नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने संबंधी उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश पर असहमति जताते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिये ‘नुकसानदेह’ होगी।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई तथा न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति नागरत्ना की पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 25 अगस्त को बैठक की। इसने मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे तथा न्यायमूर्ति पंचोली के नामों की सिफारिश शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए की।
न्यायमूर्ति पंचोली शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनने के बाद, अक्टूबर 2031 में न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में होंगे।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने न्यायमूर्ति पंचोली के नाम की सिफारिश किये जाने पर विभिन्न आधार पर अपनी असहमति दर्ज कराई।
शीर्ष अदालत की एकमात्र महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति नागरत्ना ने रेखांकित किया कि न्यायमूर्ति पंचोली की पदोन्नति, उनकी कम वरिष्ठता और गुजरात उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय में उनके पूर्व के स्थानांतरण से जुड़ी परिस्थितियों के मद्देनजर न्यायपालिका के लिए ‘‘नुकसानदेह’’ होगी।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अपनी असहमति में कहा कि उनकी (न्यायमूर्ति पंचोली की) नियुक्ति को आगे बढ़ाने से ‘कॉलेजियम प्रणाली की जो भी विश्वसनीयता बची है, उसका भी क्षरण हो सकता है।’’
न्यायमूर्ति नागरत्ना की आपत्तियां, न्यायमूर्ति पंचोली के जुलाई 2023 में गुजरात उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरण से आंशिक रूप से उपजी हैं।
बताया जाता है कि न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि यह ‘‘कोई सामान्य स्थानांतरण नहीं था, बल्कि कई वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ परामर्श के बाद सोच-विचार कर उठाया गया कदम था और सभी न्यायाधीश इस निर्णय से सहमत थे।’’
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने शीर्ष अदालत में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व से जुड़े मुद्दों पर भी चिंता जताई।
सूत्रों के अनुसार, न्यायमूर्ति नागरत्ना के ‘नोट’ (टिप्पणी) से पता चलता है कि मई में उन्होंने असहमति जताई थी, जब न्यायमूर्ति पंचोली को पदोन्नत करने पर पहली बार विचार किया गया था।
बाद में, न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया को न्यायमूर्ति पंचोली से पहले शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया।
तीन महीने बाद जब न्यायमूर्ति पंचोली का नाम फिर से सामने आया, तो न्यायमूर्ति नागरत्ना ने असहमति वाला पत्र लिखा।
गैर सरकारी संगठन ‘कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ (सीजेएआर) ने भी इस मुद्दे पर एक बयान जारी किया है।
बयान के अनुसार, ‘‘सीजेएआर ने 25 अगस्त को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कॉलेजियम के हालिया बयान पर निराशा व्यक्त की है, जो न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता के मानकों से संबंधित पूर्व के प्रस्तावों का मजाक उड़ाता है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘जैसा कि मीडिया में बताया गया है, कॉलेजियम ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंचोली को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के संबंध में 4-1 से खंडित निर्णय लिया।’’
न्यायमूर्ति नागरत्ना की असहमति का उल्लेख करते हुए सीजेएआर ने बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि न्यायमूर्ति पंचोली को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश करने में कॉलेजियम को किस बात ने प्रभावित किया, क्योंकि न्यायमूर्ति पंचोली शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने वाले गुजरात के न केवल तीसरे न्यायाधीश हैं, बल्कि वह उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 57वें स्थान पर हैं।’’
भाषा सुभाष दिलीप
दिलीप
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