कानपुर: कानपुर के चौबेपुर थाने के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश डालने पहुंचे पुलिस बल पर घात लगाकर हमला किया गया जिसमें सीओ (सर्किल ऑफिसर) समेत 8 पुलिसकर्मी मारे गए. सात पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए हैं. पुलिस बल विकास दुबे को एक व्यक्ति को जान से मारने के प्रयास में दर्ज मुकदमें के मामले में गिरफ्तार करने पहुंची थी.
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे व उसके साथी पुलिसकर्मियों पर गोली बरसाने के बाद एक एके-47 रायफल,एक इंसास रायफल, 3 पिस्टल भी लूटकर ले गए. फिलहाल सभी आरोपियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन जारी है.
इस दिल दहला देने वाली घटना का मुख्य आरोपी विकास दुबे अभी फरार और पुलिस की तलाश में लगी है. फिलहाल कानपुर से बाहर निकलने के सारे रास्तों पर पुलिस गहन तलाशी ले रही है.
आठ पुलिस कर्मियों के मारे जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है, मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि हमारे जवानों का यह बलिदान किसी भी स्थिति में व्यर्थ नहीं जाएगा.’
वहीं शहीदों को श्रद्धांजलि देने खुद कानपुर पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि ‘यूपी सरकार शहीद के परिवारजनों को एक- एक करोड़ रुपये की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देगी. ‘ बता दें कि घटनास्थल पर यूपी के आईजी, एडीजी, एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) को ऑपरेशन के साथ साथ खुद डीजीपी भी पहुंचे और दोपहर बाद सीएम योगी आदित्यनाथ भी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने कानपुर पहुंचे.
बता दें कि इस हमले के मास्टरमाइंड विकास दुबे पर छोटे-बड़े 60 मामले दर्ज हैं. विकास पर 2001 में थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या करने का आरोप भी है.
कैसे दिया घटना को अंजाम
यूपी पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक गुरुवार देर रात कानपुर के तीन थानों की पुलिस विकास दुबे को पकड़ने उसके घर पहुंची. पुलिस वालों ने देखा उसके घर की गली के बाहर जेसीबी खड़ी थी जिस कारण पुलिस की गाड़ियां अंदर नहीं जा सकती थीं.
जैसे ही पुलिस जेसीबी को हटाने के लिए आगे बढ़ी तभी आसपास के घरों की छतों से पुलिस पर गोलियां चलने लगीं. इस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी घटना स्थल पर ही मारे गए. घटना को अंजाम देकर विकास अपने साथियों के साथ फरार हो गया. घटना स्थल से फरार विकास के मामा व चचेरे भाई सुबह पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए हैं.
एडीजी कानपुर जोन जय नारायण सिंह के मुताबिक, पास के गांव जादेपुर परसा के रहने वाले एक युवक राहुल तिवारी ने पिछले दिनों चौबेपुर थाने में विकास दुबे व उसके साथियों के खिलाफ जान से मारने के प्रयास के आरोप में तहरीर दी थी. जिसके बाद पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची थी जहां पर पुलिस की टीम पर हमला हो गया. ये घटना रात 12.30 से 1.30 बजे की है. चौबेपुर, शिवराजपुर और बिठूर थाने से लगभग 20 पुलिसकर्मी विकास दुबे के घर के लिए रवाना हुए. घर के बाहर जेसीबी देखकर पुलिस रुक गई और अंदर पैदल जाने का प्रयास करने लगी.
उन्होंने आगे बताया, ‘इस बीच पुलिस के ऊपर छतों से गोली चलने लगीं. पुलिस ने भी अपने बचाव में गोलियां चलानी शुरू हुईं लेकिन विकास दुबे के साथी पूरे सुनोजियत तरीके से छतों पर मुस्तैद थे और लगातार फायर कर रहे थे जिसका पुलिस को अंदाजा नहीं था.’
किसी ने दी थी पुलिस के आने की सूचना
दिप्रिंट से बातचीत में एडीजी जय नारायण सिंह ने बताया कि इस बात की आशंका है कि किसी ने विकास को पुलिस के आने की सूचना पहले से दी थी. यही कारण था कि उसने अपने साथी बदमाशों को बंदूक व पिस्तौल के साथ पहले से तैयार रखा था. फिलहाल, पुलिस इस बात की जांच भी कर रही है कि किसने ये सूचना विकास को दी होगी.
