गुरुग्राम: जब 30 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की, तो यह खबर हरियाणा के हिसार के उनके पैतृक गांव पेटवार में ऐसे पहुंची, जैसे दिवाली के कुछ दिन बाद मिला कोई बड़ा तोहफा.
कुछ ही घंटों में उस व्यक्ति के घर के बाहर मिठाई बांटी जाने लगी, जिसने कभी गांव के सरकारी स्कूल में बिना बेंच वाले कमरे में फर्श पर बैठकर पढ़ाई की थी.
63-वर्षीय जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. वे सीजेआई बी.आर. गवई के उत्तराधिकारी होंगे, जो एक दिन पहले सेवानिवृत्त हुए हैं.
वे हरियाणा से इस पद तक पहुंचने वाले पहले जज होंगे और 9 फरवरी 2027 तक, यानी लगभग 14 महीने से कुछ अधिक समय तक कार्यकाल संभालेंगे.
हिसार-चंडीगढ़ हाईवे से लगे छोटे से गांव पेटवार से सुप्रीम कोर्ट तक की यह यात्रा बताती है कि कैसे योग्यता और मेहनत, सीमित साधनों पर भारी पड़ती है.
जस्टिस सूर्यकांत ने गांव के स्कूल से मैट्रिक पास किया, फिर हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरा की.
एक कार्यरत जज रहते हुए भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डिस्टेंस लर्निंग के जरिए एलएलएम किया और पूरे विश्वविद्यालय में पहला स्थान प्राप्त किया.

पहली पीढ़ी के वकील
उनके बड़े भाई ऋषि कांत (70), जो पुराने पुश्तैनी घर में रहते हैं और रिटायर्ड ड्रॉइंग टीचर हैं, उन्होंने दिप्रिंट से फोन पर कहा, “हमारे परिवार में कोई वकील नहीं था. वे पहले हैं.”
पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे जस्टिस सूर्यकांत के तीन भाई और एक बहन हैं. उनकी सबसे बड़ी बहन कमला देवी (74) जींद में रहती हैं. डॉ शिव कांत भिवानी में फेफड़ों के रोग विशेषज्ञ (पल्मनोलॉजिस्ट) हैं और देव कांत (66) आईटीआई में इंस्ट्रक्टर के पद से रिटायर होकर हिसार में बस गए.
उनके पिता मदन गोपाल शास्त्री सरकारी स्कूल में संस्कृत पढ़ाते थे और उनकी मां गृहिणी थीं.
जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता कांत पंचकूला के एक सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं.
ऋषि कांत बचपन की एक घटना याद करते हुए बताते हैं कि क्लास 10 का एग्ज़ाम देने के बाद सूर्यकांत पेटवार में अपने 12 एकड़ खेत में गेहूं की कटाई में मदद करने गए.
तेज़ अप्रैल की धूप में घंटों मेहनत करते हुए उन्होंने मन में ठान लिया कि वे पढ़ाई के दम पर अपनी ज़िंदगी बदलेंगे, ताकि आगे चलकर उन्हें खेतों में काम न करना पड़े.
ऋषि कांत ने कहा, “मुझे गर्व है कि मेरा छोटा भाई भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी संभालने जा रहा है.”
जब उनसे पूछा गया कि शपथ समारोह के लिए कितने परिवारजन दिल्ली जाएंगे, तो उन्होंने बताया कि सभी को निमंत्रण मिला है.
उन्होंने कहा, “गांव से मैं अपनी पत्नी के साथ जाऊंगा. मेरे दूसरे भाई-बहन भी अपने जीवनसाथियों के साथ दिल्ली जाने की योजना बना रहे हैं. बाकी लोग यहां टीवी पर देखेंगे और लड्डू बांटेंगे.”
कॉलेज के दिनों के साथी ने याद किया, फतेहाबाद के रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल राज बहादुर यादव हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में सूर्यकांत के क्लासमेट थे. यादव बताते हैं कि अगस्त 1977 में हिंदी की क्लास के दौरान उनकी पहली मुलाकात हुई.
उनकी टीचर ने जयप्रकाश नारायण पर निबंध लिखने को कहा था और दोनों का लिखा हुआ निबंध बहुत पसंद किया गया.
