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Thursday, 21 November, 2024
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सीएए पर बयान पार्टी रुख के खिलाफ जाने पर कपिल सिब्बल बोले- लड़ाई जारी रहेगी

सिब्बल की सीएए टिप्पणी से सहमति जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील सलमान खुर्शीद बोले- अगर कुछ क़ानून की किताब पर है, तो मानना ​​होगा.

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नई दिल्ली: सीएए पर कपिल सिब्बल का बयान पार्टी के खिलाफ जाने पर उन्होंने लड़ाई जारी रखने के बात कही है. कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इसे संवैधानिक घोषित करेगा तो यह समस्याग्रस्त हो जाएगा. वहीं राज्य इसका विरोध कर रहे हैं.

सिब्बल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि सीएए असंवैधानिक है. हर राज्य विधानसभा को एक प्रस्ताव पारित करने और इसे वापस लेने का संवैधानिक अधिकार है. जब और जब कानून को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संवैधानिक घोषित किया जाता है तो इसका विरोध करना समस्याग्रस्त होगा. लड़ाई जारी रहेगी.’

सलमान खुर्शीद ने कपिल सिब्बल से जताई सहमति

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील ने कहा कि अगर कुछ क़ानून की किताब पर है, तो आपको उसका पालन करना होगा, अन्यथा दूसरे नतीजे हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कपिल सिब्बल के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि राज्य संसद द्वारा पारित कानून को ‘ना’ नहीं कर सकता.

खुर्शीद ने शनिवार को कहा, ‘अगर एससी हस्तक्षेप नहीं करता है, तो यह क़ानून की किताब पर बना रहेगा. अगर क़ानून की किताब में कुछ है, तो आपको कानून का पालन करना होगा, अन्यथा इसके परिणाम भी होंगे.’

खुर्शीद ने आगे कहा, ‘जहां तक ​​इस (सीएए) कानून का सवाल है तो यह एक ऐसा मामला है जिस प राज्य सरकारों का केंद्र के साथ बहुत गहरा मतभेद है, इसलिए, हम एससी की अंतिम घोषणा का इंतजार करेंगे. अंततः ‘एससी फैसला करेगा और तब तक सब कुछ कहा, किया, न किया हुआ अनंतिम और अस्थायी है.’

सीएए लागू करने से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता, ऐसा करना असंवैधानिक: कपिल सिब्बल

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा.

पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कहा, ‘जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं. लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है.’

केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है.

वरिष्ठ वकील और नेता ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे.

उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे.
उन्होंने कहा, ‘एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे. अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे.’

सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी.

सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को ‘नेता’ और ‘भारत के लोगों’ के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के ‘छात्र, गरीब और मध्य वर्ग’ आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल.

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