तिरुवनंतपुरम, 11 अक्टूबर (भाषा) केरल राज्य साक्षरता अभियान के तहत सबसे बुजुर्ग विद्यार्थी बनकर इतिहास रचने वाली 101 वर्ष की कात्यायनी अम्मा का 10 अक्टूबर को तटीय अलप्पुझा में उनके आवास पर निधन हो गया।
ऐसी जानकारी है कि वह मस्तिष्काघात के बाद कुछ समय से बिस्तर पर थीं।
अलप्पुझा जिला प्रशासन ने बताया कि बृहस्पतिवार को उनका राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जिला प्रशासन ने बताया कि अलप्पुझा के अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) ने कत्यायनी अम्मा के चेप्पाड़ गांव स्थित आवास पहुंचे और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
कात्यायनी अम्मा को दक्षिणी राज्य के साक्षरता अभियान के तहत न केवल 96 वर्ष की आयु में पढ़ाई करने के लिए शोहरत मिली बल्कि उन्होंने ‘अक्षरालक्षम’ परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक भी हासिल किए थे जो चौथी कक्षा की परीक्षा के समान होती है।
वह अलप्पुझा जिले के चेप्पाड गांव में परीक्षा देने वाले 43,330 विद्यार्थियों में से सबसे आयुदराज थीं।
उन्हें मार्च 2020 में महिला दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नारी शक्ति पुरस्कार भी मिला था। 2019 में वह ‘कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग गुडविल एम्बेसडर’ भी बनीं।
उनके निधन की खबर से सोशल मीडिया मंच शोक संदेशों से भर गया और समाज के सभी तबके के लोगों ने शोक व्यक्त किया।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने शोक संदेश में कहा कि कात्यायनी अम्मा ने कई लोगों को पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल ने फेसबुक पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘ पढ़ने की प्रतिबद्धता और 96 वर्ष की आयु में साक्षरता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली श्रीमती कात्यायनी अम्मा के दुखद निधन से हृदय से दुखी हूं। उन्होंने कई लोगों को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उनकी आत्मा को मुक्ति मिले।’’
उनके निधन पर शोक जताते हुए बुधवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने पुरस्कार जीतने के बाद उनसे हुई एक मुलाकात को याद किया जिसमें उन्होंने आगे पढ़ने और 10वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद नौकरी करने की इच्छा जतायी थी।
विजयन ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘उन शब्दों में आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प था।’’
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भी एक शोक संदेश पोस्ट किया और कहा कि कात्यायनी अम्मा चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई करने के अपने अटूट संकल्प के कारण कई लोगों के लिए प्रेरणादायक आदर्श बनीं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य साक्षरता अभियान के तहत सबसे आयुदराज विद्यार्थी बनकर इतिहास रचने वाली कात्यायनी अम्मा के निधन से बहुत दुखी हूं। वह चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई करने का अटूट संकल्प दिखाते हुए कई लोगों के लिए प्रेरणादायक आदर्श बनीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनका निधन हमारे साक्षरता अभियान के लिए बड़ी क्षति है जिसने आधुनिक केरल को आकार देने में मदद की। गहन संवेदनाएं।’’
केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी.सतीशन ने कात्यायनी अम्मा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह जीवंत उदाहरण थी कि प्रतिबद्धता और इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकता है।
राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी ने भी कात्यायनी अम्मा के निधन पर शोक जताया।
उन्होंने कहा, ‘‘अम्मा ऐसी परिस्थितियों में पली-बढ़ीं जहां वह पढ़ाई नहीं कर सकीं और 96 वर्ष की आयु में साक्षर बनीं, वह दृढ़ संकल्प का एक प्रतीक हैं।’’
केरल विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और हरीपाद से विधायक रमेश चेन्निथला ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर पिछले गणतंत्र दिवस परेड को याद किया जिसमें कात्यायनी अम्मा भी शामिल थीं।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट में कात्यायनी अम्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया।
केरल में अलप्पुझा के हरीपद नगरपालिका की रहने वाली कात्यायनी अम्मा के पति का निधन पहले हो चुका था। छह संतानों की इस मां अपने गांव में मंदिरों के बाहर सड़कों पर झाडू लगाकर अपने बच्चों का लालन-पालन किया।
भाषा धीरज माधव
माधव
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