भोपाल, 30 अप्रैल (भाषा) देश की पहली नदी जोड़ो केन-बेतवा लिंक परियोजना के पहले चरण में मध्यप्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिले के 22 गांवों के कुल 7,193 प्रभावित परिवारों में से 6,033 ने पुनर्वास पैकेज के तौर पर सरकार की ओर से दिए गए विकल्पों को चुन लिया है जबकि 1,160 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक इन्हें स्वीकार नहीं किया है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी में केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण ने यह जानकारी दी है।
हालांकि, अभी तक किसी भी प्रभावित परिवार का पुनर्वास नहीं हुआ है। परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह प्रक्रिया ‘तीव्र गति’ से चल रही है और उन्हें भरोसा है कि एक साल के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा।
प्राधिकरण का कहना है कि जिन प्रभावित परिवारों ने सरकार की ओर से दिए गए विकल्पों को नहीं चुना है, उनसे बातचीत जारी है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत मध्यप्रदेश से निकलने वाली केन और बेतवा नदी को नहर के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसके तहत केन नदी का पानी बेतवा नदी में बहाया जाएगा, जिससे न सिर्फ जल स्तर में वृद्धि होगी, बल्कि सिंचाई और पेयजल के लिए भरपूर पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी।
इस परियोजना के पहले चरण के तहत वर्तमान में दौधन बांध पर कार्य प्रगति पर है। इस चरण में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा एक बांध प्रस्तावित है। बिजली उत्पादन के लिए दो पावर हाउस, एक बांध के निचले स्तर में और दूसरा निचले स्तर की सुरंग के आउटलेट पर भी प्रस्तावित है। लिंक नहर की कुल लंबाई 221 किलोमीटर होगी जिसमें दो किलोमीटर सुरंग भी शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 दिसंबर 2024 को खजुराहो में करीब 45,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रखी थी।
आरटीआई से मिली जानकारी में मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के हवाले से बताया गया कि इस परियोजना से पन्ना और छतरपुर जिले के 22 गांवों के 7,193 परिवार प्रभावित हुए हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘परियोजना से प्रभावित 7,193 परिवारों में से 5,968 परिवारों ने पन्ना और छतरपुर में विशेष पैकेज का विकल्प चुना है जबकि 65 ने आर एंड आर कॉलोनी (पुनर्वास और पुनर्स्थापन कॉलोनी) का विकल्प चुना है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने राहत और पुनर्वास के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके जवाब में बताया गया कि अधिकांश परिवारों ने विशेष पैकेज का विकल्प चुना है जबकि कुछ ने आर एंड आर कॉलोनी का विकल्प अपनाया है।
जवाब में कहा गया, ‘‘शेष परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए सर्वे और सम्मति का काम जारी है।’’
ज्ञात हो कि इस परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों और किसानों का एक वर्ग उचित मुआवजा नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
हाल ही में आदिवासी किसानों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सटई गांव से जिला समाहरणालय तक यात्रा निकाली थी। किसानों ने 30 किलोमीटर पैदल चलकर जिलाधिकारी पार्थ जायसवाल को ज्ञापन सौंपा और उचित मुआवजे की मांग की।
केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के महानिदेशक बालेश्वर ठाकुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि अभी तक किसी का पुनर्वास नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ सही तरीके से हो रहा है। पुनर्वास का काम फास्ट ट्रैक पर है। एक साल के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि जिन 65 परिवारों ने पुनर्वास और पुनर्स्थापन के विकल्प को चुना है, उनके लिए भूमि की पहचान कर ली गई है और इसमें राज्य सरकार भी बहुत सहयोग कर रही है।
स्थानीय लोगों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा कि यह कोई बड़े स्तर पर नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ स्थानीय नेता हैं… लोगों को 12-13 लाख रुपये (मुआवजा) मिल रहा है पर कुछ हैं जो 17-18 लाख की मांग कर रहे हैं।’’
विस्थापन नीति के तहत प्रभावितों को पुनर्वास पैकेज के रूप में प्रति वयस्क 12.50 लाख रुपये देने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति भूखंड लेना चाहता है तो इस 12.50 लाख में से पांच लाख रुपये की कटौती कर दी जाएगी और शेष 7.50 लाख रुपए नकद दिए जाएंगे।
इस योजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं का प्रबंधन कर रहे ठाकुर ने कहा, ‘‘यह एक आइकॉनिक परियोजना है। हर चीज का ध्यान रखा जा रहा है।’
संसद के पिछले बजट सत्र में जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं के तहत पुनर्वास और पुनर्स्थापन की धीमी प्रगति पर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की थी कि मंत्रालय विस्थापित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन में तेजी लाए।
ठाकुर ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि पुनर्वास और पुनर्स्थापन में तेज गति से चल रही है।
इसके अलावा समिति ने मंत्रालय से कहा, ‘‘समय पर योजना और कार्यान्वयन के साथ सभी उचित उपाय करके एक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएं (पुनर्वास और पुनर्स्थापन में)। साथ ही प्रभावित समुदायों के विस्थापन और पुनर्वास की निगरानी करे ताकि सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ उनकी आजीविका और आवास सुनिश्चित हो सके।’’
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस परियोजना के दौधन बांध के लिए भूमि अधिग्रहण के संदर्भ में कहा कि पुनर्वास और पुनर्स्थापन गतिविधियों के लिए वर्ष 2024-25 में 4,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है।
भाषा
ब्रजेन्द्र, रवि कांत
रवि कांत
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