नई दिल्ली: कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में नंगे पांव मार्च निकाला और मांग की कि घाटी में उन्हें स्थानांतरित करने के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करते हुए सरकार को उनकी सुरक्षा चिंताओं को दूर करना चाहिए.
कश्मीरी पंडितों ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदान किए गए अपने ‘जीवन के अधिकार’ की रक्षा के लिए सरकार से मांग करते हुए मार्च निकाला.
प्रदर्शनकारियों में से एक कहा, ‘हमने कश्मीर में 15 साल बिताए हैं. कश्मीरी पंडित स्थानांतरित करने के लिए एक व्यापक रोडमैप की मांग कर रहे हैं. संविधान दिवस के अवसर पर, हम कश्मीर में लोगों की जान बचाने की मांग करते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘कश्मीर के लोग इस लड़ाई में हमारे साथ हैं. लक्षित हत्याओं के कारण कश्मीरी पंडित बलि का बकरा बन रहे हैं. दूसरे राज्यों के प्रवासी कामगार मारे जा रहे हैं.’
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि लक्षित हत्याओं के कारण कश्मीर में उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से स्थिति पर ध्यान देने और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों से बात करने की मांग की.
प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘संविधान में हमारे जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. हम सरकार से शिक्षा और जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करने की मांग करते हैं, जिसका कश्मीर में उल्लंघन किया जा रहा है. जब तक घाटी में स्थिति ठीक नहीं हो जाती, हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें जम्मू स्थानांतरित किया जाए. कर्मचारी अपनी जान के अलावा कुछ नहीं मांग रहे हैं. प्रशासन को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और कर्मचारियों से बात करने के लिए आगे आना चाहिए. एलजी को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.’
कश्मीर में पिछले साल अक्टूबर से लक्षित हत्याओं का लगातार एक सिलसिला देखा जा रहा है. कश्मीर घाटी में लक्षित हत्याएं कश्मीर घाटी में पंचायती राज व्यवस्था द्वारा स्थापित शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बिगाड़ने और राजनीतिक रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच आतंक पैदा करने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थीं. चार्जशीट में यह दावे किए गए हैं.
सितंबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में अडूरा गांव के एक सरपंच की लक्षित हत्या के मामले में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों द्वारा सरपंच शब्बीर अहमद मीर की लक्षित हत्या के मामले में आतंकवाद रोधी एजेंसी ने जम्मू में एक विशेष एनआईए अदालत में आरोप पत्र दायर किया था.
मामला शुरू में 11 मार्च को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और 8 अप्रैल को एनआईए द्वारा फिर से दर्ज किया गया था.
एनआईए ने कहा था कि जांच से पता चला है कि पाकिस्तान से संचालित होने वाले प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के संचालकों ने सरपंच शब्बीर अहमद मीर की लक्षित हत्या को अंजाम देने के लिए कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादी सहयोगियों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स और घाटी में सक्रिय अपने संगठन के आतंकवादियों के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची थी.
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