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शनिवार, 14 जून, 2025
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कर्नाटक: वन विभाग ने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए ‘रेडियो कॉलर’ विकसित किया

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(तीसरे पैरा में शब्दों में बदलाव के साथ रिपीट)

बेंगलुरु, पांच फरवरी (भाषा) कर्नाटक के पर्यावरण मंत्री ईश्वर खांडरे ने वन विभाग द्वारा तैयार केपी ट्रैकर की बुधवार को शुरुआत की। यह ट्रैकर एक स्वदेशी जीएसएम आधारित ‘रेडियो कॉलर’ है, जिसे हाथियों पर लगाया जाएगा।

वन विभाग ने इस ट्रैकर को इन्फिक्शन लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से हाथियों की निगरानी के लिए विकसित किया है ताकि मानव-हाथी संघर्ष को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके।

कर्नाटक में निर्मित ये ‘रेडियो कॉलर’ सस्ते होने के साथ ही तत्काल इस्तेमाल के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इन्हें पर्यावरण अनुकूल चीजों का उपयोग कर बनाया गया है ताकि पारिस्थितिकी तंत्र पर कम प्रभाव पड़े।

मंत्री ने कोडागु, चिक्कमगलुरु और हासन के रिहायशी इलाकों में हाथियों के घूमने की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि स्थानीय लोगों को अब हाथियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी हथनियों पर लगाए गए ‘रेडियो कॉलर’ के माध्यम से दी जाएगी।

हथनियां आमतौर पर झुंड का नेतृत्व करती हैं।

उन्होंने कहा कि इस पहल से हाथियों के आतंक को रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है।

ये ‘रेडियो कॉलर’ अब बांदीपुर और नागरहोल टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं।

खांडरे के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या 6,395 है, जो देश में सबसे अधिक है। चूंकि हाथियों की बढ़ती आबादी के अनुपात में वन क्षेत्र का विस्तार नहीं हो रहा है, इसलिए मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार हाथियों पर ‘रेडियो कॉलर’ लगाकर स्थानीय लोगों को समय पर सूचना देने के लिए काम कर रही है, जिससे मानव और हाथी दोनों की जान सुरक्षित रहेगी।

मंत्री ने कहा, “अब तक ये ‘रेडियो कॉलर’ दक्षिण अफ्रीका स्थित संगठन अफ्रीका वाइल्डलाइफ ट्रैकिंग (एडब्ल्यूटी) और जर्मनी स्थित संगठन वेक्टरोनिक से आयात किए जाते थे। ये कॉलर आसानी से उपलब्ध नहीं थे और प्रत्येक की कीमत 6.5 लाख रुपये थी लेकिन अब घरेलू स्तर पर विकसित रेडियो कॉलर की कीमत सिर्फ 1.80 लाख रुपये है।”

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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