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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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न्यायमूर्ति गवई अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, 14 मई को लेंगे शपथ

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नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को मंगलवार को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति गवई 14 मई को सीजेआई का पदभार संभालेंगे। मौजूदा सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो रहा है।

विधि मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर न्यायमूर्ति गवई को भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की।

न्याय विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को 14 मई, 2025 से भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है।’’

निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, 16 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने न्यायमूर्ति गवई के नाम की अनुशंसा केंद्र सरकार को की थी।

न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा। वह 24 मई 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए थे। 23 नवंबर को 65 वर्ष की आयु होने पर न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल खत्म हो जाएगा।

वह वर्तमान सीजेआई खन्ना के बाद उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर 2003 को बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर 2005 को उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने।

न्यायमूर्ति गवई उच्चतम न्यायालय में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं। वह पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था।

पांच न्यायाधीशों वाली एक अन्य संविधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति गवई भी शामिल थे, ने चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया। वह पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 4:1 के बहुमत के फैसले से 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के केंद्र के 2016 के फैसले को मंजूरी दी थी।

न्यायमूर्ति गवई सात न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 6:1 के बहुमत से यह फैसला दिया था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

न्यायमूर्ति गवई वन, वन्यजीव और वृक्षों के संरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ का भी नेतृत्व कर रहे हैं।

वह 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे।

न्यायमूर्ति गवई को अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त सरकारी अभियोजक नियुक्त किया गया था। उन्हें 17 जनवरी 2000 को नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील नियुक्त किया गया।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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