प्रमुख अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से एक) के माध्यम से आ रही हैं. केरल में सबसे लोकप्रिय ड्रग्स हेरोइन है. यह मछली पकड़ने वाली नौकाओं के सहारे पाकिस्तान और ईरान से श्रीलंका के रास्ते से आता है.‘

उन्होंने कहा, ‘उनकी कुछ खेप एयर कार्गो (हवाई माल) के जरिए भी आ रही है, जिसे अफ्रीकी देशों के लोग मेडिकल वीजा पर ला रहे हैं.’

इस अधिकारी ने यह भी दावा किया कि दक्षिणी भारत में आने वाले नशीले पदार्थों का एक अन्य स्रोत म्यांमार के माध्यम से जुड़ा है.

उन्होंने दावा किया कि ज़्यादातर मेथ म्यांमार से आ रही है. यह उस रास्ते से पहले असम और फिर चेन्नई पहुंचती है. चेन्नई से यह श्रीलंका और यहां तक कि मालदीव भी जा रही है. वे कहते हैं, ‘कई मामलों में, हमने यह भी पाया कि यूरोप में बैठे हैंडलर (तस्करी के मुखिया) स्थानीय तस्करों को शामिल करके और इनके द्वारा माल की डिलीवरी सुनिश्चित करके इंटरनेट के माध्यम से ही केरल में नशीले पदार्थों के बाजार को नियंत्रित कर रहे थे.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘भारत के दक्षिणी हिस्सों से ड्रग्स से जुड़े ऐसे कई मामलों की रिपोर्ट की जा रही है जिनके तार केरल से जुड़े लग रहे हैं. हम इन पर कड़ी नजर रख रहे हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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