नयी दिल्ली,30 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने मादक पदार्थ से जुड़े एक मामले में पूर्व मंत्री एवं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की एक अपील पर सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की पीठ ने जैसे ही पंजाब सरकार की अपील को सुनवाई शुरू की, न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने मामले की जांच के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया, ‘‘मामले को एक ऐसी पीठ के समक्ष रखा जाए, जिसमें हममें से एक (न्यायमूर्ति सूर्य कांत) सदस्य नहीं हों।’’
पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान पेश हुए। राज्य सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 10 अगस्त 2022 के आदेश को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद मजीठिया 10 अगस्त 2022 को पटियाला जेल से बाहर आये थे। उन्होंने कहा था कि यह यकीन करने के लिए तार्किक आधार है कि वह दोषी नहीं हैं।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह अवलोकन सिर्फ उनकी जमानत अर्जी पर निर्णय देने से संबंधित है।
मजीठिया को मादक पदार्थ से जुड़े मामले में पटियाला जेल में पांच महीने से अधिक समय बिताने के बाद रिहा कर दिया गया था।
मजीठिया, शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े एक गिरोह पर मादक पदार्थ रोधी एसटीएफ की 2018 की एक रिपोर्ट के आधार पर मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
भाषा सुभाष दिलीप
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