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Friday, 22 November, 2024
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विधि आयोग की मांग पर UCC पर 8.5 लाख लोगों ने दी अपनी राय : न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी

रितुराज अवस्थी ने कहा कि यूसीसी कोई नया मुद्दा नहीं है, इसकी बात 2016 में की गई थी, और एक परामर्श पत्र 2018 में जारी हुआ था.

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नई दिल्ली : विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा हमें यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मांगी गई राय पर लोगों से भारी प्रतिक्रिया मिली है.

अवस्थी ने कहा, “भारत के विधि आयोग के नोटिस पब्लिश होने के बाद से हमने यूसीसी पर भारी प्रतिक्रिया प्राप्त की है. कल तक, हमें 8.5 लाख लोगों की प्रतिक्रिया मिली है.” ऋतुराज अवस्थी ने कहा, “यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) नया मुद्दा नहीं है, इसकी बात 2016 में की गई थी, और एक परामर्श पत्र 2018 में जारी हुआ. 2018 से नवंबर 2022 तक विधि आयोग कार्य नहीं कर रहा था. नवंबर 2022 में, नियुक्तियां की गईं व इस मामले को लिया गया और जिस पर हम काम कर रहे हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी हितधारकों और संगठनों से बड़े स्तर पर परामर्श की कोशिश कर रहे हैं.

विधि आयोग ने देश के हर नागरिक के लिए समान कानून लागू करने की आवश्यकता पर तेज बहस के बीच 14 जून को पब्लिक और धार्मिक संगठनों की राय मांगी थी. आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों और पब्लिक से राय मांगी थी. विधि आयोग ने इसके लिए जवाबकर्ताओं को अपनी राय देने के लिए 30 दिन का समय दिया है.

उन्होंने कहा, भारत का 22वां विधि आयोग अन्य चीजों के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक संदर्भ पर समान नागरिक संहिता को लेकर पड़ताल कर रहा है. शुरुआत में, 21वें विधि आयोग ने, सभी हितधारकों के जरिए जिसमें 7.10.2016 और 19.03.2018, 27.03.2018 व 10.4.2018 को जारी प्रश्नों की श्रृंखला में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पब्लिक की राय मांगी थी. जवाबकर्ताओं से इस पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली.

वहीं, कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया और कहा कि जब संविधान सभी के लिए समानता की बात करता है तो देश ‘दो कानूनों’ से नहीं चलाया जा सकता. उन्होंने पूछा कि क्या परिवार के सभी सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं.

मोदी ने ये बातें कल भोपाल में ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कैंपेन के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा, “क्या कोई परिवार अलग-अलग नियमों से चल सकता है? तो फिर देश कैसे चल सकता है? हमारा संविधान सभी के लिए समान अधिकार की गारंटी देता है.”

वहीं विपक्षी दलों ने इसे “वोट बैंक” की राजनीति करार देते हुए प्रतिक्रिया दी है, मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्मलीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या सरकार “देश की बहुलता और विविधता खत्म करने” पर विचार कर रही है?”

ओवैसी ने कहा, “भारत के पीएम सोचते हैं कि देश की विविधता और बहुलता एक समस्या है. इसलिए वह ऐसी बातें कहते हैं… हो सकता है कि भारत के प्रधानमंत्री अनुच्छेद 29 को न समझते हों. क्या आप यूसीसी के नाम पर देश की बहुलता और विविधता को खत्म करेंगे?”


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