scorecardresearch
Thursday, 23 October, 2025
होमदेशन्यायपालिका को नयी चुनौतियों से निपटने के लिए नवाचार करने की जरूरत है: न्यायमूर्ति सूर्यकांत

न्यायपालिका को नयी चुनौतियों से निपटने के लिए नवाचार करने की जरूरत है: न्यायमूर्ति सूर्यकांत

Text Size:

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सूर्यकांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायपालिका को डिजिटल बहिष्कार, विस्थापन, जलवायु संवेदनशीलता और अंतरराष्ट्रीय प्रवास जैसी नयी चुनौतियों से निपटने के लिए विकसित होने और नवाचार करने की आवश्यकता है, अन्यथा उसे अपनी ही छाया तले दब जाने का खतरा होगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। वह कोलंबो में बीएएसएल मानवाधिकार व्याख्यान के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जिसका विषय था ‘‘हाशिये पर पड़े लोगों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की प्राप्ति के लिए विधिक सहायता प्रणाली को मजबूत बनाना: भारतीय केस स्टडी’’।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के कानूनी सहायता आंदोलन की कहानी, अपने मूल में, एक लोकतंत्र की अंतरात्मा की कहानी है। यह इस बात का प्रमाण है कि एक व्यापक और जटिल समाज में भी, जब दूरदर्शिता के साथ संस्थागत इच्छाशक्ति का मेल हो, तो न्याय को वास्तविक बनाया जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘फिर भी, यह कहानी अभी पूरी नहीं हुई है। जैसे-जैसे डिजिटल बहिष्कार, विस्थापन, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय प्रवास जैसी नयी चुनौतियां सामने आ रही हैं, हमारा काम और अधिक नवाचार करना, पहुंच को आधुनिक बनाना और समावेशन को गहरा करना है। न्याय को समाज के साथ विकसित होना होगा, अन्यथा उसे अपनी ही छाया तले दब जाने का खतरा होगा।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘धर्म’’ के प्राचीन सिद्धांतों से लेकर नालसा की आधुनिक वास्तुकला तक, भारत की यात्रा मानव गरिमा में स्थायी विश्वास और इस विचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि न्याय सबसे पहले अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि श्रीलंका और पूरे राष्ट्रमंडल के लिए भारत का अनुभव अनुकरणीय मॉडल नहीं, बल्कि प्रेरणादायी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब न्याय सचमुच सुलभ हो जाएगा – जब हर नागरिक, चाहे उसके पास कोई साधन न हो, कानून के समक्ष मजबूती से खड़ा हो सकेगा – और केवल तभी, हम कह सकते हैं कि स्वतंत्रता ने अपना वास्तविक उद्देश्य पूरा कर लिया है।’’

भारत के संस्थागत तंत्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत स्थापित नालसा की व्यापक पहुंच के बारे में विस्तार से बताया।

भाषा

देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments