इडुक्की (केरल), 22 मई (भाषा) मुनंबम वक्फ भूमि विवाद मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर केरल सरकार मौजूदा वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि का अधिग्रहण कर ले तो विवाद का समाधान हो सकता है।
आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीएन रामचंद्रन नायर ने एक प्रमुख मलयालम टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार के पास मौजूदा कानून के प्रावधानों के तहत मुनंबम के निवासियों की सुरक्षा करने की शक्तियां हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को यह विकल्प तभी अपनाना चाहिए जब राज्य द्वारा नियुक्त वक्फ बोर्ड और फारूक कॉलेज, जिसने मुनंबम निवासियों को जमीन बेची थी, बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने में असमर्थ हों।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नायर ने साथ ही यह भी कहा कि सरकार के पास भूमि अधिग्रहण के जो अधिकार हैं उन्हें देखते हुए यह संभव है कि राज्य प्रशासन के साथ टकराव से बचने के लिए विवाद का समाधान हो जाए।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार भूमि अधिग्रहण करती है तो उसे बोर्ड को हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी।
आयोग की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिए जाने के बाद उसे केरल उच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा तथा इस पर अमल न्यायिक आदेशों के अधीन होगा।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नायर ने कहा कि सरकार का मुनंबम निवासियों को बेदखल करने का कोई इरादा नहीं है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है।
उन्होंने यह भी कहा कि निवासियों का पुनर्वास करना व्यावहारिक विकल्प नहीं है।
एर्नाकुलम जिले के मुनंबम गांव के अधिकतर निवासी ईसाई हैं और वे पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि वक्फ बोर्ड उनकी जमीन और संपत्तियों पर अवैध रूप से दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज हैं और भूमि कर भुगतान की रसीदें हैं।
भाषा शोभना वैभव
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