तिरुवनंतपुरम, 13 जुलाई (भाषा) केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने लोगों के एक वर्ग द्वारा की जाने वाली ‘गुरु पूजा’ की प्रथा का रविवार को पुरजोर तरीके से बचाव किया और कहा कि शिक्षकों के चरणों में पुष्प अर्पित करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।
राज्यपाल की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) सरकार ने राज्य के दो सीबीएसई स्कूलों में हाल ही में ‘पद पूजा’ (पैर धोने की रस्म) किए जाने की कड़ी आलोचना की ।
राज्यपाल ने अनुष्ठान को लेकर की गई आलोचना पर सवाल उठाया और पूछा, ‘‘मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग किस संस्कृति से आते हैं।’’
राज्य सरकार ने इस रस्म को लेकर इन स्कूलों के प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा है।
राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शनिवार को उन खबरों पर आश्चर्य व्यक्त किया कि छात्रों से सेवानिवृत्त शिक्षकों के पैर धुलवाए गए।
उन्होंने इस कृत्य को ‘निंदनीय’ और ‘लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध’ बताया।
राज्यपाल ने रविवार को बलरामपुरम में दक्षिणपंथी संगठन बालगोकुलम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘गुरु पूजा हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जहां हम अपने गुरुओं के चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं… लेकिन कुछ लोगों को इस पर आपत्ति है। मुझे समझ नहीं आता कि वे किस संस्कृति से हैं?’’
शिक्षकों के सम्मान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आर्लेकर ने कहा कि गुरु महान आत्माएं हैं और सम्मान के पात्र हैं।
इस बीच, माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने इस अनुष्ठान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे केरल के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को नष्ट करने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कथित एजेंडे का हिस्सा बताया।
भाषा रवि कांत शोभना
शोभना
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.