(गुंजन शर्मा)
वाराणसी, 31 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश में वाराणसी के गंगा घाटों पर भगवान राम को समर्पित संगीतमय प्रस्तुतियों ने काशी तमिल संगमम् में भाग लेने वाले लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संगमम् का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजना था। तमिलनाडु और काशी देश में शिक्षा के दो प्राचीन केंद्र हैं। संगमम् का समापन शनिवार को हुआ। यह ऐसे समय हुआ जब वाराणसी से करीब 218 किलोमीटर दूर अयोध्या में राम मंदिर का ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम कुछ सप्ताह बाद ही होना है।
14 दिवसीय काशी तमिल संगमम् कार्यक्रम में वाराणसी समेत देश के विभिन्न हिस्सों से आए संस्कृति प्रेमियों के अलावा तमिलनाडु और पुडुचेरी के 1,400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस सप्ताह की शुरुआत में, बनारस घराने के पंडित देवरत मिश्रा ने संगमम् के दौरान नमो घाट पर अपनी टीम के प्रदर्शन के दौरान भगवान राम को एक ‘बंदिश’ समर्पित की थी।
मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने 10 साल पहले ‘बंदिश’ की रचना की थी और मैंने इसे सार्वजनिक मंच पर गाया क्योंकि राम मंदिर अब एक वास्तविकता है…यह गीत भगवान राम के जन्म के बारे में है…‘‘अवध में कैसी धूम मची है, राम नाम ने लिये अवतार।’’
तीन सितार, एक ढोलक, एक बांसुरी और तबले का उपयोग करते हुए, मिश्रा और उनकी टीम ने भगवान राम को लेकर कई गीत प्रस्तुत किए, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
उन्होंने कहा, ‘वाराणसी में लोग अगले महीने होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बेहद उत्साहित हैं। हम 22 जनवरी को वाराणसी के घाटों पर इसका जश्न मनाएंगे, जब अयोध्या में भव्य समारोह चल रहा होगा।’’
यहां काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी के वेंकट रमण गणपति ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर वाराणसी में उत्साह के बारे में पंडित मिश्रा के विचारों को दोहराया।
गणपति ने कहा, ‘‘यह आने वाले एक त्योहार की तरह है…यहां भी उत्साह है…पीढ़ियों ने इसका इंतजार किया है। मैं भी उस दौरान अयोध्या की यात्रा करूंगा और ‘प्राण प्रतिष्ठा’ से कुछ दिन पहले कुछ अनुष्ठानों में भाग लूंगा।’’
काशी तमिल संगमम् में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने अयोध्या और वहां निर्माणाधीन मंदिर का भी दौरा किया।
1,400 प्रतिनिधियों को देश की सात पवित्र नदियों के नाम पर समूहों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक में 200 सदस्य शामिल थे – छात्रों का समूह (गंगा), शिक्षकों का समूह (यमुना), पेशेवरों का समूह (गोदावरी), आध्यात्मिक समूह (सरस्वती), किसानों और कारीगरों का समूह (नर्मदा), लेखकों का समूह (सिंधु) और व्यापारियों एवं उद्योगतियों का समूह (कावेरी)।
संगमम् में भाग लेने के लिए 8 दिसंबर तक 42,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,400 लोगों का चयन एक समिति द्वारा किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में अगले महीने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले शनिवार को एक हवाई अड्डे, एक पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन और 15,700 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी।
मंदिर का पहला चरण पूरा होने वाला है और प्रधानमंत्री 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेंगे।
भाषा अमित संतोष
संतोष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.