कोच्चि (केरल), सात फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने अभिनेता दिलीप और अन्य को 2017 में एक अभिनेत्री के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को कथित तौर पर धमकी देने और उनकी हत्या की साजिश रचने के मामले में सोमवार को अग्रिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी. ने अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि पुलिस से असहयोग और गवाहों को प्रभावित करने की अभियोजन की आशंकाएं हालांकि वास्तविक हैं लेकिन कुछ उचित शर्तें लगाकर इनसे निपटा जा सकता है और यदि उनका (जमानत की शर्तों का) उल्लंघन किया जाता है, तो आरोपियों की गिरफ्तारी और जमानत रद्द कराने के लिए अदालत से संपर्क किया जा सकता है।
अदालत ने यह भी कहा कि उसका विचार है कि आरोपियों की हिरासत के बिना जांच ठीक से की जा सकती है।
इस टिप्पणी के साथ अदालत ने कहा कि यदि आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें जमानत पर रिहा किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक को 1,00,000 रुपये की राशि के अलग-अलग बांड भरने होंगे और इतने की दो जमानत राशि देनी होंगी।
अदालत ने शर्तों में कहा कि आरोपियों को हत्या की साजिश के मामले के जांच अधिकारी के सामने जब भी बुलाया जाएगा, उन्हें पेश होना होगा और जांच में सहयोग करना होगा तथा वे किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं करें।
इसने आरोपियों को यह भी निर्देश दिया कि वे ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी गवाह को कोई प्रलोभन, धमकी नहीं देंगे या कोई वादा नहीं करेंगे और जमानत पर रहते हुए उन्हें किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं होना चाहिए।
इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए दिलीप का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बी रमन पिल्लै ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस की मंशा शुरू से ही अभिनेता को हिरासत में लेने और 2017 के मामले में उन्हें फंसाने के लिए झूठे सबूत बनाने की थी।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि पुलिस दिलीप और एक अन्य आरोपी के घरों के बाहर सुबह से इसलिए इंतजार कर रही थी कि अगर उन्हें राहत नहीं मिली तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
आदेश आने के बाद फिल्म निर्देशक बालचंद्र कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस फैसले से न तो विशेष रूप से खुश हैं और न ही दुखी हैं।
कुमार के बयानों के आधार पर ही पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अधिकारियों को धमकी देने और उन्हें मारने की साजिश का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था।
उन्होंने कहा कि यह आदेश जांच अधिकारियों के लिए एक चुनौती होगा क्योंकि अब तक हर कोई जानता है कि वह (दिलीप) कितने सक्षम हैं और वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं।
अभियोजन महानिदेशक टी ए शाजी और पुलिस की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक पी नारायणन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि दिलीप और अन्य मामले में जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने अदालत से कहा कि आरोपियों पर लगे आरोपों की गंभीरता व प्रकृति तथा उनके आचरण के चलते वे अग्रिम जमानत के हकदार नहीं हैं।
वहीं, अभिनेता ने दावा किया था कि उन्होंने और अन्य ने तीन दिन के दौरान रोजाना 11 घंटे चली लंबी पूछताछ के दौरान पुलिस के पूछे गए सभी सवालों का जवाब दिया और केवल स्वीकारोक्ति देने से इनकार कर दिया, जिसे सहयोग नहीं करने के तौर पर लिया जा रहा है।
अभिनेता और पांच अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 116, 118, 120बी, 506 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि पीड़ित अभिनेत्री ने तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में काम किया है। उसका 17 फरवरी 2017 की रात उसके ही वाहन में कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और कुछ आरोपियों ने दो घंटे तक उससे छेड़छाड़ की थी। कुछ आरोपियों ने पूरे कृत्य का वीडियो बना लिया, ताकि अभिनेत्री को ‘ब्लैकमेल’ किया जा सके।
मामले में 10 लोग आरोपी हैं, जिनमें से सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। दिलीप को भी मामले गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
भाषा नेत्रपाल अनूप
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