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Friday, 17 May, 2024
होमदेश'डरने की ज़रूरत नहीं, शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ रही हूं'- हिजाब को लेकर तंग की गई मुस्लिम छात्रा बोली

‘डरने की ज़रूरत नहीं, शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ रही हूं’- हिजाब को लेकर तंग की गई मुस्लिम छात्रा बोली

एक कॉलेज में भगवा स्कार्फ धारी प्रदर्शनकारियों द्वारा ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच, मुस्किन ख़ान को परेशान किए जाने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. एक इंटरव्यू में उसने कहा, कि कॉलेज प्रबंधन उसके साथ है.

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उडुपी: एक लमहे के मुंहतोड़ जवाब में, बीबी मुस्कान ख़ान कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब के खिलाफ, भगवा स्कार्फ के प्रदर्शन के मुस्लिम विरोध का प्रतीक बन गई.

मंगलवार को मांड्या के एक कॉलेज में भगवा स्कार्फ पहने, और जय श्री राम का नारा लगाते कुछ लोगों द्वारा परेशान किए जाने के जवाब में, बुर्क़ा पहने और हवा में हाथ ऊपर उठाकर अल्लाहो अकबर का नारा लगाने वाली ख़ान का वीडियो, उन लोगों को लामबंद करने का एक ज़रिया बन गया, जो मांग कर रहे थे कि मुसलमान लड़कियों को, हिजाब के साथ कक्षाओं में बैठने की इजाज़त दी जाए.

दिप्रिंट के साथ टेलीफोन पर दिए एक इंटरव्यू में, जब उससे पूछा गया कि घटना से उसे क्या सीख मिली, तो ख़ान ने कहा, ‘हमें डरना नहीं चाहिए. किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है’.

उसने कहा, ‘ये जानकर मेरी हिम्मत बढ़ रही है, कि मेरी वजह से बहुत सी मुसलमान लड़कियां, अब अपने लिए डटकर खड़ी होने लगी हैं. मैं बहुत ख़ुश हूं क्योंकि हर कोई मेरी हिमायत कर रहा है’.

ख़ान को मांड्या में एक स्थानीय सेलिब्रिटी का दर्जा मिल गया है, और बहुत सी सियासी पार्टियों और समुदायों से, लोग उसके घर आ रहे हैं और सराहना कर रहे हैं, कि किस तरह अकेले दम पर वो उत्तेजित नज़र आ रही भीड़ के सामने डटी रही. उसे दूसरी जगहों से भी समर्थन मिला है, और कई सूबों में मुस्लिम संगठनों ने एकजुट होकर, मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने के अधिकार की मांग उठाई है.

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मुस्कान ने कहा, ‘हम कोई सांप्रदायिकता पैदा नहीं कर रहे हैं. मैं सिर्फ अपने अधिकार, अपनी शिक्षा के लिए लड़ रही हूं. बहुत सालों से हम हिजाब करते आ रहे हैं. किसी को ये अधिकार नहीं है कि हमें उसे हटाने के लिए कहे’.


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मंगलवार को क्या हुआ

मंगलवार को, मुस्कान रोज़ाना की तरह हिजाब और बुर्क़ा पहनकर अपने कॉलेज पहुंची, लेकिन गेट पर ही उसे कुछ लोगों के एक समूह ने रोक लिया, और कहा कि हिजाब हटाने के बाद ही, वो कॉलेज में दाख़िल हो सकती है.

उसने कहा, ‘मैंने उनकी परवाह नहीं की और कॉलेज में दाख़िल हो गई. फिर युवाओं के एक और ग्रुप ने ‘जय श्री राम’ के नारों के साथ मुझे परेशान करना शुरू कर दिया. उन्होंने मुझसे अपना हिजाब और बुर्क़ा उतारने के लिए कहा, और कहा कि मैं अपने ही कॉलेज में दाख़िल नहीं हो सकती. तभी मैंने जवाब में ‘अल्लाहो अकबर’ कहा’. उसने आगे कहा कि जिन लोगों ने उसे परेशान किया और धमकाया, वो उसके कॉलेज के नहीं थे.

मुस्कान ने कहा, ‘वो बाहरी लोग थे और मैं उन्हें नहीं पहचानती थी’.

ख़ान कहती हैं मेरी प्रिसिंपल, लेक्चरर्स मेरे साथ हैं

कॉमर्स की दूसरे वर्ष की छात्रा अपने संस्थान- पीईएस कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स- के प्रबंधन की सराहना करते नहीं थक रही.

मुस्कान ने कहा, ‘मेरे प्रिंसिपल मेरे साथ हैं, मेरे लेक्चरर्स मेरे साथ हैं. कभी किसी ने मुझसे हिजाब हटाने के लिए नहीं कहा. वो मुझसे सामान्य तरीक़े से कॉलेज आने के लिए कह रहे थे. वो मेरा संरक्षण कर रहे हैं’.

लेकिन, उसने अपेक्षा नहीं की थी कि विरोध का उसका तरीक़ा दूसरों को प्रेरित करेगा. उसने कहा कि वो सिर्फ अपनी संस्कृति का पालन कर रही है.

ख़ान ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये कॉलेज शिक्षा हर किसी के लिए है. उन्हें कोई हक़ नहीं है कि मुझसे हिजाब हटाने के लिए कहें. मुस्लिम लड़की होने के नाते हिजाब मेरे लिए एक प्राथमिकता है. वो अपनी संस्कृति पर चलते हैं, और हम अपनी संस्कृति का पालन कर रहे हैं’.

ये विवाद पिछले साल दिसंबर में शुरू हुआ था, जब उडुपी के वीमंस प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में (जहां कर्नाटक में 11वीं और 12वीं के समकक्ष कक्षाएं होती हैं) मुस्लिम छात्राओं ने इसका विरोध किया, कि उन्हें सर पर स्कार्फ पहनकर कक्षाओं में दाख़िल नहीं होने दिया गया. भगवा स्कार्फ पहने कुछ हिंदुओं के जवाबी विरोध के बीच, कई स्कूल-कॉलेजों ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं के लिए अपने दरवाज़े बंद कर लिए.

5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी करके, सभी स्कूल और कॉलेजों के लिए एक ड्रेस कोड जारी कर दिया, जिसमें ऐसी पोशाकों पर पाबंदी लगा दी गई, जो ‘समानता, अखंडता और सार्वजनिक क़ानून-व्यवस्था में विघ्न डालती हों’.

मामला इस सप्ताह कर्नाटक उच्च न्यायालय पहुंच गया, लेकिन बुधवार को कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया, और केस को एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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