तिरुवनंतपुरम, 17 मार्च (भाषा) केरल सरकार ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों का अध्ययन करने वाले न्यायमूर्ति हेमा आयोग की रिपोर्ट को जारी नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें इस क्षेत्र में काम करने वाली कई महिलाओं के व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं।
राज्य के सांस्कृतिक मामलों और सिनेमा मंत्री साजी चेरियन ने विधानसभा को बताया कि तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता कर रहीं सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के हेमा ने खुद सरकार से रिपोर्ट को गोपनीय रखने की मांग की थी।
वह वाडाकारा विधायक के के रीमा (यूडीएफ) द्वारा इस मुद्दे पर उठाए गए एक प्रतिवेदन का जवाब दे रहे थे।
मंत्री ने कहा, “हेमा आयोग जांच आयोग के दायरे में नहीं आता है। उद्योग में काम करने वाली कई महिलाओं के व्यक्तिगत अनुभवों को रिपोर्ट का हिस्सा बनाया गया है। इसलिए इसे इस तरह जारी नहीं किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सूचना आयोग ने पहले ही एक आदेश जारी कर कहा है कि लोगों के व्यक्तिगत विवरण वाली रिपोर्ट को सार्वजनिक दस्तावेज के रूप में प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
सरकार ने कई कार्यकर्ताओं और मलयालम उद्योग में महिलाओं की एक संस्था, ‘वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ समेत महिला समर्थक संगठनों की मांग के मद्देनजर इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया। इन संगठनों ने 2019 में ही रिपोर्ट पेश कर दिए जाने के बावजूद इसे सार्वजनिक नहीं किए जाने को लेकर चिंता जताई थी।
डब्ल्यूसीसी ने आरोप लगाया कि आयोग ने हालांकि फिल्म क्षेत्र में लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदमों की सिफारिश की लेकिन बिना कोई कार्रवाई किए इसे गोपनीय रखा गया है।
भाषा
प्रशांत मनीषा
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