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Saturday, 20 April, 2024
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कपिल सिब्बल को कांग्रेस को शर्मसार करने की आदत पड़ गई है

भाजपा ने लंदन में आयोजित ‘ईवीएम हैकिंग’ प्रेस कांफ्रेस में कपिल सिब्बल की मौजूदगी को लेकर कांग्रेस पर कार्यक्रम आयोजन कराने का निशाना साधा

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नई दिल्ली: सोमवार को लंदन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में अमेरिका में बसे और भारत में ईवीएम मशीन पर काम करने का दावा करने वाले कथित साइबर एक्सपर्ट ने भाजपा पर ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में धांधली हुई थी. लेकिन कथित हैकर कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत करने में नकामयाब रहा.

हालांकि, कार्यक्रम में कपिल सिब्बल की मौजूदगी से यहां भाजपा की जगह विपक्षी कांग्रेस फंसते हुए नजर आ रही है. बीजेपी ने न केवल सिब्बल की मौजदूगी पर सवाल उठाए, बल्कि दावा किया कि इंडियन जर्नलिस्ट एसोशिएसन द्वारा आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में कांग्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु संघवी ने भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि पार्टी का इस आयोजन से कोई संबंध नहीं है और सिब्बल वहां कांग्रेस का प्रतिनिधत्व नहीं कर रहे थे, बल्कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और एक बार फिर सिब्बल ने कांग्रेस को पाशोपेश में डाल दिया है.

पुराने किस्से

2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वरिष्ठ वकील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि अयोध्या मामले पर फैसला 2019 लोकसभा चुनाव के बाद दिया जाए, क्योंकि फैसले से चुनावी नतीजों पर असर पड़ सकता है. कांग्रेस ने सिब्बल के बयान से किनारा कर लिया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके इस बयान को झपटते हुए राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

हाल ही में मोदी ने कांग्रेस को घेरते हुए राम मंदिर मुद्दे में देरी लगने का भी आरोप लगाते हुए इशारा किया कि भाजपा ने कोर्ट में दिए गए सिब्बल के मत से एनडीए सरकार की मंदिर मुद्दे की निष्क्रियता पर पलटवार किया.

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पिछले साल भी जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी को राफेल मुद्दे पर लगातार घेरते हुए अनिल अंबानी की तरफदारी करने का आरोप लगा रहे थे, उस समय सिब्बल अपने पार्टी को धोखा देते हुए, अनिल अंबानी के रिलांयस इंफोकॉम लिमिटेड की संपत्ति को उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के रिलांयस जियो को बेचे जाने वाले मामले में, अनिल अंबानी की तरफ से केस लड़ा था. भाजपा द्वारा इस मुद्दे की आलोचना करने के बाद कांग्रेस ने अंबानी का बचाव करते हुए कहा कि सिब्बल एक वकील हैं और यह उनका पेशा है.

अप्रैल 2018 में सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने वाले प्रस्ताव का नेतृत्व किया था. हालांकि, तब राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने सिब्बल द्वारा प्रस्तावित और 65 सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किए गए महाभियोग के प्रस्ताव को इस आधार पर खारिज कर दिया कि ये केवल आरोपों का पुलिंदा है. यही नहीं उन्होंने यहां तक कह दिया कि आरोप लगाने वाले खुद ही आश्वस्त नहीं थे.

बाद में सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दो कांग्रसी सांसदों द्वारा नायडू के फैसले के खिलाफ दायर याचिका का भी समर्थन किया था. हालांकि मई 2018 में उन्होंने याचिका वापस ले लिया.

साल 2011. केंद्र में यूपीए की सरकार थी और दुरसंचार मंत्री थे कपिल सिब्बल. उस समय वे 1.76 हजार करोड़ के ‘टूजी’ घोटालों पर घिरी सरकार के बचाव के लिए ‘जीरो लॉस थ्योरी’ लाए थे. उनके इस थ्योरी ने उस समय उपजे टूजी घोटाले विवाद में आग में घी डालने का काम किया. यद्यपि 2017 में स्पेशल कोर्ट ने घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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