बेंगलुरु, 14 सितंबर (भाषा) कर्नाटक सरकार ने सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अपने प्रस्तावित तथ्य-जांच निकाय के लिए बृहस्पतिवार को एक रूपरेखा सामने रखी।
कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी (आईटी/बीटी) मंत्री प्रियांक खरगे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में प्रस्तावित निकाय की संरचना के बारे में विवरण साझा करते हुए कहा कि यह ‘‘गलत सूचना से निपटने के लिए एक प्रकोष्ठ’’ होगा, जिसमें एक निगरानी समिति, समीक्षा के लिए एक संपर्क बिंदु और नोडल अधिकारी होंगे।
उन्होंने कहा कि टीम तथ्य जांच करने और संचार के प्रबंधन का काम देखेगी। उन्होंने कहा कि इसमें एक विश्लेषणात्मक टीम भी होगी जो सूचना पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी और प्रारंभिक खुफिया जानकारी प्रदान करेगी।
इसमें एक क्षमता निर्माण टीम भी होगी जो जनता के लिए जागरूकता अभियानों पर ध्यान देगी।
कर्नाटक पुलिस ने राज्य सरकार की वाणिज्यिक वाहन रियायत योजना के बारे में गलत जानकारी देने के आरोप में एक हिंदी समाचार चैनल और उसके सलाहकार संपादक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी थी।
प्रियांक खरगे ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मुख्य निर्वाचन आयोग से लेकर सीजीआई और प्रधानमंत्री तक इस बात से सहमत हैं कि फर्जी खबरें लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और ऐसी कई रिपोर्ट हैं जिनसे पता चलता है कि फर्जी खबरें, गलत सूचना और दुष्प्रचार हमारे समाज में अराजकता पैदा कर रहे हैं। संविधान के दायरे में रहते हुए, हम गलत सूचना और फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए एक कार्यकारी मॉडल लेकर आ रहे हैं।’’
प्रस्तावित संरचना के अनुसार, निगरानी समिति में विभिन्न पृष्ठभूमि के प्रमुख सदस्य शामिल होंगे जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख; अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया/सीआईडी); सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का एक प्रतिनिधि; कर्नाटक नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी सोसाइटी के प्रबंध निदेशक (एमडी), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर विज्ञान के डीन; अतिरिक्त महाधिवक्ता आदि शामिल हैं।
मंत्री ने कहा मॉडल पारदर्शी, गैर-राजनीतिक और निष्पक्ष होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस मॉडल के तहत प्राथमिक स्रोतों पर भरोसा किया जायेगा और संदर्भित सभी स्रोतों का खुलासा करेगा।’’
खरगे ने कहा कि ऐसे मामलों को जिनमें समाज में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा दिखता है या सोशल मीडिया मंचों पर फर्जी खबरें पोस्ट की जाती है, तो इन्हें गृह विभाग को भेज दिया जाएगा ताकि शिकायत दर्ज की जा सके और आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘हर सोशल मीडिया मंच की अपनी सार्वजनिक नीति होती है और यदि सामग्री को हटाने की जरूरत होती है, तो संबंधित सोशल मीडिया मंच को इस बारे में सूचित किया जायेगा।’’
प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बार सामग्री जनता के सामने आने के बाद, तथ्य-जांच एजेंसियां जांच शुरू करेंगी, प्रारंभिक विश्लेषण करेंगी और तदनुसार, अपने निष्कर्ष राज्य सरकार को सौंपेंगी। उन्होंने कहा कि और यदि सामग्री को ब्लॉक करने की जरूरत होती है, तो इसे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जायेगा।
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश
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