बेंगलुरु, 28 अप्रैल (भाषा) विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत से अनुरोध किया कि विधानसभा से उसके 18 विधायकों के निलंबन को रद्द किया जाए।
उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि वह विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर को विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें और उन्हें जनप्रतिनिधियों के रूप में अपनी जिम्मेदारियां फिर से संभालने में सक्षम बनाएं।
एक अभूतपूर्व कदम के तहत, 21 मार्च को कर्नाटक विधानसभा से 18 भाजपा विधायकों को ‘अनुशासनहीनता’ दिखाने और आसन का ‘अनादर’ करने के मामले में छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था और सदन से बाहर नहीं जाने पर उन्हें मार्शलों द्वारा बाहर निकाला गया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘….हम आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि कृपया कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष को राज्य में मुख्य विपक्षी दल के 18 विधायकों पर लगाए गए निलंबन आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें।’’
उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि ‘‘निलंबन रद्द किया जाए, ताकि संबंधित विधायक लोगों के प्रतिनिधियों के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को फिर से निभाना शुरू कर सकें। और कर्नाटक राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।’’
बजट सत्र के अंतिम दिन विधायकों के निलंबन का आदेश जारी किया गया था। भाजपा विधायकों ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना के खिलाफ कथित ‘हनी-ट्रैप’ मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी।
निलंबित किए गए विधायकों में भाजपा के मुख्य सचेतक डोड्डान गौड़ा पाटिल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सी एन अश्वथ नारायण, एस आर विश्वनाथ, बी ए बसवराजू, एम आर पाटिल, चन्नाबसप्पा, बी सुरेश गौड़ा, उमानाथ कोट्यान, शरणु सालगर, डॉ. शैलेन्द्र बेलदाले, सी के राममूर्ति, यशपाल सुवर्णा, बी पी हरीश, भरत शेट्टी, धीरज मुनिराजू, चंद्रू लमानी, मुनिरत्न और बसवराज मत्तीमुद शामिल हैं।
भाषा वैभव नरेश
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