बेंगलुरु, 15 जून (भाषा) वित्त वर्ष 2024-25 में 1,331.48 मेगावाट की सर्वाधिक पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करने के कारण कर्नाटक को देश में पवन ऊर्जा क्षमता में प्रथम स्थान दिया गया है।
राज्य के ऊर्जा मंत्री के. जे. जॉर्ज ने रविवार को बेंगलुरु में आयोजित ‘पवन-ऊर्जा: भारत के भविष्य को सशक्त बनाना’ थीम पर आयोजित वैश्विक पवन दिवस 2025 समारोह के दौरान केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी से यह पुरस्कार प्राप्त किया।
मंत्री जॉर्ज के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि कर्नाटक के बाद तमिलनाडु और गुजरात ने क्रमशः 1,136.37 मेगावाट और 954.76 मेगावाट ऊर्जा क्षमता की वृद्धि हासिल की।
जॉर्ज ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कहा, ‘‘यह केवल एक संख्या नहीं है – यह स्वच्छ ऊर्जा के प्रति कर्नाटक की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है।’’
उन्होंने कहा कि सक्रिय नीतियों, कार्यान्वयन क्षमताओं और दूरदर्शिता ने कर्नाटक को अक्षय ऊर्जा परिदृश्य में अग्रणी बना दिया है।
उन्होंने बताया कि एक ही वर्ष में 1,331 मेगावाट की वृद्धि एक स्थायी भविष्य के लिए पवन ऊर्जा का दोहन करने में राज्य की क्षमता को दर्शाती है।
उनके अनुसार, कर्नाटक की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता अब 7,351 मेगावाट है और यह अक्षय ऊर्जा में इसके निरंतर नेतृत्व का प्रमाण है।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह उपलब्धि बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को निष्पादित करने और उद्योगों, किसानों और घरों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने की हमारी क्षमता का प्रतीक है।’’
इस अवसर पर जोशी ने कहा कि उन्हें कर्नाटक में वैश्विक पवन दिवस मनाना विशेष रूप से सार्थक लगा क्योंकि यह पवन ऊर्जा के मूल प्रतीक हनुमान की भूमि है।
जोशी इस मान्यता का जिक्र कर रहे थे कि कर्नाटक में हम्पी प्राचीन किष्किंधा था, जो रामायण युग का वानर साम्राज्य था और जहां हनुमान का जन्म हुआ था।
कर्नाटक के अतिरिक्त मुख्य सचिव गौरव गुप्ता ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता अब दक्षिण अफ्रीका, पुर्तगाल और न्यूजीलैंड जैसे देशों की संयुक्त क्षमता से अधिक है तथा यह स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के बराबर है।
भाषा सुरभि रंजन
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