यादव के अनुसार युवा सूर्यकांत “गांव का एक समझदार लड़का था, औसत से ज़्यादा लंबाई वाला, पीली हाफ-स्लीव शर्ट और पैंट पहने हुए, आंखों में हल्की चमक, चेहरे पर नैचुरल ग्लो, बहुत सादगी, लोगों के प्रति अपनापन और उदारता से भरा हुआ.”
यादव ने कहा, “मैंने कभी उन्हें ऊंची जाति वाले लड़कों की तरह अकड़ दिखाते नहीं देखा.” इससे पता चलता है कि जस्टिस सूर्यकांत शुरू से ही ज़मीन से जुड़े हुए इंसान थे.
यादव एक किस्सा भी बताते हैं—सूर्यकांत ने एक बार उन्हें हिसार के एक रिक्शा चालक के बारे में बताया, जो बहुत अच्छा गाता था. जब यादव ने इस पर शक जताया, तो सूर्यकांत उन्हें मिलने ले गए.
दिसंबर 1979 की ठंडी शाम को वे फ्लाईओवर के पास उस मध्यम उम्र के रिक्शा चालक से मिले. उसने दोनों को चाय पिलाई और फिर बड़ी दिलचस्पी से ‘अंताक्षरी’ खेली, बॉलीवुड गाने इतने अच्छे से गाए कि दोनों छात्र उसकी कला देखकर दंग रह गए.
यादव के मुताबिक, वह दो घंटे का सत्र था और “हम दोनों उस रिक्शा वाले से साफ तौर पर हार गए.”
तेज़ी से बढ़ता कद
1984 में हिसार जिला अदालतों में एक साल प्रैक्टिस करने के बाद, जस्टिस सूर्यकांत चंडीगढ़ स्थित पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट चले गए. यह कदम उनके करियर के लिए निर्णायक साबित हुआ.
हिसार जिला अदालत के आपराधिक वकील पी.के. संधीर, जो तब लगभग 10 साल से प्रैक्टिस कर रहे थे, बताते हैं, “फुर्सत में वह मेरे पिता, दिवंगत पंडित देव राज संधीर (जो वकील थे) या दिवंगत आत्मा राम के पास बैठने आ जाते थे.”
संधीर ने कहा, शुरू से ही यह साफ था कि जस्टिस सूर्यकांत ऊंची अदालतों के लिए बने हैं. वे बताते हैं, “जब उन्होंने अपना पहला बड़ा केस हैंडल किया, तो सब उनकी तैयारी और इंग्लिश में की गई दलीलों से प्रभावित हो गए. जिला अदालतों में ज़्यादातर वकील हिंदी में बात करते थे और बीच-बीच में अंग्रेज़ी शब्द इस्तेमाल करते थे. तब मेरे पिता ने ही उन्हें कहा था कि वह जिला अदालत के लिए नहीं बने, उन्हें चंडीगढ़ (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट) जाना चाहिए.”
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह वहां किसी को नहीं जानते.
संधीर ने याद किया, “फिर मेरे पिता उन्हें चंडीगढ़ लेकर गए और दिवंगत सीनियर एडवोकेट अरुण के. जैन से मिलवाया. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.”
1985 में जस्टिस सूर्यकांत ने हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और दो साल के भीतर वह जैन के केस भी देखने लगे और अपने खुद के केस भी.
संधीर बताते हैं, “1990 के दशक तक वह चंडीगढ़ के कानूनी हलकों में एक जाना-पहचाना नाम बन चुके थे और सबसे अच्छी बात, वे जब भी हिसार बार एसोसिएशन आते हैं, मेरे पिता द्वारा उन्हें चंडीगढ़ ले जाने की बात हमेशा याद करते हैं.”
जुलाई 2000 में, 38 साल की उम्र में, सूर्यकांत हरियाणा के सबसे कनिष्ठ एडवोकेट जनरल बने—ओम प्रकाश चौटाला सरकार के दौरान.
हिसार के रहने वाले और 2000 से 2005 तक हरियाणा के वित्त मंत्री रहे सम्पत सिंह ने कहा कि उनकी नियुक्ति का कारण सूर्यकांत की “संवैधानिक कानून और सर्विस मैटर्स पर मजबूत पकड़” थी.
सिर्फ चार साल बाद, 42 वर्ष की उम्र में, सूर्यकांत को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया—वहां के सबसे युवा जजों में से एक.
