scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेश'वर्चस्व' या बिहार में फिर सिर उठा रहा है गैंगवार, कटिहार के मोहना चांदपुर गांव में 10 दिन पहले क्यों गरजी बंदूकें

‘वर्चस्व’ या बिहार में फिर सिर उठा रहा है गैंगवार, कटिहार के मोहना चांदपुर गांव में 10 दिन पहले क्यों गरजी बंदूकें

बीते 2 दिसंबर को बिहार के कटिहार जिले के बुरारी प्रखंड स्थित मोहना चांदपुर गांव में दो गुटों के बीच गैंगवार में चार लोगों की मौत हुई और एक आदमी गायब है. सुनील यादव और मोहना ठाकुर गैंग के बीच एक सरकारी जमीन को लेकर विवाद था जिसको लेकर यह घटना हुई.

Text Size:

नई दिल्ली: बिहार के कटिहार जिले के बरारी थाना क्षेत्र के मोहना चांदपुर दियारा में बीते 2 दिसंबर को मोहन ठाकुर और सुनील यादव गैंग के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर गोलीबारी होती है. इस गोलीबारी में पुलिस के मुताबिक 4 लोगों की मौत हुई और एक व्यक्ति अभी तक लापता है. हालांकि लोगों का कहना है कि इसमें कम से कम 6 लोगों की मौत हुई है और एक लापता है.

जानकारी के मुताबिक मोहना चांदपुर गांव के पास 2 दिसंबर की शाम मोहन ठाकुर और सुनील यादव के गिरोह के बीच अचानक से फायरिंग शुरू हुई जिसके बाद दोनों गुटों में कई घंटे तक गोलीबारी हुई.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दियारा क्षेत्र में सुनील यादव और मोहना ठाकुर गैंग के बीच यह गोलीबारी की सबसे बड़ी घटना है. इससे पहले भी दोनों गैंग गंगा दियारा की जमीन को जोतने और सरकारी जमीन पर कब्जा करने के लिए एक दूसरे से भिड़ चुके हैं. हर साल बाढ़ का पानी घटने के बाद नदी के किनारे सैकड़ों एकड़ जमीन पर अपराधी गुटों की नजर गड़ी रहती है. बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही अपराधी गुटों के बीच जमीन जोतने को लेकर लड़ाई शुरू हो जाती है.

मोहन ठाकुर और सुनील यादव का गिरोह बिहार के कटिहार, नवगछिया, भागलपुर और झारखंड के साहेबगंज के कुछ इलाके में सक्रिय है. दोनों गुट मोहना चांदपुर गांव की एक सरकारी जमीन पर कब्जा करने को लेकर पहले से ही आमने सामने थे. इससे पहले भी दोनों के बीच छोटी मोटी झड़प हो चुकी है. लेकिन बीते दो दिसंबर को जब दोनों गुट आमने सामने हुए तो यह एक बड़े गैंगवार का रूप ले ली. ग्रामीणों के मुताबिक गोलीबारी कई घंटों तक चली और पुलिस काफी लेट से घटना स्थल पर पहुंची.

मामले की जांच जारी है. कटिहार पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि दोनों ही गिरोह में कुख्यात अपराधी थे. दोनों के बीच गोलीबारी हुई थी. इस गैंगवार में 4 लोगों की मौत हुई है. ये वर्चस्व की लड़ाई थी. जिस अरविंद यादव की मौत हुई है, उसके ऊपर भी विभिन्न धाराओं में 20 केस दर्ज थे. वो आर्म्स सप्लायर भी रहा है. इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

4 की मौत, 1 गायब

पुलिस के मुताबिक इस गोलीबारी में 4 लोगों की हत्या हुई. गोलीबारी खत्म होने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को एक लाश घटनास्थल से ही मिली थी और चार लोग लापता थे. इसमें तीन लोगों की लाश चार दिन बाद घटनास्थल से लगभग 10 किलोमीटर दूर दियारा के पास के जंगल में मिली. हालांकि, एक व्यक्ति अभी भी लापता है.

मोहना चांदपुर गांव में जिन चार लोगों की हत्या हुई उनका नाम अरविंद यादव, लालू यादव, सोनू कुमार और राहुल यादव है. इसमें से अरविंद यादव को छोड़कर बाकी तीन मृतकों की उम्र 20 साल या उससे कम है. अरविंद यादव का पुराना आपराधिक इतिहास भी रहा है. पुलिस के मुताबिक अरविंद यादव पर कटिहार और भागलपुर जिलों के कई थानों में हत्या, लूटपाट और आर्म्स एक्ट संबंधित कई धाराओं पर केस चल रहा है.

दिप्रिंट ने इस मुद्दें पर कटिहार के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. साथ ही कटिहार पुलिस के अन्य अधिकारियों ने इस घटना को लेकर दिप्रिंट का जवाब नहीं दिया.


