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Tuesday, 7 May, 2024
होमदेशकश्मीर में बंद से बौखलाए आतंकी, नई 'भर्ती' की तलाश में कर रहे हैं गावों का रुख

कश्मीर में बंद से बौखलाए आतंकी, नई ‘भर्ती’ की तलाश में कर रहे हैं गावों का रुख

सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में संचार प्रतिबंधों बाद से आतंकवादी लगभग 'बेअसर'हो गए हैं, वे सीमा पार एक-दूसरे से और अपने आकाओं से संपर्क करने में असमर्थ हैं.

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श्रीनगर: सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो कश्मीर में आतंकवादी हथियारों की कमी के कारण भले ही किसी बड़े हमले को अंजाम न दे पा रहे हों, लेकिन उन्होंने गांवों में अपनी आवाजाही को बढ़ा दिया है, ताकि अनुच्छेद 370 के बारे में जनता के गुस्से का फायदा उठाया जा सके.

वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि घाटी में इस समय लगभग 250 आतंकवादी हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से प्रत्येक को लगभग पांच ‘ओवरग्राउंड वर्कर्स’ द्वारा सहायता दी जा रही है, लेकिन एक-दूसरे के साथ और बॉर्डर पर अपने हैंडलर्स के साथ बातचीत करने में असमर्थता ने उन्हें लगभग ‘बेअसर’ कर दिया है.

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि संचार पर प्रतिबन्ध से घाटी के लोगों को असुविधा हो रही है, लेकिन यह केवल उनकी सुरक्षा के लिए है.’

खुफिया सूत्रों का ये भी कहना है कि 5 अगस्त के बाद से, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को रद्द करते हुए राज्यसभा में प्रस्ताव को पेश किया, ये आतंकवादी विशेष रूप से शुक्रवार की नमाज़ के दौरान और सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाते हुए दूर-दराज के गांवों का दौरा करते रहे हैं. संचार नेटवर्क की अनुपस्थिति में, उग्रवादियों को गावों में घूमते हुए और ग्रामीणों के साथ बातचीत करते हुए देखा गया है.

‘उनका मुख्य उद्देश्य ताजा भर्तियां करना है,’ सुरक्षा प्रतिष्ठान में एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा. ‘हमारी सबसे बड़ी चिंता 15 से 25 वर्ष के आयु वर्ग में प्रभावशाली और कमजोर युवाओं को लेकर है जिन्हे आसानी से भड़काया जा सकता है.’

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हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि यदि पाकिस्तान को ‘काबू’ कर लिया गया और ‘शरारत’ करने से रोका जा सकता है, तो लोगों का गुस्सा कुछ समय में शांत हो जायेगा जाएगा, क्योंकि वे भारत के साथ पूर्ण एकीकरण के ‘लाभ’, विकास और अन्य अवसरों को देख सकेंगे.

राज्य में सुरक्षा प्रतिष्ठान का आकलन यह है कि पाकिस्तान इस समय परेशानी पैदा करने के लिए किसी भी तरह के दुस्साहसी प्रयास करने से कतरा रहा है क्योंकि पुलवामा में हुए हमले के बाद बालाकोट हवाई हमलों की तर्ज पर भारतीय जवाबी कार्रवाई कि संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.

पुंछ और राजौरी सेक्टरों में घुसपैठ की कोशिशों कि एक घटना को छोड़कर, 5 अगस्त के बाद सीमा पार से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है.

‘लेकिन यह भी संचार जाम की वजह से हो सकता है. लोगों के बीच गुस्सा अस्थायी हो सकता है लेकिन उसके बाद हालत कैसा मोड़ लेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम पाकिस्तान को किस तरह से संभाल सकते हैं और घाटी में परेशानी पैदा करने से रोक सकते हैं.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि शोपियां और बारामुल्ला में 5 अगस्त से अब तक केवल दो मुठभेड़ हुई हैं – जिसके परिणामस्वरूप कम से कम चार आतंकवादी मारे गए.

पिछले कुछ वर्षों में, घाटी में राज्य के पुलिसकर्मियों से राइफल-स्नैचिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है जो इस बात कि तरफ इशारा करता है कि सीमा पार से हथियारों कि आपूर्ति कम पड़ रही है. अधिकारियों ने इसके लिए सीमा पर सुरक्षा बलों को कड़ी चौकसी को श्रेय दिया.

अधिकारी ने बताया, ‘घाटी में सक्रिय रहे लश्कर ए तैय्यबा अब जैश ए मोहम्मद को बढ़ावा देते हुए प्रतीत होता है. जैश ऐ मोहम्मद कि आतंकी गतिविधियों में पिछले कुछ समय में इजाफा हुआ है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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