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Monday, 6 May, 2024
होमदेशकेजरीवाल सरकार नए कृषि कानूनों को दिल्ली में लागू कर चुकी है, दूसरी तरफ कर रही विरोध: रविशंकर प्रसाद

केजरीवाल सरकार नए कृषि कानूनों को दिल्ली में लागू कर चुकी है, दूसरी तरफ कर रही विरोध: रविशंकर प्रसाद

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएं लेकिन ये सभी कूद रहे हैं.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए केजरीवाल पर निशाना साधा है. प्रसाद ने कहा अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 23 नवंबर 2020 को नए कानून(कृषि कानून) को नोटिफाई करके दिल्ली में लागू कर दिया है. इधर आप विरोध कर रहे हैं और उधर आप गजट निकाल रहे हैं.

इसके अलावा प्रसाद ने अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा जो इस आंदोलन का मोदी सरकार का विरोध के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएं. हम उनकी इन भावनाओं का सम्मान करते हैं. लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है.

प्रसाद ने कहा कि आज हम विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, NCP और उनके सहयोगी दलों के शर्मनाक दोहरे चरित्र को देश के सामने बताने आए हैं. आज जब इनका राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है तो अपना वजूद बचाने के लिए ये किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं.

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वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि ये (अरविंद केजरीवाल) किसानों की बात करते हैं. अपना क्षेत्र संभाल नहीं सकते, सिंघु बॉर्डर पर बैठने चले हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे और केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए गए इंतजामों का जायजा लिया.

बता दें कि दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन स्थल के संक्षिप्त दौरे के दौरान केजरीवाल के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और पार्टी के कुछ विधायक भी थे.

इससे एक दिन पहले, आम आदमी पार्टी (आप) ने किसान संगठनों के आठ दिसंबर के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया था.

किसानों आंदोलन में जाकर ये बोले केजरीवाल

केजरीवाल ने इस दौरान कहा कि मैंने इंतजाम का जायजा लिया. स्टेडियमों का अस्थायी जेल के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए हम पर काफी दबाब बनाए गए लेकिन हमने अनुमति नहीं दी और मुझे लगता है कि इससे आंदोलन को सहायता मिली. उसके बाद से हमारी पार्टी के विधायक और मंत्री यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि किसानों को किसी भी तरह की दिक्कतें ना हों.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हम सेवादार की तरह काम कर रहे हैं. मैं यहां मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि किसानों की सेवा के लिए एक सेवादार के तौर पर आया हूं. किसानों का समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है.’

कृषि सुधार के खिलाफ विपक्ष का रुख उसके शर्मनाक दोहरे मापदंडों को उजागर करता है: भाजपा

भाजपा ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए कृषि सुधारों के खिलाफ विपक्षी दलों के रुख के लिये उनकी आलोचना की और उन पर ‘शर्मनाक दोहरे मापदंड’ अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में उन्होंने नए कानून के कई प्रावधानों का समर्थन किया था.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि किसानों का एक वर्ग “निहित स्वार्थ” वाले कुछ लोगों के चंगुल में है और सरकार सुधारों को लेकर उनके बीच फैलाये गए भ्रम को दूर करने पर काम कर रही है. किसानों का एक वर्ग इन नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध में है.

राजनीतिक दलों को अपने प्रदर्शन से नहीं जुड़ने देने के लिये कृषक संघों की सराहना करते हुए प्रसाद ने कहा कि अपना अस्तित्व बचाने के लिये भाजपा के विरोधी उनके प्रदर्शन में कूद पड़े हैं जबकि विभिन्न चुनावों में देश की जनता उन्हें बार-बार खारिज कर चुकी है.

उन्होंने 2019 के आम चुनावों के लिये कांग्रेस का घोषणा-पत्र पढ़ते हुए कहा कि उसने एपीएमसी अधिनियम को “रद्द” करने का वादा किया था. प्रसाद ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने 2013 में कांग्रेस शासित राज्यों से कहा था कि वो ऐसे उपाय करें जिससे किसान अपनी उपज सीधे बेच पाएं.

प्रसाद ने कहा कि संप्रग सरकार में कृषि मंत्री रहे राकांपा नेता शरद पवार ने राज्यों से एपीएमसी अधिनियम में संशोधन के लिये कहा था और उन्हें चेतावनी भी दी थी कि केंद्र तीन सुधारों के अभाव में आर्थिक सहायता भी उपलब्ध नहीं कराएगा.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जब यह प्रावधान लागू किये तो अब ये सभी दल उसका विरोध कर रहे हैं. प्रसाद ने कहा कि यह उनके ‘शर्मनाक दोहरे मापदंड’ को उजागर करता है.

केंद्र के नए कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर बीते 11 दिनों से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे कृषक संघों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ का रविवार को कई क्षेत्रीय दलों समेत विपक्षी दलों ने समर्थन करने का ऐलान किया है.

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