श्रीनगर : लगभग एक महीने पहले जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा कारणों को लेकर 2 अगस्त को नोटिस जारी कर पर्यटकों और अमरनाथ के तीर्थ यात्रियों को कश्मीर से वापस जाने को कहा था. हालांकि, पर्यटक लौटे नहीं. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार अक्टूबर में, कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में 84 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
5 अगस्त को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने से पहले यह एडवाइजरी जारी की गयी थी. 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था, जिसने कश्मीर के पर्यटन को ध्वस्त कर दिया है.
2018 में 1 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच घाटी में आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 2,28,905 थी. इस वर्ष, यह आंकड़ा 24,019 पर था- इसमें अगस्त के पहले चार दिनों में पर्यटको की संख्या की बड़ी हिस्सेदारी थी.
जम्मू और कश्मीर की जीडीपी में पर्यटन की हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत है. 31 अक्टूबर को राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया.
जबकि 9 अक्टूबर को राज्य प्रशासन ने सुरक्षा को हटा दिया था, दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किये गए पर्यटन विभाग के डेटा के अनुसार कश्मीर में अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के बाद संचार बंद है और पर्यटन की स्थिति ख़राब है. पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले ने चिंता बढ़ा दी है.
सुरक्षा हटाए जाने के बाद केवल 7,378 पर्यटकों ने घाटी का दौरा किया है. अक्टूबर महीने में कुल पर्यटकों की संख्या 9,378 तक ही पहुंच पाई. पिछले साल इसी महीने में दर्ज 59,048 पर्यटकों की तुलना में 84 प्रतिशत की गिरावट है.
पिछले आठ वर्षों में सबसे अधिक 2017 में 1,33,220 पर्यटकों ने अक्टूबर में घाटी का दौरा किया था.
5 अगस्त से 9 अक्टूबर के बीच कश्मीर में कुल 8,404 पर्यटक आए- पिछले साल की इस अवधि में 1,85,057 पर्यटक आए थे, इसकी तुलना में 95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. कुल 8,404 पर्यटकों में से 7,031 घरेलू और 1,373 विदेशी थे.
आतंकी हमलों के बीच ‘ब्रांड कश्मीर’
पर्यटकों की घटती संख्या जम्मू और कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र के खस्ताहाल को बताती है, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा सुरक्षा एडवाइजरी के बावजूद 8,000 से अधिक पर्यटकों ने कश्मीर यात्रा की, यह दर्शाता है कि ‘ब्रांड कश्मीर’ कितना मज़बूत है.
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दिप्रिंट से बात करते हुए जम्मू और कश्मीर के पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वे दिसंबर में बेहतर स्थिति की उम्मीद कर रहे हैं, जो सर्दियों में की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.
हालांकि, 14 अक्टूबर से घाटी में अभूतपूर्व आतंकवादी हमले में 12 गैर-स्थानीय नागरिकों की हत्या कश्मीर के संघर्षशील पर्यटन उद्योग पर अनिश्चितता की छाया डाल रही है.
सोमवार को 14 अक्टूबर के बाद श्रीनगर में ग्रेनेड हमला तीसरा हमला है, जिसमें एक गैर-स्थानीय मारा गया और 35 अन्य घायल हो गए.
इस क्षेत्र में हमले ने राज्य सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है. घाटी में इंटरनेट, संचार पर लगातार जारी प्रतिबंध एक बड़ी चुनौती है.
कुलगाम हत्या
पिछले सप्ताह कुलगाम में पांच गैर-स्थानीय मजदूरों की हत्याओं ने तीन महीने से बड़े पैमाने पर नुकसान झेल रहे व्यवसायों में सुधार की उम्मीद को ख़त्म कर दिया, वे मजदूर पश्चिम बंगाल से थे, जहां से पर्यटक अक्टूबर और नवंबर के महीनों में कश्मीर घाटी में आते हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘आमतौर पर कश्मीर में पश्चिम बंगाल से अक्टूबर और नवंबर में दुर्गा पूजा की छुट्टियों के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. पश्चिम बंगाल के पांच मजदूरों की हत्या ने पूरे भारत में एक बुरा संदेश भेजा है.
