लखनऊ: कानपुर में शुक्रवार को भड़की हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने शनिवार को एक स्थानीय इस्लामिक एनजीओ के मुखिया समेत कई और लोगों को गिरफ्तार किया है. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इस हिंसक विरोध के बीच तार जुड़े होने के आरोपों की भी जांच की जा रही है.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर हो रही एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों के विरोध में शहर के नई सड़क और दादा मियां इलाकों में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा रखे गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ पथराव पर उतर आई थी. हिंसा में कई लोगों के घायल होने की खबर है.
शनिवार को मीडियाकर्मियों के साथ बात करते हुए, कानपुर के पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा ने बताया कि शुक्रवार को इस मामले में कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उसके अगले दिन छह अन्य को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज तीन अलग-अलग प्राथमिकियों में कुल 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
कानपुर पुलिस की अपराध शाखा ने शनिवार को एक स्थानीय एनजीओ मौलाना मोहम्मद अली (एमएमए) जौहर फैन्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी; इस एनजीओ के प्रदेश अध्यक्ष जावेद अहमद ; और इसके एक सदस्य मोहम्मद राहिल की गिरफ्तारी की पुष्टि की. साथ ही, मोहम्मद सूफियान नाम के एक अन्य व्यक्ति को भी हिरासत में लिया गया.
कानपुर पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि कानपुर शहर के चार निवासियों को लखनऊ के हजरतगंज में अहमद के स्वामित्व वाले एक यूट्यूब चैनल के कार्यालय से गिरफ्तार किया गया था, जहां वे कथित तौर पर हिंसा के बाद भाग कर छिपे हुए थे.
इस बीच, कानपुर स्थित सूफी खानकाह एसोसिएशन (एसकेए) ने आरोप लगाया है कि इस पूरी घटना के तार पीएफआई से जुड़े हैं. एसकेए खुद को राष्ट्रवादी सूफियों का एक संगठन बताता है. यह एक ऐसा इस्लामी संप्रदाय है जो इस्लामी रूहानियत, मजहबी तौर-तरीकों, बैरागीपन और रहस्यवाद पर केंद्रित है.
बता दें कि पीएफआई उन कई मुस्लिम संगठनों में शामिल है, जिन्होंने कथित तौर पर भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग का समर्थन किया था.
एक चरमपंथी इस्लामी संगठन माने जाने वाले पीएफआई का नाम 2006 में इसकी स्थापना के बाद से कई सारे राजनीतिक संघर्षों और आतंकी घटनाओं में सामने आया है. हाल फिलहाल में, पीएफआई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 और कर्नाटक में भड़के हिजाब विवाद के विरोध में कथित रूप से शामिल होने के लिए चर्चा में रहा है.
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‘पीएफआई से संबंध साबित हो तो इस संगठन पर प्रतिबंध लगाएं’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कानपुर की वीवीआईपी यात्रा के दिन, जो हिंसा के दिन के साथ मेल खाता है, से कुछ समय पहले शहर के कई इलाकों में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणियों के विरोध में ‘बाजार बंद’ का आह्वान करने वाले और बिना किसी की पहचान वाले पोस्टर लगाए गए थे.
3 जून को हुई हिंसा के वीडियो, जिन्हें दिप्रिंट ने भी देखा है, प्रदर्शनकारियों को पत्थरों और ईंटों से वार करते दिखाते हैं. इसकी पृष्ठभूमि में गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है. प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित तौर पर गोलियां चलाने की खबरें भी आईं हैं.
शनिवार को और भी कुछ वीडियो सामने आए जिनमें पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करते और कुछ स्थानीय लोगों को उनके कपडे पकड़कर घसीटते हुए दिखाया गया है. दिप्रिंट के पास मौजूद एक अन्य वीडियो में पुलिस एक प्रदर्शनकारी को बार-बार मारती हुई दिखाई दे रही है. इसी वीडियो में उसे घसीट कर ले जाया जा रहा है और उसे गालियां दी जा रही हैं.
एसकेए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी के अनुसार, लोगों को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करना और इसके लिए जुम्मे (शुक्रवार) का दिन चुनना, जब मुसलमान बड़ी संख्या में मस्जिदों में आते हैं, और साथ ही उस शहर और जिले का चयन करना जहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक साथ दौरा कर रहे थे, इन घटनाओं और पीएफआई के बीच ‘बहुत बड़े संबंध’ की तरफ इशारा करते हैं.
