scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशकेजरीवाल के मंत्री की शिकायत के बाद मोदी सरकार ने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की

केजरीवाल के मंत्री की शिकायत के बाद मोदी सरकार ने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की

मोदी सरकार ने रविवार को दिल्ली बस टर्मिनल पर प्रवासियों की भारी भीड़ बढ़ने में अधिकारियों की कथित भूमिका के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की, जिसमें 3 आईएएस और एक डैनिक्स का अधिकारी शामिल है.

Text Size:

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने तीन आईएएस अधिकारियों सहित दिल्ली सरकार के चार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. अरविंद केजरीवाल प्रशासन की शिकायत थी कि आनंद विहार बस टर्मिनल में प्रवासियों की भीड़ बढ़ने में उन अधिकारियों की कथित भूमिका थी. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

कोविड-19 से निपटने के लिए लॉकडाउन के दौरान ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने’ में असफल रहने के लिए केंद्र सरकार ने रविवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (परिवहन विभाग) रेणु शर्मा और प्रमुख सचिव (वित्त) राजीव वर्मा को निलंबित कर दिया था और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और भूमि भवन विभागों) सत्य गोपाल और सीलमपुर उपखंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अजय कुमार अरोड़ा को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दिल्ली के एक मंत्री ने अधिकारियों के खिलाफ शिकायत लेकर रविवार की सुबह गृह मंत्रालय से संपर्क किया था, जिसके बाद कार्रवाई की गई.

अधिकारी ने कहा, ‘मंत्री ने शिकायत की थी कि अधिकारियों ने ‘प्रवासियों के लिए बसों की व्यवस्था करने का निर्णय स्वतंत्र रूप से किया.’ अधिकारी ने कहा, इसका दिल्ली सरकार के नेतृत्व में अच्छा संदेश नहीं पहुंचा.

अधिकारी ने कहा, ‘हमें एक शिकायत मिली और हमने इस पर कार्रवाई की. चूंकि अधिकारी संघ शासित प्रदेश (केंद्रशासित प्रदेश) कैडर के होते हैं, केवल केंद्र ही उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए अधिकृत होता है.’ वे गलती पर पाए गए और इसलिए दिशा निर्देश जारी की गई.

हालांकि शर्मा, वर्मा और गोपाल आईएएस अधिकारी हैं, जबकि अरोड़ा डैनिक्स( दिल्ली, अंडमान एण्ड निकोबार आइलैंड सिविल सर्विस) के अधिकारी हैं.

राजधानी में अव्यवस्था

मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते अचानक लॉकडाउन की घोषणा की, जिसमें उन्होंने सोशल डिस्टैन्सिंग की बात की थी. कोरोनावायरस संक्रामक बीमारी है जो कि भारत में अब तक 30 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है. इस अभूतपूर्व फैसले में बसों और ट्रेनों सहित सभी सार्वजनिक परिवहन को निलंबित कर दिया गया.

हालांकि, निर्णय उल्टा पड़ गया. हजारों प्रवासी शहरों में व्यवसायों और बाजारों के बंद होने से बेरोजगार और बेघर हो गए, पैदल अपने गांव वापस जाने लगे. प्रवासियों की मदद करने के लिए, दिल्ली और उत्तर प्रदेश दोनों सरकारों ने शनिवार को बसों की व्यवस्था करके उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया.

लेकिन अव्यवस्था कम नहीं हुई. शाम को आयी तस्वीरों में यूपी-दिल्ली सीमा पर आनंद विहार बस टर्मिनल पर प्रवासियों की भीड़ को देखा गया, यह घटना कोविड-19 के खतरे बढ़ाती है और संभवतः कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती थी.

यह दावा है कि दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को एकतरफा तरीके से काम करते पाया गया जो कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा जारी किए गए बयानों के विपरीत है, जिन्होंने शनिवार को कहा कि प्रशासन प्रवासियों को दिल्ली की सीमाओं पर छोड़ने के लिए बसों की व्यवस्था कर रहा था.

केजरीवाल प्रशासन जो आमतौर पर केंद्र सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के सिविल सेवकों के बारे में लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर ज्यादा मुखर रहता है, ने चार अधिकारियों पर चुप्पी बनाए रखी है.