अधिकारी ने यह भी कहा, इसके अलावा 131 मजदूरों को कश्मीर से निकालकर घर भेज दिया गया. हालांकि, पर्यटकों को लक्षित नहीं किया गया है, एक साथी राज्य के निवासियों की हत्या कश्मीर का दौरा करने से रोक सकती है. हालांकि, हमें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा.’
‘पृथ्वी पर सबसे सुरक्षित स्थान’
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा खतरे के बीच राज्य सरकार के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों के ट्रैवल एजेंटों ने पिछले महीने पर्यटन विभाग के साथ बैठक में ‘कश्मीर धरती की सबसे सुरक्षित जगह’ टैगलाइन के साथ एक विज्ञापन की आश्चर्यजनक मांग की थी.
एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ट्रैवल एजेंट चाहते थे कि विभाग कश्मीर पर्यटन पर एक टैगलाइन के साथ विज्ञापन जारी करे. वे जिस टैगलाइन को चाहते थे, वह थी ‘कश्मीर, पृथ्वी पर सबसे सुरक्षित जगह’ अब हम यह नहीं कह रहे हैं कि कश्मीर एक युद्ध क्षेत्र है, न ही हम कह रहे हैं कि जान और माल का कोई खतरा नहीं है. लेकिन, इस प्रकार की कोई टैगलाइन उपयुक्त नहीं होगी.
अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में पुलिस को अधिक आतंकवादी हमलों की आशंका के साथ पर्यटकों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता बनने की संभावना है.
राज्य प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ‘यहां की स्थिति के बावजूद पर्यटकों का कश्मीर में आना एक अच्छा संकेत है. पिछले तीन महीनों के दौरान 1,600 पर्यटकों ने गोंडोला केबल कार (गुलमर्ग में) का दौरा किया. यह भी एक सच्चाई है कि जिन लोगों ने राज्य का दौरा किया था, उनमें से अधिकांश ने अपने टिकट बुक कर लिए थे और रद्द करने पर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहते थे.
एक अन्य अधिकारी ने यह भी कहा, कश्मीर में संकट की स्थिति दिखाने वाले मीडिया के लोग पक्षपाती हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने यात्रा करने का फैसला किया. हमें यह भी देखना है पर्यटकों ने हाल ही में हिंसा की स्थिति को कैसे देखा. अक्टूबर व्यापार के लिए बुरा रहा है.
पर्यटक क्या कहते हैं
बच्चों के साथ घाटी घूमने आए महाराष्ट्र (ठाणे) के एक पर्यटक कुबेर शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने तीन महीने पहले अपने टिकट बुक कराए थे और उन्होंने ‘अफवाहों’ पर ध्यान नहीं दिया.
शर्मा ने कहा, ‘मैं अफवाहें सुना करता था. आज भी मैंने सुना है कि एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ है. लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या विश्वास करना चाहिए. विशेषकर बिना इंटरनेट के, मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता. लेकिन मेरा मानना है कि अगर भाग्य खराब हो तो ये ठाणे या कश्मीर कहीं भी आपके साथ हो सकता है.
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उनके मित्र और साथी रजत सहमत थे. हालांकि, दोनों ने कहा कि घाटी में बंद ने उनकी खरीदारी और भोजन की योजना को सीमित कर दिया है.
नागपुर के विजय मुले जैसे लोग कश्मीर में होने वाली घटनाओं को देखकर हैरान थे.
मुले ने कहा, यह मेरी छठी यात्रा है. मैं अपने परिवार के साथ आया हूं. मैं पूरी तरह से नहीं समझ पा रहा हूं कि यहां क्या हो रहा है. ऊपरी तौर पर यह कुछ ठीक दिखता है, लेकिन फिर आपको दुकानें बंद दिखती हैं. आपको पता है कि सब कुछ सही नहीं है. मैं यह भी जानता हूं कि हम लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए मजबूर करने के लिए पुलिस और सेना का उपयोग नहीं कर सकते.
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