यह भी पढ़ें: ‘फर्जी आधार कार्ड, बांग्लादेशी पासपोर्ट’- कानपुर में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ होने के आरोप में 5 गिरफ्तार


मधेपुरा से सांसद रहे और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने इस मामले को गंभीपता से उठाया है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं लगातार #कटिहार_नरसंहार का मुद्दा उठा रहा हूं. पीड़ितों को न्याय दिलाने और उनके आंसू पोंछने उनके घर भी गया. पर अंधे बहरे प्रशासन पर कोई असर नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी ऐसे नरसंहार से होगा न्याय के साथ विकास!’

बता दें कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए आईजी सुरेश चौधरी भी घटना स्थल पर पहुंचे थे. उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि मैं गया था. जांच चल रही है. मैंने पीड़ित परिवार से भी मुलाकात की है.

दियारा क्षेत्र अपराध के लिए कुख्यात

दियारा एक भोजपुरी शब्द है और जिसका अर्थ होता है ‘बाढ़ क्षेत्र’. नदियों के दोनों किनारों की उस जमीन को दियारा कहा जाता है जहां बाढ़ के समय पानी भर जाता है. इस जमीन पर बरसात के कुछ महीने पानी भरा रहता है लेकिन वापस पानी उतरते ही जमीन काफी उपजाऊ हो जाती है. इसी जमीन को जोतने के लिए हर साल अपराधी गुटों के बीच रंजिश शुरू हो जाती है.

दियारा का इलाका अपराधियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. इस इलाके में आधारभूत संरचना की भारी कमी है. बाढ़ ग्रस्त इलाका होने के कारण यहां अच्छी सड़कें नहीं है जिसके कारण पुलिस प्रशासन की पहुंच कम है. इसका फायदा अपराधियों को मिलता है. नदी होने के कारण अक्सर अपराधी अपराध करने के बाद एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र नाव के माध्यम से भाग जाते हैं.

‘वर्चस्व की लड़ाई’ या ‘जातिगत लड़ाई’

बिहार 80 और 90 के दशक में जातिगत लड़ाई का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. जाति के नाम पर कई अपराधी गुट बनें और  वर्चस्व को लेकर गैंगवार हुए. इसमें अब तक हजारों लोगों की हत्या हो चुकी है.

मोहना चांदपुर गांव की घटना को भी लोग जातिगत लड़ाई से जोड़ कर देख रहे हैं. लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार के राज्य में ‘यादव’ सुरक्षित नहीं है.

हालांकि बिहार में सत्तासीन पार्टी और नीतीश कुमार की सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल ने इसे वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखने की अपील की. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता अरुण कुमार ने ट्वीट किया, ‘कटिहार नरसंहार के नाम पर तेजस्वी जी को कोसने वाले जान लो, यह नरसंहार की घटना नहीं है बल्कि गैंगवार है.’

वह आगे लिखते हैं, ‘ दियारा में वर्चस्व की लड़ाई में चार लोगों की जान गई है. घटना के मुख्य आरोपी मोहन ठाकुर और अवधेश यादव है. पुलिस प्रशासन मुस्तैदी से काम कर रही है. दोषियों को कठोर सजा मिलेगी.’

कटिहार के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, ‘इस घटना को जातिगत लड़ाई के रूप में बिल्कुल नहीं देखा जाना चाहिए. दियारा क्षेत्र के सभी गुट में सभी जाति के लोग हैं. यह पूरी तरह से वर्चस्व की लड़ाई है. जिस गुट पर यह आरोप लग रहा है उस गुट में भी दूसरे गुट के जाति वाले लोग शामिल हैं. यह पूर तरह से जमीन पर कब्जा करने की लड़ाई है.’

दोबारा गरज रहीं हैं बंदूकें

बीते कुछ सालों से शांत बिहार में एक बार वर्चस्व को लेकर बंदूकें आमने सामने आ रही है. पिछले 28 सितंबर को राजधानी पटना के बिहटा दियारा में बालू खनन को लेकर शत्रुघ्न राय और श्रीराय गुटों के बीच 10 घंटे तक लगातार गोलीबारी चली. इस घटना में भी 5 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि पुलिस ने 1 के मृत्यु की ही पुष्टि की थी.

उसके कुछ दिन बाद ही 5 अक्टूबर को बक्सर के मंझरिया गांव में दो गुटों में वर्चस्व को लेकर पूर्व मुखिया धर्मेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी. इसमें दो और लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे.

सोशल मीडिया पर मांग रहे हैं न्याय

सोशल मीडिया पर सुबह से आज मोहना चांदपुर मामला छाया रहा. #कटिहार_नरसंहार के साथ लोगों ने ट्वीट किया जो काफी समय तक ट्रेंडिंग में सबसे ऊपर बना रहा. जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद ने भी लोगों के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं लगातार कटिहार नरसंहार का मुद्दा उठा रहा हूं. पीड़ितों को न्याय दिलाने और उनके आंसू पोंछने उनके घर भी गया. पर अंधे बहरे प्रशासन पर कोई असर नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ऐसे नरसंहार से होगा न्याय के साथ विकास.’ ⁦


यह भी पढ़ें: जर्मनी को नव-नाज़ियों से बड़ा खतरा तो नहीं है, मगर लोकतांत्रिक देश ऐसे खतरों की अनदेखी नहीं कर सकते


 

share & View comments