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Friday, 26 April, 2024
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केन-बेतवा परियोजना : पन्ना बाघ अभयारण्य में ग्राम विकास एवं वन्यजीव संरक्षण का खाका तैयार

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नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) सरकार केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के कारण पन्ना बाघ अभयारण्य में वन्य जीवों पर पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के लिये एक ‘‘विस्तृत कार्य योजना’’ पर जल्द काम शुरू करेगी। इसके तहत सामुदायिक सहभागिता एवं ग्राम विकास के साथ बाघ, गिद्ध, घड़ियाल जैसे जीवों एवं जैव-विविधता के संरक्षण का खाका तैयार किया गया है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूआई) द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद तैयार ताजा रिपोर्ट में इस कार्ययोजना को लागू करने के लिये ‘विशेष उद्देश्यीय कंपनी’ गठित करने का सुझाव दिया गया है जिसके तहत ‘‘ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप काउंसिल’’ (जीपीएलसी) का गठन किया जायेगा।

राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) के महानिदेशक एवं केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भोपाल सिंह ने ‘पीटीआई भाषा’’ को बताया, ‘‘डब्ल्यूडब्ल्यूआई ने पन्ना बाघ अभयारण्य एवं आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत अध्ययन करके एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। अध्ययन रिपोर्ट के सुझावों पर अमल करने के लिये इसे जल संसाधन विभाग की संचालन समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।’’

उन्होंने कहा कि इस कार्ययोजना में मुख्य रूप से बाघ, गिद्ध और घड़ियाल के संरक्षण पर जोर दिया गया है, हालांकि इसमें जैव-विविधता एवं सामुदायिक सहभागिता के महत्वपूर्ण आयाम जुड़े हैं।

सिंह ने बताया, ‘‘इस पर जल्द कार्य शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिये बजट केंद्र की योजनाओं के तहत प्राप्त होगा।’’

डब्ल्यूडब्ल्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप समन्वित प्रबंधन योजना पर अमल के लिये 3,186 करोड़ रूपये का बजटीय अनुमान का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्तावित कार्ययोजना में समन्वित शोध एवं शिक्षण केंद्र तथा ग्रेटर पन्ना तकनीकी परामर्श समिति गठित करने का सुझाव दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, पन्ना बाघ अभ्यारण्य में अभी 60 बाघ हैं। इसका 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र बाघों के आवास के लिये उपयुक्त है और एक बड़ा क्षेत्र अभी भी खाली है जहां बाघों का आवास क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। कार्य योजना के तहत पन्ना बाघ अभयारण्य में बाघों के लिये अधिवास क्षेत्र में 22 प्रतिशत वृद्धि करने तथा इनकी आबादी को करीब 200 तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

इसमें मध्य प्रदेश में नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य तथा उत्तर प्रदेश में रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य के साथ संपर्क गलियारा स्थापित करने का सुझाव दिया गया है जिससे इस क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को कम करने तथा बाघ पर्यावास की क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है।

अधिकारी के अनुसार इस कार्य योजना में गिद्धों के संरक्षण का भी खास ध्यान रखा गया है। पन्ना बाघ अभयारण्य में गिद्धों की सात प्रजातियां पायी जाती हैं।

भाषा दीपक वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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