कोच्चि (केरल), 31 जनवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने उस 21 वर्षीय विधि छात्रा के पति को सोमवार को जमानत दे दी जिसने आत्महत्या कर ली थी। उसने सुसाइड नोट में आत्महत्या के लिए अपने पति, उसके माता-पिता और एक पुलिस अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया था।
न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी. ने कहा कि चूंकि पति की हिरासत के 65 से भी अधिक दिन हो चुके हैं और मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गयी है तो उसे अब हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है।
इसके साथ ही अदालत ने कुछ शर्तों के साथ उसे जमानत दे दी। पीड़िता के सास-ससुर को चार जनवरी को जमानत दे दी गयी थी लेकिन पति को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया गया था उसके खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर है।
इसके बाद पति ने दूसरी जमानत याचिका दायर करते हुए दावा किया कि उसकी पत्नी की आत्महत्या के लिए पुलिस अधिकारी जिम्मेदार है।
मृतका के पति और सुसराल वालों को पिछले साल 24 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304(बी) (दहेज के लिए हत्या), 498ए (दहेज प्रताड़ना), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया।
अपने सुसाइड नोट में कानून की तीसरे वर्ष की छात्रा मोफिया परवीन ने आरोप लगाया कि अलुवा पूर्व पुलिस थाने के तत्कालीन एसएचओ ने उसके साथ तब दुर्व्यवहार किया था जब वह अपने पिता के साथ वहां अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा की शिकायत के संबंध में बयान दर्ज कराने गयी थी।
भाषा गोला प्रशांत
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