नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने रविवार रात को कहा कि सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन का विरोधकर रहे छात्र इसका समर्थन कर रहे छात्रों को रोकने के लिए उनकी तरफ गुस्सा से आगे बढ़े जिससे दोनों के बीच संघर्ष हुआ. इस बीच रॉड और डंडे लिए ‘नकाबपोश बदमाशों ने छात्रावास के कमरों में तोड़ फोड़ की.
उसने चेतावनी दी कि जो परिसर के शांतिपूर्ण शिक्षण के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करेगा उसे बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा रही है.
जेएनयू परिसर में नकाबपोशों का हमला, पुलिस ने किया फ्लैग मार्च, विपक्ष ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार रात को उस वक्त हिंसा भड़क गयी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया, परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा.
हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष सहित कम से कम 28 लोग घायल हो गये जिन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है.
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जेएनयू छात्रों से विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने और परिसर में शांति बनाए रखने का आग्रह किया.
एचआरडी मंत्रालय ने रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार से रविवार रात को हुई हिंसा पर तत्काल रिपोर्ट मांगी है.
निशंक ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू परिसर में हिंसा चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं इसकी निंदा करता हूं. मैं छात्रों से विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने और परिसर में शांति बनाए रखने की अपील करता हूं.’ जेएनयू के पूर्व छात्र तथा केन्द्रीय मंत्री एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ने जेएनयू में हुई हिंसा की घटना की निंदा की है. सीतारमण ने कहा कि हिंसा की तस्वीरें भयावह हैं और सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित स्थान बने.
गृह मंत्री और एचआरडी मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है.
गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख अमूल्य पटनायक से बात की और मंत्रालय ने उनसे रिपोर्ट मांगी है.
सूत्रों ने बताया कि हिंसा शाम करीब पांच बजे शुरू हुई.
जेएनयू प्रशासन ने कहा कि लाठियों से लैस नकाबपोश उपद्रवी परिसर के आसपास घूम रहे थे. वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे और लोगों पर हमले कर रहे थे. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को बुलाया गया.
इससे पहले, जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने एक बयान में कहा, ‘पूरे जेएनयू समुदाय के लिए एक जरूरी संदेश है कि परिसर में कानून और व्यवस्था की स्थिति रहे …. जेएनयू प्रशासन ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को बुलाया है.’
दिल्ली पुलिस ने देरी से कार्रवाई के आरोपों के बीच कहा कि उसने फ्लैग मार्च किया और जेएनयू प्रशासन से लिखित अनुरोध मिलने के बाद स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया. हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि किसी को गिरफ्तार किया गया है अथवा नहीं.
घटना के बाद परिसर के भीतर और आस पास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया है.
छात्रों ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों और शिक्षकों के साथ मारपीट की. कुछ टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो फुटेज में पुरुषों के एक समूह को दिखाया गया जो हॉकी लिए इमारत में घूम रहे थे.
वाम-नियंत्रित जेएनयूएसयू और एबीवीपी ने हिंसा के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया. छात्र संघ ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों द्वारा किए गए पथराव में घोष सहित उसके कई सदस्य घायल हो गए.
लेकिन आरएसएस समर्थित छात्रों के संगठन ने आरोप लगाया कि उसके सदस्यों पर वाम-संबद्ध छात्र संगठनों ने क्रूरता से हमला किया जिसमें उनके 25 लोग घायल हो गए, जबकि 11 लापता हो गए हैं.
यह हिंसा तब हुई जब जेएनयू शिक्षक संघ एक बैठक कर रहा था.
इतिहास विभाग के एक प्रोफेसर आर महालक्ष्मी ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा, ‘हमने टी प्वाइंट पर शाम पांच बजे एक शांति बैठक आयोजित की थी. जैसे ही यह खत्म हुई, बड़ी संख्या में लोग परिसर में दाखिल हुए और उन्होंने शिक्षकों और छात्रों पर मनमाने ढंग से हमला करना शुरू कर दिया.’
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि हिंसा के कृत्यों और अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जेएनयू की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निंदनीय है.