नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (जेकेएसए) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के ‘भेदभावपूर्ण’ परिपत्र को वापस लेने का आग्रह किया है। जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों से निजी जानकारी मांगने वाले डीयू के परिपत्र पर जेकेएसए ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
हालांकि, विश्वविद्यालय ने इस कदम का बचाव करते हुए विद्यार्थियों की सुरक्षा और खुफिया जानकारी के आधार पर किये गए गृह मंत्रालय के अनुरोध का हवाला दिया।
आलोचना का जवाब देते हुए डीयू की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह निर्देश जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों की बेहतर सुरक्षा और संरक्षा के लिए जारी किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के कई हिस्सों में कश्मीरी विद्यार्थियों को परेशान किये जाने या उन पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने डेटा मांगा था और ताजा परिपत्र खुफिया जानकारी पर आधारित केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुरोध पर जारी किया जिसका संबंध विद्यार्थियों की संरक्षा से है।
कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की पृष्ठिभूमि में यह परिपत्र जारी किया गया है जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।
जेकेएसए ने छह मई को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि डीयू के कई महाविद्यालयों ने जम्मू-कश्मीर के छात्रों से उनके पते, संपर्क नंबर, ईमेल आईडी और पाठ्यक्रम के विवरण मांगे हैं, लेकिन यह मांग किसी अन्य राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विद्यार्थियों से नहीं की गई है।
संघ ने इस कदम को ‘समुदाय प्रोफाइलिंग’ करार दिया और इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। गृह मंत्री को दिए गए पत्र में जेकेएसए ने कहा, ‘‘सूचना केवल कश्मीरी विद्यार्थियों से मांगी जा रही है, जिससे लक्षित निगरानी की गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं। यह अनुचित निगरानी एकीकरण और अपनेपन के बजाय भय और बहिष्कार का माहौल बनाती है।’’
संघ ने चेतावनी दी कि इस तरह के उपायों से जम्मू-कश्मीर के छात्रों के अलग-थलग होने का खतरा है और उनके शैक्षणिक अनुभव में बाधा आ सकती है।
भाषा संतोष रंजन
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