यूपी के डीजीपी एचसी अवस्थी ने मीडिया को बताया अभी सात घायल पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है. विकास का सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है क्योंकि अपराधी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे हैं.
वहीं सीएम योगी की ओर से साफ निर्देश दिए गए हैं कि यह अधिकारी तभी कानपुर से वापस आएं जब तक यह टीम विकास दुबे को पकड़ नहीं लेती या फिर मुठभेड़ में धराशाई नहीं कर देती.
जाने बचाने के लिए भागे सीओ को मारी गाली
घटना के चश्मदीद सिपाही मोहम्मद अजमल ने मीडिया को बताया कि जैसे ही पुलिस की टीम विकास के घर के बाहर पहुंची. वैसे ही फायरिंग शुरू हो गई. पुलिस को पोजीशन लेने का भी मौका नहीं मिला. गोलीबारी में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा और एसओ शिवराजपुर महेश यादव समेत 8 जवान वहीं घटना स्थल पर शहीद हो गए.
विकास के पड़ोस में रहने वाली उन्हीं की रिश्तेदार मनु पांडे ने बताया कि वह सो रही थीं तभी रात में अचानक गोलीबारी की आवाज आने लगी. उन्हें लगा कि कोई उनकी छत पर चढ़ आया है. उन्होंने खिड़की से देखा तो कोई व्यक्ति दीवार फांदकर आंगन में आया था. कुछ सेकेंड के भीतर ही उसे गोली मार दी जाती है. बाद में पुलिस वालों से ही उन्हें पता चला कि वह सीओ थे. घटना स्थल पर खून व गोली के निशान अभी भी मौजूद हैं
गांव वाले घटना से झाड़ रहे पल्ला
विकास दुबे का अपने गांव में इतना खौफ है कि गांव के अधिकतर लोग इस घटना से खुद को अंजान बता रहे हैं. विकास के घर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले राजू कुमार का कहना है कि ‘उन्हें इस मामले की जानकारी ही नहीं.’ घटना के वक्त वह सो रहे थे. गोली चलने की आवाज जरूर आई लेकिन उन्होंने डर से दरवाजा नहीं खोला.
पास में ही रहने वाली रीना देवी कहती हैं कि उन्हें भी इस घटना का कुछ अंदाजा नहीं सुबह पता चला कि पंडित जी(विकास दुबे) से जुड़ा मामला है. रीना बताती हैं, ‘विकास गांव के गरीबों को कभी नहीं सताता था. इस कारण गांव वाले उसका काफी सम्मान करते हैं.’
आस-पास अन्य गांव के लोगों ने बताया कि विकास का इतना जलवा था कि ग्राम पंचायत से लेकर विधायकी तक के चुनाव में उसकी अहम भूमिका रहती थी. वह खुद भी एक बार गांव का प्रधान रहा है. उसके हर दल में अच्छे संबंध थे. सोशल मीडिया पर विकास की यूपी के मौजूदा कानून मंत्री बृजेश पाठक के साथ फोटो भी वायरल हो रही है.
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विकास दुबे पर 60 से अधिक मुकदमे
2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नाम आया था. इसी साल उसके ऊपर कानपुर के ही रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा था. 2001 में विकास ने थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या करने का आरोप भी है.
2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था. 2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. एसटीएफ ने विकास दुबे को 31 अक्टूबर 2017 को लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र से विकास को गिरफ्तार किया था. कानपुर पुलिस ने उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था. कुछ दिन पहले जेल से बाहर आया था.
2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर ही जानलेवा हमला करवा दिया. अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में वह इसी साल की शुरुआत में जेल से छूट कर आया था.
आश्चर्य यह हे कि इतना सब कुछ होने के बाद भी आप जेसी न्युज़ पोर्टल उसे हिस्ट्री शीटर लिख रहा हे बस ??? यह कृत्य आतंकवादी की श्रृेणी मे नहीं आता हे ???