कोच्चि, 15 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने हादिया के पिता अशोकन द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कार्यवाही शुक्रवार को बंद कर दी क्योंकि अभियोजन पक्ष के वकील ने अदालत को सूचित किया कि हादिया अपने दूसरे पति के साथ रह रही है।
हादिया 2016 में इस्लाम अपनाने और एक मुस्लिम व्यक्ति से विवाह करने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही थी।
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने यह जानने के बाद याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी कि हादिया की पहली शादी खत्म हो चुकी है और उसने दूसरी शादी कर ली है तथा वह तिरुवनंतपुरम के पास अपने दूसरे पति के साथ रह रही है।
अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट से संतुष्ट होकर अदालत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कार्यवाही बंद करने का फैसला किया। रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि हादिया अवैध हिरासत में नहीं है।
हादिया के इस्लाम धर्म अपनाने और शफीन जहां नामक व्यक्ति से शादी के कारण विवाद हुआ था। हादिया के परिजनों ने केरल उच्च न्यायालय में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि वे पिछले एक महीने से उसका पता लगाने में असमर्थ हैं।
उसके पिता अशोकन ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया कि उन्हें आशंका है कि उनकी बेटी को उसके पति सहित कुछ लोगों ने अवैध रूप से हिरासत में रखा है, जो कथित तौर पर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़ा है।
अशोकन ने उच्च न्यायालय को बताया कि पिछले एक महीने से हादिया का उनसे और उनकी पत्नी से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने दावा किया था कि जब भी उन्होंने अपनी बेटी को फोन किया तो वह या तो फोन रिसीव नहीं कर रही थी या कई मौकों पर मोबाइल फोन बंद आता था।
अशोकन ने यह भी दावा किया कि वे मलप्पुरम में हाल में खुले अपनी बेटी के होम्यो क्लिनिक गए थे लेकिन वह बंद मिला और आसपास के लोगों को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
हादिया ने कोयंबटूर में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान इस्लाम अपना लिया था और 2016 में जहां से शादी की थी। शादी के वक्त हादिया 25 साल की थी।
भाषा सुरभि नेत्रपाल
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