नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने पीएचडी छात्रा स्वाति सिंह को निलंबित कर दिया है। डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) की अध्यक्ष एवं जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की पूर्व काउंसलर सिंह के खिलाफ यह ताजा अनुशासनात्मक कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब इस साल की शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसी तरह की एक कार्रवाई को खारिज कर दिया था।
इस मामले पर विश्वविद्यालय की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
नवीनतम निलंबन आदेश पर 28 अप्रैल की तिथि है। इसमें कहा गया है, ‘‘प्रॉक्टोरियल इन्क्वायरी के निष्कर्षों के मद्देनजर, स्वाति सिंह को विश्वविद्यालय से निलंबित किया जाता है और तत्काल प्रभाव से उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।’’
आदेश में कहा गया कि उच्च न्यायालय के 7 फरवरी के निर्देश के अनुपालन में सेंटर फॉर रशियन स्टडीज, स्कूल आफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज में पीएचडी स्कॉलर सिंह के खिलाफ एक नयी जांच शुरू की गई थी। अनुशासनात्मक कार्यवाही में उन्हें ‘‘29 अगस्त 2023 को जेएनयू की एक महिला सुरक्षा गार्ड के साथ बहस और हिंसा में शामिल होने’ का दोषी पाया गया।
इसमें कहा गया, ‘‘किसी छात्र, कर्मचारी या शिक्षक के प्रति किसी भी प्रकार की धमकी या अपमानजनक व्यवहार को अनुशासन और आचरण का एक उल्लंघन माना जा सकता है। इसके मद्देनजर, स्वाति सिंह को दो सेमेस्टर के लिए निलंबित किया जाता है और उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। भविष्य में ऐसी अनुशासनहीन गतिविधियों को न दोहराने की सख्त चेतावनी दी जाती है।’’
इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि ‘‘जो कोई भी परिसर में किसी भी छात्रावास/आवास में स्वाति सिंह को आश्रय देगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।’’
सिंह को इससे पहले परिसर में एक विरोध प्रदर्शन में कथित संलिप्तता के लिए नवंबर 2023 में निलंबित किया गया था। उन्होंने इस कार्रवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने आदेश को रद्द कर दिया और जेएनयू को उनकी शैक्षणिक स्थिति बहाल करने तथा उन्हें छात्रावास आवास प्रदान करने का निर्देश दिया।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अदालत के आदेश के बाद मेरी पढ़ाई फिर से शुरू हो गई, लेकिन मेरे अनुरोध के बावजूद मुझे मेरा छात्रावास वापस नहीं दिया गया। मैं अब भी विश्वविद्यालय परिसर के बाहर रह रही हूं और अधिक किराया दे रही हूं। अब मुझे फिर से निलंबित कर दिया गया है और मेरी छात्रवृत्ति रोक दी जाएगी। मैं किराया कैसे चुकाऊंगी और अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखूंगी?’’
उन्होंने कहा कि हालिया निलंबन से उनके शोध में और देरी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने पिछले निलंबन के कारण पहले ही प्रभावित हो चुकी हूं क्योंकि मैंने छह महीने गंवा दिए थे। अब, जब मुझे शोध के लिए अपनी आरएसी जमा करनी थी, तो मुझे फिर से निलंबित कर दिया गया है। इससे कम से कम एक साल की देरी होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ़ मेरे बारे में नहीं है – प्रशासन हर उस आवाज़ को बंद करना चाहता है जो इस पर सवाल उठाती है।’’
जेएनयूएसयू ने इस नए कदम को ‘‘कानूनी एवं लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन’’ करार दिया।
इसने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘यह निलंबन आदेश न केवल मनमाना और असंगत है, बल्कि यह दोहरे खतरे का एक परेशान करने वाला मामला भी है। यह छात्र कार्यकर्ताओं के खिलाफ उत्पीड़न के एक परेशान करने वाले स्वरूप को दर्शाता है।’’
छात्र संघ ने इस कदम को सिंह के 2024-25 के जेएनयूएसयू चुनावों में महासचिव पद के लिए अपने नामांकन को रद्द करने के खिलाफ जारी अदालती मामले से भी जोड़ा।
सिंह ने कहा, ‘‘वे मुझ पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि जेएनयूएसयू चुनाव में मेरे नामांकन को रद्द करने का मामला अभी भी अदालत में है। नामांकन बंद होने से कुछ घंटे पहले ही मेरा नामांकन मनमाने ढंग से रद्द कर दिया गया। मैं न्याय के लिए फिर से अदालत का रुख करूंगी।’’
जेएनयूएसयू ने कुलपति को एक ज्ञापन सौंपकर सिंह के निलंबन को तत्काल वापस लेने, प्रभावित छात्रों को बुनियादी सुविधाएं बहाल करने और ‘चीफ प्रॉक्टर मैनुअल’ में हाल ही में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग की है। इसमें कहा गया है कि इन बदलावों का इस्तेमाल ‘‘असहमति को अपराध बनाने’’ और परिसर में राजनीतिक सक्रियता को हतोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है।
भाषा अमित नेत्रपाल
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