त्रिशूर, एक मई (भाषा) प्रसिद्ध नृत्यांगना, कार्यकर्ता और केरल कलामंडलम की चांसलर मल्लिका साराभाई ने आरोप लगाया कि नई शैक्षणिक भूमिका में उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है।
मल्लिका साराभाई ने बुधवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा, “आज मुझे पहली बार एहसास हुआ कि विश्वविद्यालय की चांसलर होने का क्या मतलब है। बोलने पर प्रतिबंध।”
त्रिशूर में आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मल्लिका की यह टिप्पणी आई है।
आशा कार्यकर्ता बेहतर वेतन और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।
मल्लिका साराभाई ने इस मुद्दे के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को देश भर में महत्वपूर्ण कार्य करने के बावजूद ‘कम वेतन दिया जाता है और उनका उपयोग किया जाता है’।
उन्होंने त्रिशूर में श्रमिकों की सहायता के लिए प्रसिद्ध लेखिका और कार्यकर्ता सारा जोसेफ के नेतृत्व में नागरिकों की ‘क्राउडफंडिंग’ पहल पर भी प्रकाश डाला, जिसमें उन्हें बृहस्पतिवार को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मल्लिका ने हालांकि खुलासा किया कि इस मुद्दे पर अपनी व्यक्तिगत राय व्यक्त करने के बाद उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी गई, जिस वजह से उन्हें अब अपनी अभिव्यक्ति पर लगाए गए प्रतिबंधों पर सवाल उठाने पड़े।
उन्होंने कहा, “त्रिशूर में आशा कार्यकर्ताओं का वेतन बढ़ाने के लिए आंदोलन जारी है। मेरा मानना है कि ये कार्यकर्ता हर जगह बहुत महत्वपूर्ण काम करते हैं और उन्हें कम वेतन दिया जाता है तथा उनका उपयोग किया जाता है। सारा जोसेफ आशा कार्यकर्ताओं के वेतन में बढ़ोत्तरी के लिए ‘क्राउडफंडिंग’ अभियान का नेतृत्व कर रही हैं।”
मल्लिका ने अपने ‘फेसबुक’ पोस्ट में लिखा, “मुझसे मेरी राय मांगी गई और मैंने अपनी राय दी, जैसा कि मैंने जीवन भर किया है। लेकिन, अब मुझे इसकी अनुमति नहीं है। मैं खुद को कैसे रोक सकती हूं? क्या मैं ऐसा करना चाहती भी हूं?”
उन्होंने यह खुलासा नहीं किया है कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर यह प्रतिबंध लगाने का प्रयास किसने किया।
एक आशा कार्यकर्ता ने कथित प्रतिबंधों की निंदा करते हुए उम्मीद जताई कि मल्लिका साराभाई बृहस्पतिवार शाम को ‘ऑनलाइन’ विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगी।
अब तक न तो वामपंथी सरकार और न ही विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दी है।
केरल की वामपंथी सरकार ने छह दिसंबर, 2022 को मल्लिका साराभाई को केरल कलामंडलम का चांसलर नियुक्त किया था।
केरल कलामंडलम, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कला और संस्कृति का एक मानद विश्वविद्यालय है।
भाषा जितेंद्र मनीषा
मनीषा
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