नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ निवासी संतोष बिष्ट पिछले कई दिनों से सरकार द्वारा एक होटल में बनाए गए राहत शिविर में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. संतोष को उनके घर में दरार पड़ने के बाद प्रशासन द्वारा शिविर में शिफ्ट किया गया था. उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में दरार आने के बाद संतोष उन सभी परिवारों के साथ राहत शिविर में रहने आए हैं जिसे सरकार द्वारा उनके घरों में दरार पड़ने पर उनके निवास के लिए अस्थाई तौर पर बनाया गया है. दिप्रिंट से बातचीत में संतोष बिष्ट कहते हैं, ‘पिछले चार पांच महीनों में यह काफी तेजी से बढ़ा है. जमीन फटती जा रही है. हर दिन जमीन में नई दरार आ रही है. जो पुरानी दरार थी, उसकी चौड़ाई बढ़ती जा रही है. पिछले डेढ़ साल से यह धीमे तौर पर हो रहा था लेकिन बीते डेढ़ दो महीने से यह काफी तेजी से हो रहा है.’
संतोष कहते हैं, ‘आज स्थिति ऐसी हो गई है कि जोशीमठ के 80 प्रतिशत घरों में दरारें आ गई हैं. प्रशासन ने हमारे लिए कुछ जगह बनाई है जिसमें हमें रखा गया है. लेकिन यहां काफी दिक्कत है. एक-एक कमरे में आठ-आठ दस-दस लोगों को रखा गया है.’
संतोष बिष्ट जोशीमठ के उन पीड़ित परिवारों में शामिल है जिनका घर दरार पड़ने के कारण बर्बाद हो चुका है. बीते कई दिनों से जोशीमठ में घरों, सड़कों आदि में दरारें आ रही है. लोगों को मजबूरी में अपना घर छोड़कर राहत शिविर में शिफ्ट होना पड़ रहा है.
कौन है जिम्मेदार
उत्तराखंड स्थित जोशीमठ लगभग 20 हजार की आबादी वाला एक शहर है जो लगभग 1900 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यह चीन सीमा पर स्थित आखिरी शहर भी है. बीते कुछ सालों में जोशीमठ में कई विकास परियोजनाएं शुरू की गई थी. जिसके कारण यहां निर्माण कार्य काफी तेजी से बढ़ा है. बीते एक डेढ़ साल से यहां के जमीन और घरों में कई जगह दरार आने लगी जो पिछले एक डेढ़ महीने से काफी तेजी से बढ़ रही है. आज आलम यह है कि लगभग हजार घर इसके चपेट में आ चुके हैं और लोगों को अपना घर छोड़कर विस्थापित होना पड़ रहा है. लोग इसके लिए वहां एनटीपीसी द्वारा बनाए जा रहे टनल और निर्माणाधीन ऑल वेदर बाईपास को कारण बता रहे हैं. बीते गुरुवार को सरकार ने जोशीमठ और उसके आसपास के क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी.
जोशीमठ व्यापार संघ के अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी इन तमाम घटनाओं के लिए एनटीपीसी का टनल और बन रहे ऑल वेदर बाईपास को जिम्मेदार ठहराते हैं. नैन सिंह भंडारी कहते हैं, ‘इस आपदा के दो कारण है, एक एनटीपीसी टनल और दूसरा निर्माणाधीन जोशीमठ बायपास.’ घरों तथा जमीन में दरार बीते एक साल से आ रही थी लेकिन जब से बाईपास का निर्माण शुरू हुआ उस दिन से यह अधिक हो रहा है.’
डर के बीच मुख्यमंत्री का दौरा
शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ के प्रभावित इलाके का दौरा किया. दौरे के बाद मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘आज जोशीमठ के भू-धसाव क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर प्रभावित संकटग्रस्त परिवारों से मुलाकात की. धर्म एवं अध्यात्म के केंद्र जोशीमठ में उत्पन्न हुई इन विषम परिस्थितियों के समय हमारे नागरिकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. जिसके लिए हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं.’
आज जोशीमठ में भू-धसाव का स्थलीय निरीक्षण करने के उपरांत सचिवालय पहुंचकर आपदा प्रबंधन केन्द्र में अधिकारियों के साथ बैठक की। इस समय सुरक्षा के दृष्टिगत तात्कालिक रूप से जो कार्य आवश्यक हैं उनके अतिशीघ्र क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में हूं। pic.twitter.com/ZimULTnYMD
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 7, 2023
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘समस्या के समाधान हेतु तात्कालिक तथा दीर्घकालिक कार्य योजना पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है. खतरे की जद में आए पूरे शहर में सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएंगे. जिसके लिए विस्तृत प्लान तैयार किया जा रहा है.’
हालांकि जोशीमठ के लोग मुख्यमंत्री के रवैये से नाखुश हैं. जोशीमठ व्यापारी मंडल के अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘मुख्य रूप से इसमें सबसे अधिक नुकसान व्यापारियों का हुआ है लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है. सिर्फ उन्होंने निरीक्षण किया और कहा कि इस पर अधिकारियों से बातचीत की जाएगी.’
वहीं संतोष बिष्ट कहते हैं, ‘लोगों के अंदर बहुत निराशा है. यह बहुत पहले से हो रहा था लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई उचित उपाय नहीं किए. मुख्यमंत्री जी ने बहुत जल्दी से ऊपरी तौर पर निरीक्षण किया और चले गए.’
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600 से अधिक घर जर्जर
जोशीमठ में लगभग 603 घरों में दरारें आ चुकी है. वहीं कई और घरों में छोटी-मोटी दरारें आ रही हैं. अभी तक 55 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा चुका है.
जोशीमठ निवासी और व्यापारी बिक्रम सिंह कवन कहते हैं, ‘सरकारी आंकड़ा कम है लगभग हजार घर ऐसे हैं जिसमें दरार पड़ चुकी है. 603 घर तो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं.’
नैन सिंह भंडारी भी बिक्रम सिंह की बातें से सहमति जताते हुए कहते हैं कि हजार से ऊपर घर ऐसे हैं जिसमें दरारें आ गई हैं.
परिवार को लेकर कहां जाएंगे?
जोशीमठ निवासी विक्रम सिंह के घर में भी दरार आ गई है. स्थानीय व्यापारी बिक्रम सिंह उस घर में अपने परिवार के नौ सदस्यों के साथ रहते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें उस घर में रहने से खतरा नहीं है तो बिक्रम कहते हैं कि परिवार को लेकर कहां जाएंगे.
वहीं संतोष बिष्ट कहते हैं, ‘हमारा तो बहुत नुकसान हो गया. लोगों की पहली प्राथमिकता ही छत होती है और जब छत ही सर से खत्म हो गया तो क्या किया जा सकता है. हमें अभी चार अन्य परिवारों के साथ यहां रहना पड़ रहा है.’
इधर जोशीमठ आपदा को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय हरकत में है. आज प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव पीके मिश्रा कैबिनेट सचिव, वरिष्ठ अधिकारी और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मीटिंग करेंगे. इस बैठक में उत्तराखंड के कई अधिकारी और जोशीमठ के जिलाधिकारी भी शामिल होंगे.
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