14 साल तक उस हाईकोर्ट में सेवा देने के बाद, वे अक्टूबर 2018 से मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे. इसके बाद मई 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया.
हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में 21 साल का अनुभव, सीजेआई के लिए इतना लंबा करियर असाधारण माना जाता है, क्योंकि पहले कई जज सीधे सुप्रीम कोर्ट में ही पहुंचे थे.
उनके फैसलों में संवैधानिक मजबूती और संवेदनशीलता दोनों दिखती हैं—कैदियों को आर्टिकल 21 के तहत परिवार के साथ समय बिताने का अधिकार दिलाने से लेकर, गृहिणियों के आर्थिक योगदान को मान्यता देने तक.
वे उस बेंच का हिस्सा थे जिसने घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन्स बनाने को विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया.
राष्ट्रीय महत्व के अन्य मामलों में उनकी भूमिका रही— जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखना, पेगासस स्पाइवेयर के आरोपों की जांच और इस साल बिहार चुनाव से पहले चुनावी पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर देना.
दया और विनम्रता
पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल सुभाष गोडारा, जो विश्वविद्यालय के दिनों से जस्टिस कांत के जूनियर रहे हैं, बताते हैं कि उन्होंने कभी उन्हें बिना किताब के नहीं देखा.
गोडारा ने कहा, “जस्टिस सूर्य कांत की एक और खासियत यह है कि वह हर चीज़ की बहुत अच्छी तैयारी करते थे, चाहे वह केस की सुनवाई हो या किसी कार्यक्रम में मेहमान बनकर भाषण देना.”
उन्होंने याद किया कि हाई कोर्ट में रहते हुए जस्टिस कांत सुबह-सुबह टहलने जाते थे. “मैं उन्हें अक्सर चंडीगढ़ के सुखना झील की साइड लेन पर चलते हुए देखता था, क्योंकि मेन लेन पर सुबह के वक्त भीड़ रहती है. मैंने कभी नहीं देखा कि वे सिक्योरिटी लेकर चलते हों.”
गोडारा, जो पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे जहां जस्टिस कांत 2000 से 2018 तक जज रहे, बताते हैं कि वह जूनियर वकीलों से कैसा व्यवहार करते थे.
उन्होंने कहा, “वे जूनियर वकीलों के प्रति बहुत सहयोगी थे. अगर कोई जूनियर वकील बहस के दौरान अटक जाता था, तो वह कभी जल्दीबाजी या नाराज़गी नहीं दिखाते थे. वह बहुत शांत होकर कहते, ‘अपना वक्त लीजिए’.”
संधीर ने भी जस्टिस कांत के व्यक्तिगत व्यवहार से जुड़ा एक किस्सा साझा किया.
दिसंबर 2021 में जब उनकी पत्नी का दिल्ली में घुटने का ऑपरेशन हुआ, उस समय सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जस्टिस सूर्य कांत उनकी पत्नी की तबीयत को लेकर लगातार संपर्क में रहे. जब वह अभी अस्पताल में ही थीं, हिसार बार एसोसिएशन ने जस्टिस कांत को बुलाया.
संधीर, बाकी सदस्यों के साथ उन्हें रिसीव करने हिसार पहुंचे. संधीर ने कहा, “जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, उनके पहले शब्द थे — ‘आप यहां क्या कर रहे हैं? आपको तो दिल्ली में होना चाहिए था’.”
संपत सिंह ने बताया कि एडवोकेट जनरल रहते हुए भी जस्टिस कांत ने हमेशा माहौल शांत रखा.
उन्होंने कहा, “अक्सर लीगल रिमेम्ब्रेंसर (जो सरकार के लीगल सेक्रेटरी भी होते हैं) और एडवोकेट जनरल के बीच टकराव होता है. एलआर आमतौर पर सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज होता है और एजी सरकार का नियुक्त अधिकारी. कई बार सरकारें एलआर की राय से बचने के लिए एजी की सलाह मानती हैं, जिससे एलआर नाराज़ हो जाते हैं. लेकिन सूर्य कांत के कार्यकाल में ऐसा एक भी मामला नहीं हुआ. उन्होंने एलआर के साथ इतनी अच्छी समझदारी बनाई कि सब काम सहजता से चल गया.”
पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन अमित राणा ने भी जस्टिस कांत के बार के साथ गहरे जुड़ाव पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, “वह कभी अपनी जड़ें नहीं भूले. जज बनने के बाद भी वह हमेशा उपलब्ध रहे, धैर्य से सुनते रहे और वकीलों की समस्याओं में वास्तविक रुचि लेते थे. उनका कोर्टरूम डराने वाला नहीं होता था — यहां युवा वकील आसानी से अपनी दलील रख पाते थे और सीनियर वकील महसूस करते थे कि सामने एक ऐसा जज है जो सच में सुन रहा है.”
उन्होंने कहा कि बार के प्रति उनका स्नेह सिर्फ बातों में नहीं बल्कि फैसलों में भी दिखा, चाहे वह लीगल एड पर फैसले हों, बार एसोसिएशनों को सुधारने के प्रयास हों, या बार बॉडीज़ में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण वाला 2024 का ऐतिहासिक आदेश हो.
राणा बोले, “हमारी लीगल बिरादरी में, जस्टिस सूर्य कांत इस बात की मिसाल हैं कि एक जज कैसा होना चाहिए, विद्वान लेकिन विनम्र, सख़्त लेकिन संवेदनशील, सुधारवादी लेकिन परंपरा का सम्मान करने वाले.”
उन्होंने कहा कि जस्टिस कांत का भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पद पर पहुंचना “सिर्फ हरियाणा का गर्व नहीं, बल्कि हर उस वकील के लिए खुशी है जिसने उनके सामने बहस की और उनकी निष्पक्षता, धैर्य और कानूनी समझ को महसूस किया.”
उनकी विनम्रता का एक और उदाहरण देते हुए ऋषि कांत ने परिवार की एक परंपरा का ज़िक्र किया.
परिवार एक ट्रस्ट चलाता है — पंडित राम प्रसाद आत्मा राम, जो जस्टिस कांत के दादा और चाचा के नाम पर है. पिता के निधन (2018) के बाद से यह ट्रस्ट पेटवार गांव के दो स्कूलों में कक्षा 10 और 12 में पहले तीन स्थान पाने वाले छात्रों को नकद पुरस्कार देता है.
ऋषि कांत ने कहा, “सूर्य कांत हर साल इस समारोह में गांव पहुंचना ज़रूरी समझते हैं.”
भव्य जश्न
हिसार बार एसोसिएशन ने 24 नवंबर को एक बड़ा कार्यक्रम घोषित किया है, सुबह में हवन, 101 किलो लड्डुओं का प्रसाद, एक ब्लड डोनेशन कैंप और एक फ्री मेडिकल चेक-अप कैंप.
करीब 130 वकील हिसार से दिल्ली गए हैं, ताकि जस्टिस कांत के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो.
गोडारा ने कहा, “यह हिसार डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों के लिए बहुत बड़ा दिन है. एक ऐसा व्यक्ति जो कभी उनके साथ बैठा करता था, अब भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले रहा है.”
उन्होंने आगे कहा: “हमारे लिए यह सिर्फ एक जज का ऊंचा पद नहीं है — यह इस बात का सबूत है कि गांव के एक स्कूल का लड़का, हमारी तरह, सिर्फ अपनी मेहनत से सबसे ऊपर तक पहुंच सकता है.”
चंडीगढ़ में हाई कोर्ट के एक सूत्र ने कहा कि ज्यादातर जज और सैकड़ों वकील भी दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जस्टिस सूर्य कांत को “बहुत सम्मान और प्यार” मिला. “हर कोई चाहता है कि वह उनके शपथ ग्रहण समारोह का गवाह बने.”
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जज भी आने की उम्मीद है, जहां वह लगभग एक साल के लिए मुख्य न्यायाधीश रहे थे. गोडारा ने कहा कि लगभग 200 पास परिवार और दोस्तों के लिए आरक्षित होंगे.
उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि सभी लोगों को राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में जगह नहीं मिल पाएगी. सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग में व्यवस्था की गई है, जहां समारोह में न पहुंच पाने वाले लोग शपथ की लाइव कार्यवाही टीवी पर देख सकेंगे.”
उधर पेटवार गांव में लोग सोमवार को बांटने के लिए और लड्डू बनाने में व्यस्त हैं.
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