श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने उच्च न्यायालय के एक फैसले के मद्देनजर विवादास्पद रोशनी अधिनियम के तहत सभी भूमि हस्तांतरण रद्द करने के एक महीने बाद अब अपनी वेबसाइटों पर इस कानून के लाभार्थियों के नाम प्रकाशित करने शुरू कर दिए हैं.
पहली सूची में शामिल 41 नामों—कश्मीर से 35 और जम्मू से छह—में प्रमुख राजनेता, होटल, शॉपिंग मॉल, वाणिज्यिक भवन और नेशनल कॉन्फ्रेंस से जुड़ा एक ट्रस्ट आदि शामिल हैं.
लाभार्थियों के रूप में नामित राजनेताओं में जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं. द्राबू, जो पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ थे, की राज्य में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी-पीडीपी सरकार के गठन में अहम भूमिका मानी जाती है.
सूची में शामिल अन्य नेताओं में चार नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद किचलू, हारुन चौधरी, असलम गोनी और सैयद अखून हैं और कांग्रेस नेता अब्दुल मजीद वानी का भी नाम इसमें शामिल हैं.
इस सूची में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शफी पंडित की पत्नी निगहत पंडित का भी नाम है.
मॉल और वाणिज्यिक भवनों की सूची में सिटी वॉक मॉल और हबसन बिल्डिंग शामिल हैं. होटलों में होटल ब्रॉडवे, होटल रेडिसन, होटल रूबी और रेजीडेंसी होटल के नाम हैं. इन सबको श्रीनगर में लैंडमार्क प्रॉपर्टी माना जाता है.
होटल जम्मू-कश्मीर के प्रमुख व्यवसायियों के स्वामित्व में हैं, जिन्हें अधिनियम के लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है. इनमें मुश्ताक अहमद छाया और के.के. अमला, जो कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े हैं, शामिल हैं. दोनों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ सूची में रखा गया है.
इसके अलावा लाभार्थियों में नेशनल कांफ्रेंस का नवाई सुबह ट्रस्ट और कांग्रेस का खिदमत ट्रस्ट है. जम्मू-कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सात कनाल 15 मरला और 84 वर्ग फुट जमीन खिदमत ट्रस्ट को ट्रांसफर की गई, जबकि तीन कनाल और 16 मरला भूमि नवाई सुबह को दे दी गई. आठ कनाल का मतलब एक एकड़ जमीन के बराबर होते हैं.
नाम न छापने के आग्रह पर अधिकारी ने बताया कि यह इस तरह की पहली सूची है जिन्हें सार्वजनिक किया जाना है.
विवाद
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (अधिवासी को मालिकाना हक) कानून 2001, जिसे रोशनी एक्ट के नाम से भी जाना जाता है, के तहत हुए सभी भूमि हस्तांतरणों को रद्द कर दिया था. अधिनियम के तहत तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने 20 लाख कनाल या 2.5 लाख एकड़ अनधिकृत भूमि को नियमित करने की राह खोली थी.
सरकार का यह आदेश 9 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा इस अधिनियम को अमान्य करार दिए जाने के बाद आया था.
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य की कुल 6,04,602 कनाल (75,575 एकड़) भूमि को नियमित किया गया और कब्जेदारों को हस्तांतरित किया गया. इसमें जम्मू में 5,71,210 कनाल (71,401 एकड़) और कश्मीर में 33,392 कनाल (4,174 एकड़) शामिल है.
हाई कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया था कि वह एक महीने के अंदर उन सभी प्रभावशाली व्यक्तियों, जिनमें मंत्री, विधायक, सिविल सेवक, सरकारी अधिकारी, पुलिस अधिकारी, व्यापारी आदि शामिल हैं, उनके रिश्तेदारों या उनके लिए बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों की पूरी पहचान उजागर करे जिन्होंने रोशनी अधिनियम के तहत लाभ हासिल किया है.
हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व राजस्व अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि रोशनी एक्ट का लाभ हासिल करने वाले कुल लाभार्थियों में प्रभावशाली लोगों की संख्या मामूली ही थी.
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