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Tuesday, 5 November, 2024
होमडिफेंस'जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे', कारगिल विजय दिवस पर बोले राजनाथ सिंह- राष्ट्र का सम्मान सबसे ऊपर

‘जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे’, कारगिल विजय दिवस पर बोले राजनाथ सिंह- राष्ट्र का सम्मान सबसे ऊपर

रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज़ से ऊपर है, और इसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं.

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नई दिल्ली: कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के लिए लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा, कारगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था. उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था.

रक्षा मंत्री ने कहा, “उस समय अगर हमने LoC पार नहीं किया, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम LoC पार नहीं कर सकते थे. हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे. मैं इसे फिर से दोहराना चाहूंगा, कि हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे; इसका मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की रक्षा के लिए 1999 में देश के सैनिकों ने जो वीरता और शौर्य का प्रदर्शन किया वह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

उन्होंने कहा, “आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं क्योंकि किसी समय में 0 डिग्री से कम तापमान में हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें कभी नीचे नहीं की. आज कारगिल में भारत का ध्वज इसलिए लहरा रहा हैं क्योंकि 1999 में भारत के सैनिकों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मनों की छाती में तिरंगा लहरा दिया था.”

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करगिल विजय दिवस के मौके पर बुधवार को उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर भारत की विजय के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘करगिल विजय दिवस भारत के उन अद्भुत पराक्रमियों की शौर्यगाथा को सामने लाता है, जो देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणाशक्ति बने रहेंगे. इस विशेष दिवस पर मैं उनका हृदय से नमन और वंदन करता हूं. जय हिंद!’’

भारतीय सेना ने 1999 में लद्दाख की अहम चोटियों पर अवैध तरीके से कब्जा करने वाली पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए एक भीषण जवाबी हमला किया था. करगिल विजय दिवस भारत की अपने पड़ोसी पर जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “मैं उन वीर सपूतों को सलाम करता हूं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. मैं उन वीर सपूतों को सलाम करता हूं, जिन्होंने देश को सबसे पहले रखा और इसके लिए अपने जीवन का बलिदान देने में संकोच नहीं किया.”

उन्होंने कहा, मैं कारगिल युद्ध में शहीद हुए सभी वीर सैनिकों के परिवारों, और शुभचिंतको को आश्वस्त करना चाहता हूं, कि हम उनके बलिदान को, उनकी याद को कभी धुंधला नहीं पड़ने देंगे. National War Memorial हमारी इस प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं.

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी कारगिल युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की, जबकि नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भी बहादुरों की याद में पुष्पांजलि अर्पित की. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भी कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.

हमारी सेना पीछे नहीं हटेगी

रक्षा मंत्री ने कहा, आज, कारगिल विजय दिवस पर मैं एक बात हमारे देशवासियों से जरूर कहना चाहूंगा. वह यह, कि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज़ से ऊपर है, और इसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं.

उन्होंने कहा, “हमने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया, कि जब बात हमारे राष्ट्रीय हितों की आएगी, तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी. हम आज भी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, सामने चाहे कोई भी हो.

इससे पहले, मंगलवार को सेना ने द्रास के लामोचेन में स्मरणोत्सव कार्यक्रम पर एक प्रेस वार्ता की. ब्रीफिंग की शुरुआत 1999 में सामने आए कारगिल संघर्ष में जवानों की वीरता और बलिदान को दर्शाने वाली लड़ाइयों के ऑडियो-विज़ुअल वर्णन के साथ हुई.

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा, “कारगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था. उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया. स्वयं अटल जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था. लेकिन पाकिस्तान द्वारा हमारी पीठ में खंजर घोंप दिया गया.”

सिंह ने आगे कहा हम यह जानते हैं, कि जब तक आप सीमाओं पर हमारी रक्षा कर रहे हैं, भारत की ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत भी किसी के अंदर नहीं हो सकती है. सिर्फ कारगिल ही नहीं, बल्कि आज़ादी से लेकर आज तक कई बार, समय-समय पर आप लोगों के शौर्य ने देश का मस्तक ऊंचा किया है.

रक्षा मंत्री ने कहा, “युद्ध में सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती बल्कि कोई भी युद्ध दो राष्ट्रों के बीच होता है; उनकी जनता के बीच होता है. आप देखिए, कि किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से सेनाएं तो भाग लेती ही हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से आप देखें, तो उस युद्ध में किसान से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व कई सारे पेशों के लोग शामिल होते हैं.”

उन्होंने कहा, हाल के दिनों में युद्ध जिस तरह से लंबे खिंचते जा रहे हैं, आने वाले समय में जनता को सिर्फ अप्रत्यक्ष रूप से ही नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष रूप से भी युद्ध में शामिल होने के लिए तैयार रहना चाहिए. मेरा यह मानना है, कि जनता को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा, कि जब भी राष्ट्र को उनकी आवश्यकता पड़े, वह सेना की सहायता के लिए तत्पर रहें. इसलिए मैं देश की जनता से यह कहना चाहता हूं, कि जिस प्रकार से हर एक सैनिक भारतीय है, उसी प्रकार से हर एक भारतीय को भी एक सैनिक की भूमिका निभाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.


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