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Friday, 26 April, 2024
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अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार को खत्म करने के लिए कश्मीरी लोग मोदी के शुक्रगुज़ार हैं

श्रीनगर के गांवो और सड़कों पर लोग अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को अपशब्द बोलते हुए दिख रहे हैं.

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श्रीनगर : कश्मीर के दो प्रमुख राजनीतिक परिवार यानी की मुफ्ती परिवार और अब्दुल्ला परिवार अंतिम कगार पर हैं. इन परिवारों की स्थिति और मौजूदा हिरासत में होने पर भी घाटी के किसी भी व्यक्ति के आंखों में आंसू नहीं है.

अब्दुल्ला को चेश्मासाही में और मुफ्ती को हरि निवास में हिरासत में रखा गया है. इन दोनों नेताओं को अपनी पार्टी में चल रहे संकट के बारे में कोई ख़बर नहीं है. सरकार के आला अधिकारी के अनुसार, न ही कोई अखबार और न ही टीवी देखने की सुविधा इन नेताओं को मिल पा रही है.

दिप्रिंट पिछले तीन दिनों से दक्षिण कश्मीर के कई गांवों में गया जहां लोग इन नेताओं के खिलाफ बोल रहे थे. उन लोगों का मानना है कि इन नेताओं ने कश्मीर को लूटा है. लेकिन अभी तक इन परिवार के लोगों को ये बातें पता नहीं है.

अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद दोनों नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था जिसके बाद उन्हें हरिनिवास में रखा गया था. लेकिन कुछ दिनों में ही दोनों नेताओं के बीच झड़प हो गई जिसके बाद दोनों को अलग कर दिया गया था. अब्दुल्ला ने मुफ्ती पर आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार चलाई.


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एक अधिकारी का कहना है कि दोनों नेताओं को तात्कालिक रूप से हरिनिवास में रखा गया था. दोनों नेताओं के बीच हुई बहस का उनके शिफ्ट होने से कोई लेना देना नहीं है. फारूक अब्दुल्ला को श्रीनगर के उनके घर में नज़रबंद करके रखा है.

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अनुच्छेद-370 के तहत राज्य को विशेष दर्जा मिला हुआ था, इसके हटाए जाने के बाद पीडीपी और एनसी परिवार ने इसका कड़ा विरोध किया है. लेकिन ये दो नेता अपने पार्टी कैडर को संतुष्ट नहीं कर सके.

दिप्रिंट की टीम ने शनिवार को श्रीनगर पार्टी के मुख्यालय का दौरा किया और दक्षिण कश्मीर के खानाबल दफ्तर का भी दौरा किया. श्रीनगर के लाल चौक के पास पीडीपी का दफ्तर बंद पड़ा है. दफ्तर के बाहर कई सारे कुत्ते लोगों पर भौंक रहे हैं.

राजबाग स्थित नेशनल कांफ्रेंस का मुख्यालय भी लगभग बंद पड़ा है. किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है. पिछले तीन हफ्ते से कोई भी यहां नहीं आया है.

पास की ही एक दुकान जो आईसक्रीम, कॉफी के लिए प्रसिद्ध है वहां पर 4 युवा बैठकर धूप का आनंद ले रहे हैं. उन्हें भारतीय मीडिया से काफी दिक्कतें हैं लेकिन उन्हें रिपब्लिक टीवी पर अर्नब गोस्वामी काफी पसंद हैं. उन लोगों के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी विचारधारा के बारे में कहने के बहुत कुछ है लेकिन वो कश्मीर की भलाई के लिए मुफ्ती और अब्दुल्ला का परिवार खत्म होना बहुत जरूरी मानते हैं.

युवाओं का मानना है कि राज्य की मौजूदा हालातों के लिए दोनों परिवार ही जिम्मेदार हैं. लेकिन वो मानते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला जो कि उमर अब्दुल्ला के दादा थे उन्होंने कश्मीर के लिए काफी अच्छा काम किया. लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें काफी सालों तक जेल में बंद करवा दिया.

वहां मौजूद युवा हंसने लगे जब उनसे पूछा गया कि आने वाले चुनाव में चेहरा कौन होने वाला है.

उन्हीं में से एक डॉक्टर ने कहा कि कैसा चुनाव. श्रीनगर के मेयर 14 वोट हासिल करके जीत गए और डिप्टी मेयर को तो सिर्फ 1 वोट मिला था. फारूख अब्दुल्ला 14 प्रतिशत वोट से सांसद बने. ये बात बोलकर वो लोग वहां से चले गए. जाते जाते उन्होंने नारे लगाए- कश्मीर का केवल एक ही उपाय है वो है बंदूक. ऐसे नारे 1990 के दौरान भी कश्मीर में लगते थे.

उन युवा लोगों की बात सच होती नज़र आई जब उनके जाते ही पता चला कि राज्य सरकार ने वहां होने वाले ब्लॉक के चुनावों पर रोक लगा दी है.

दक्षिण कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग में भी लोगों की यही भावना देखने को मिली. खासकर दोनों राजनीतिक परिवार वालों के बारे में उनकी राय एक जैसी ही थी.

एनसी और पीडीपी के नेता और कार्यकर्ता इस दौरान कहीं नजर नहीं आए.


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शनिवार को पीडीपी और एनसी के अनंतनाग के खानाबल के दफ्तर में भी कोई नज़र नहीं आया. दफ्तर के बाहर केवल सुरक्षा बल नज़र आए. पिछले तीन हफ्तों से इस दफ्तर में कोई भी नहीं आया है.

ये स्थिति केवल एनसी और पीडीपी के दफ्तर के साथ नहीं है. राहुल गांधी शनिवार को जब विपक्षी दलों के नेताओं के साथ श्रीनगर पहुंचे थे तो उस दौरान श्रीनगर का कांग्रेस मुख्यालय भी बंद पड़ा था.

अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के बाद 150 से ज्यादा नेताओं को हिरासत में लिया गया है.

इन सबसे परे घाटी के लोगों का मानना है कि मोदी ने जो किया वो सही किया. पिछले महीने उन्होंने कहा था कि कुछ परिवारों की वजह से कश्मीर पीछे रह गया. जिन लोगों ने कश्मीर में राज किया उन्होंने मान लिया कि वो जो कर रहे हैं वो सब ठीक है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की वजह से यहां युवा नेतृत्व आगे नहीं बढ़ पाया.
कश्मीर के रहने वाले लोग फिलहाल उनकी बात से संतुष्ट हैं.

(इसे अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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