शुक्रवार देर रात प्रेस को दिए एक बयान में मजीदी ने कहा, ‘सूफी खानकाह एसोसिएशन लंबे समय से (अधिकारियों) को इस बारे में आगाह कर रहा है कि कानपुर का पीएफआई के साथ कोई न कोई जुड़ाव (कनेक्शन) है. उनकी इसी चेतावनी की पृष्ठभूमि में स्थानीय गुंडों के गिरोह और उसके (पीएफआई) बीच के तार जुड़े होने (लिंक) की जांच की जा रही है. इसलिए, मैं केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि एक उच्चस्तरीय समिति को इस सारी घटना की जांच करनी चाहिए और यदि पीएफआई के साथ इसके संबंध पाए जाते हैं, तो इस संगठन को बिना किसी और देरी के प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.’
इस बीच, पीएफआई के राज्य कोषाध्यक्ष के.एच.नाज़र को केरल में कथित रूप से नफरत फ़ैलाने वाला भाषण देने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया है. नाज़र उस रैली के आयोजकों में से एक थे, जहां एक बच्चे को एक वीडियो में हिंदू और ईसाई विरोधी नारे लगाते हुए सुना गया था. तब के बाद से यह वीडियो वायरल हो गया है.
कानपुर पुलिस के सूत्रों का कहना है कि वे एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के हाशमी और पीएफआई के बीच के संबंधों की जांच कर रहे हैं.
इससे पहले, पीएफआई के पांच कार्यकर्ताओं को सीएए विरोधी प्रदर्शनों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस सूत्रों का कहना है कि वे अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या उन कार्यकर्ताओं का हाशमी से भी कोई संबंध था. पुलिस द्वारा दिए गए के एक बयान के अनुसार, शनिवार को गिरफ्तार किए गए चारों लोगों ने अब तक छह अन्य लोगों की संलिप्तता की बात स्वीकार की है, जिन्हें और आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाएगा.
नाम गुप्त रखे जाने की शर्त पर कानपुर पुलिस के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस बात की जांच की जाएगी कि क्या उपद्रव करने वालों का किसी संगठन से कोई संबंध है या उन्हें किसी के द्वारा पैसा दिया गया है. उनके बैंक खातों की भी जांच की जाएगी ताकि उनके पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कसा जा सके.’
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि वे हाशमी के बैंक खातों के साथ-साथ उनके सहयोगियों और उनके संगठनों के माध्यम से किए गए लेन-देन की भी जांच की जाएगी’
बयान में आगे कहा गया है कि शनिवार को गिरफ्तार किए गए चार लोगों के पास से छह मोबाइल फोन और कई सारे दस्तावेज बरामद किए गए हैं.
कानपुर, लखनऊ में बढ़ी सतर्कता
इस बीच, कानपुर के कई इलाकों में तनाव अभी भी बना हुआ है और बेकन गंज, यतीम खाना और नई सड़क जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में कुछ ही दुकानें खुली हैं.
4 जून को मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने कहा कि इस मामले के आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाए जाने की सिफारिश भी की जाएगी और उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा.
शनिवार को कानपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया और जिले में प्रांतीय सशस्त्र पुलिस (प्रोविंशियल आर्म्ड कोर- पीएसी) की 12 कंपनियों को तैनात किया गया है.
लखनऊ पुलिस ने एक अलर्ट जारी कर कवि मुनव्वर राणा की बेटी और समाजवादी पार्टी नेता सुमैया राणा के घर के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया है. भाजपा प्रवक्ता शर्मा के खिलाफ कानपुर में कथित रूप से धरना देने की योजना बना रही इन सपा नेता को नजरबंद कर दिया गया है. उन्होंने शनिवार को ट्वीट किया: ‘पुलिस ने आज एक बार फिर मेरे घर को छावनी में बदल दिया है’.
पुलिस ने आज फिर मेरे घर को छावनी बनाया @yadavakhilesh @aajtak @News18India @News18UP @news24tvchannel @juhiesingh @ETVUPpolitics @IndiaNews_itv @786uroosaRana @JollyKhans pic.twitter.com/Zu9nQTjiHQ
— Sumaiya Rana (@RanaSumaiya) June 4, 2022
— Sumaiya Rana (@RanaSumaiya) June 4, 2022
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक लखनऊ पुलिस ने कानपुर में मुस्लिम समूहों के साथ शांति बैठक भी की है और वे मौलवियों के संपर्क में हैं.
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