केंद्र सरकार के चार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में एक टिप्पणी के लिए कॉल और संदेशों के माध्यम से दिप्रिंट ने सिसोदिया और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी. सिसोदिया से बात नहीं हो पायी और सीएमओ ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

‘दिल्ली सरकार ने आदेश जारी नहीं किए ‘

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी ) के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बसों को दिल्ली परिवहन विभाग के निर्देशों के अनुसार व्यवस्थित किया गया था, जिसकी प्रमुख रेणु शर्मा हैं. विभाग की देखरेख परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत कर रहे हैं, जिन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

डीटीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम अपनी मर्जी से कुछ नहीं करते, हमें निर्देश मिले.’ यह पूछे जाने पर कि किसने निर्देश जारी किए हैं अधिकारी ने कहा, ‘हम परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं और हमारा संचार केवल उनके साथ है.’

इस बीच, दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने आदेश से दूरी बना ली. दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने जो आदेश दिया था, वह केवल आवश्यक सेवाओं में काम करने वालों के लिए था, न कि सभी प्रवासी कामगारों को उनके गांवों तक पहुंचाने के लिए.’

‘अपना काम ठीक से नहीं किया’

प्रत्येक अधिकारी के खिलाफ व्यक्तिगत आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, दिल्ली सरकार के कई सूत्रों ने कहा कि शर्मा को डीटीसी बसों की व्यवस्था करने के लिए निलंबित कर दिया गया था, जबकि वर्मा को (जरुरत की चीजों के लिए ) प्रवासियों को आश्वस्त करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए दंडित किया गया था.

एक सूत्र ने कहा, ‘वर्मा का काम प्रवासियों और अन्य लोगों को घर के अंदर रखना और उन्हें उचित भोजन और अन्य सुविधाएं दिलाना था, जो कि उन्होंने अच्छे से नहीं किया.’ सूत्र ने कहा, ‘उनका काम सभी जिला मजिस्ट्रेटों के साथ समन्वय करना था, जो उन्हें रिपोर्ट करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रवासियों को आश्वासन दिया जाता है कि उन्हें दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुए मिलती रहेंगी.’

सत्य गोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. सूत्रों ने कहा, क्योंकि उन्होंने दिल्ली सरकार को संभावित कानून-व्यवस्था की समस्या के बारे में नहीं बताया. उन्होंने कहा, ‘वह गृह विभाग से संबंधित हैं और लॉकडाउन के दौरान किसी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में सरकार को सूचित करने के लिए जिम्मेदार थे, जो वह करने में विफल रहे.

सूत्रों ने कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि अरोड़ा को कारण बताओ नोटिस क्यों दिया गया. आनंद विहार, जहां भीड़ इकट्ठी हुई थी, पूर्वी जिले में आती है, जबकि अजय अरोड़ा पूर्वोत्तर जिले के प्रभारी हैं.

सूत्र के अनुसार, सरकार ने आगे जो तर्क दिया, वह यह था कि दोनों अधिकारियों ने ‘संकट को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए और इसके बजाय अपने कार्यालयों के अंदर ही रहे.’

दिप्रिंट टिप्पणी के लिए चारों अधिकारियों तक पहुंचा, लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो सका. जबकि रेनू शर्मा ने फोन पर कहा कि वह टिप्पणी नहीं करना चाहती, वर्मा ने कॉल का जवाब नहीं दिया. अरोड़ा और गोपाल से संपर्क नहीं हो सका.

‘केंद्र सरकार नाखुश’

इस बीच लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि सप्ताहांत में दिल्ली की स्थिति (विशेष रूप से आनंद विहार में प्रवासी मजदूरों की भीड़ को लेकर) को लेकर में केंद्र सरकार ‘बेहद नाखुश’ थी. दिल्ली में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में बैजल निर्वाचित सरकार के साथ दिल्ली के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

दिल्ली सरकार के सूत्रों ने पुष्टि की कि एलजी ने केजरीवाल को ‘कुप्रबंधन’ के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए लिखा था. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार जब केजरीवाल प्रशासन ने पिछले हफ्ते सड़कों पर बसों की संख्या 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का फैसला किया था तब एलजी को भी विश्वास में नहीं लिया गया था.

जिस दिन चार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, एलजी ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों, पुलिस उपायुक्तों और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे लॉकडाउन को सख्ती से लागू करें.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments